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    रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा ने डीजीपी से की चालान कटने की शिकायत!

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 17 Jun 2021 09:35 AM (IST)

    मसूरी में मास्क न पहनने पर रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा का चालान होने की खबर दो-तीन दिन से चर्चा में है लेकिन अब बत्रा के डीजीपी अशोक कुमार से मिलने के बाद मामला फिर सुर्खियों में आ गया है। उधर चालान करने वाले दारोगा का तबादला भी हो गया।

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    रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा ने डीजीपी से की चालान कटने की शिकायत।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। मसूरी में मास्क न पहनने पर रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा का चालान होने की खबर दो-तीन दिन से चर्चा में है, लेकिन अब बत्रा के डीजीपी अशोक कुमार से मिलने के बाद मामला फिर सुर्खियों में आ गया है। उधर, चालान करने वाले दारोगा का तबादला भी हो गया। इसे विधायक के दबाव से जोड़कर देखा रहा है और इंटरनेट मीडिया पर चर्चाएं भी हो रही हैं।

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    बुधवार को रुड़की विधायक ने डीजीपी से मुलाकात की। सूत्रों की मानें तो कुछ दिन पहले मास्क न पहनने पर विधायक का मसूरी में दारोगा ने चालान कर दिया था। विधायक ने इसकी शिकायत डीजीपी से की। इस पर डीजीपी ने जांच एसपी सिटी सरिता डोबाल को सौंपी है। हालांकि, विधायक प्रदीप बत्रा ने कहा कि इस मामले में वीडियो का एक अंश ही दिखाया जा रहा है। आरोप है कि उनकी बहस की शुरुआत और दारोगा की टिप्पणियों को जानबूझकर हटा दिया गया है। प्रदीप बत्रा के अनुसार, यदि वह गलत भी थे तो भी दारोगा ने उनसे गलत लहजे में बात की। आरोप है कि पुलिसकर्मी मसूरी में पर्यटकों से अभद्र व्यवहार कर रहे थे। विधायक ने हस्तक्षेप किया तो पुलिसकर्मी उन्हीं से उलझ गए। विधायक ने डीजीपी से शिकायत की है कि पर्यटकों के बीच पुलिस प्रदेश की गलत छवि बना रही है।

    मसूरी में भाजपा विधायक का मास्क नहीं पहनने पर दारोगा नीरज कठैत ने चालान काटा था। बुधवार को ही एसएसपी डा. योगेंद्र सिंह रावत ने दारोगा नीरज कठैत का तबादला कालसी करने के आदेश जारी किए। हालांकि, एसएसपी ने कहा कि रूटीन प्रक्रिया के तहत ही यह तबादले किए गए हैं, लेकिन तबादला आदेश जारी होने के बाद इंटरनेट मीडिया पर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ज्यादातर लोग का कहना है कि दारोगा का ट्रांसफर विधायक का चालान करने की वजह से किया गया। कानून सबके लिए एक सामान है। हालांकि, एसएसपी ने बुधवार को जिलेभर में 531 पुलिस कर्मियों के तबादले किए थे, लेकिन मसूरी के दारोगा को कालसी भेजे जाने को सजा के तौर पर देखा जा रहा है।

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