सीएम हरीश रावत से वार्ता के बाद रोडवेज की हड़ताल खत्म
सीएम ने रोडवेज की हड़ताल पर रात सचिवालय में बैठक बुलाई थी। उन्होंने एक हफ्ते में आउटसोर्स के सभी 3000 चालक, परिचालक और तकनीकी कर्मचारियों को विभागीय संविदा पर करने के आदेश दिए।
देहरादून, [जेएनएन]: आउटसोर्स चालकों, परिचालकों और तकनीकी कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग को लेकर गुरुवार को हड़ताल पर गए रोडवेज कर्मियों ने देर रात मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद हड़ताल समाप्त कर दी।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रोडवेज की हड़ताल पर देर रात सचिवालय में आपात बैठक बुलाई थी। जिसमें उन्होंने एक हफ्ते में आउटसोर्स के सभी 3000 चालक, परिचालक और तकनीकी कर्मचारियों को विभागीय संविदा पर करने के आदेश दिए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि इन कर्मचारियों के स्थायी नियमितीकरण को नियमावली बनाकर रोडवेज की बोर्ड बैठक में रखी जाए।
इसी समझौते के साथ हड़ताल खत्म हुई। शुक्रवार सुबह से बसों का संचालन सुचारू होगा। बैठक में मुख्य सचिव एस. रामास्वामी, सचिव वित्त अमित नेगी, रोडवेज के प्रबंध निदेशक बृजेश कुमार संत, महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन शामिल हुए। हड़ताली कर्मियों की तरफ से राज्यमंत्री एवं उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के संरक्षक सुशील राठी, महामंत्री अशोक चौधरी, केपी सिंह, हरेंद्र सिंह और विपिन कुमार मौजूद रहे।
इससे पूर्व रोडवेज कर्मियों की हड़ताल और बसों के चक्का जाम का सूबे में मिलाजुला असर देखने को मिला। कुमाऊं के ज्यादातर डिपो में बसें सुबह ही खड़ी कर दी गई थीं, जबकि गढ़वाल में इसका असर दोपहर से देखने को मिला। शाम होते-होते प्रदेश में करीब 70 फीसद बसों के पहिये थमने की सूचना थी। प्रबंध निदेशक के साथ हुई कर्मियों की वार्ता हुई जिसमें सहमति नहीं बन पाई।
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रोडवेज में लंबे समय से करीब तीन हजार आउटसोर्स कर्मचारियों के विनियमितीकरण की मांग चल रही है। सितंबर में भी उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के बैनर पर आउटसोर्स कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे, लेकिन मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री ने पहले ही दिन उन्हें मना लिया। आश्वासन दिया गया था कि इस मामले पर कैबिनेट बैठक में चर्चा होगी। पिछले दिनों दो बार कैबिनेट बैठक हुई, लेकिन मामला चर्चा में नहीं आया। इससे नाराज यूनियन ने 24 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया था। बुधवार को उत्तराखंड रोडवेज इंप्लाइज यूनियन ने भी हड़ताल को समर्थन दे दिया। रात तक रोडवेज प्रबंधन हड़ताली यूनियन से वार्ता में लगा रहा, लेकिन बात नहीं बनी।
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गुरुवार सुबह कुमाऊं मंडल के टनकपुर, काठगोदाम, पिथौरागढ़, रानीखेत, भवाली, काशीपुर व हल्द्वानी डिपो से एक भी बस नहीं निकली। गढ़वाल मंडल में कोटद्वार, हरिद्वार, ऋषिकेश और रुड़की डिपो में ही सुबह हड़ताल का असर देखने को मिला। देहरादून डिपो में दोपहर तक बसें संचालित होती रहीं। करीब दो बजे से देहरादून के ग्रामीण, डीलक्स व जेएनएनयूआरएम डिपो में संचालन ठप कर दिया गया। हालांकि, पर्वतीय डिपो में बसों का संचालन सुचारू रहा। ऑफ सीजन होने और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़ व पंजाब रोडवेज की बसें सुचारु रूप से संचालित होने के कारण यात्रियों को परेशानी नहीं हुई। कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि प्रदेश में 70 फीसद बस संचालन ठप रहा।
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समय को लेकर हुई गफलत
गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में हड़ताल के मिलेजुले असर की मुख्य वजह समय की गफलत रही। हड़ताल दोपहर से शुरू होनी थी, लेकिन कुमाऊं में सुबह ही कर्मचारी प्रदर्शन को उतर गए।
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