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    नए साल पर दगा दे गया रोडवेज का सर्वर, बसों में ई-टिकट मशीनें नहीं हो पाईं तैयार

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 02 Jan 2020 08:52 PM (IST)

    नए साल के पहले ही दिन सर्वर फेल होने से परिवहन निगम की पूरी सेवा पटरी से उतर गईं। बसों में ई-टिकट मशीनें तैयार नहीं हो पाईं।

    नए साल पर दगा दे गया रोडवेज का सर्वर, बसों में ई-टिकट मशीनें नहीं हो पाईं तैयार

    देहरादून, अंकुर अग्रवाल। नए साल के पहले ही दिन सर्वर फेल होने से परिवहन निगम की पूरी सेवा पटरी से उतर गईं। बसों में ई-टिकट मशीनें तैयार नहीं हो पाईं। परिचालकों को मैनुअल बुक वाले टिकट देकर रूटों पर भेजा गया। इस कारण ऑनलाइन टिकट की बुकिंग पूरे दिन ठप पड़ी रही और यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ी। प्रदेश में बसें निर्धारित समय से देरी से रवाना हुईं। रात तक सर्वर सुचारू नहीं हुआ था। बताया जा रहा कि सर्वर गत दो-तीन दिन से दिक्कत कर रहा था लेकिन बुधवार को यह पूरी तरह दगा दे गया।

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    प्रदेश में रोडवेज का बेड़ा करीब 14 सौ बसों का है। इनमें करीब सौ बसें वाल्वो, 125 एसी, 30 हाईटेक और बाकी सामान्य हैं। इनमें सभी डीलक्स बसों समेत करीब 700 बसों में ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा है। ज्यादातर बसें लंबी दूरी की हैं। इनमें यात्री घर बैठे टिकट बुक करा देते हैं ताकि सीट का झंझट न रहे। ऐसे में सर्वर फेल होने से सैकड़ों यात्री ऑनलाइन सीट बुक नहीं कर सके। इसके अलावा टिकट मशीनें भी बस जाने से पहले ऑनलाइन ही तैयार की जाती हैं। सर्वर के ठप पडऩे की वजह से मशीनों में डाटा फीड नहीं किया जा सका। इसके चलते परिचालक समय से बसों पर नहीं पहुंच सके और बसें लगातार लेट होती चली गईं। परिचालकों को हाथ से बने टिकट दिए गए। हालांकि परिचालक इन्हें लेने को तैयार नहीं थे, मगर अफसरों के दबाव में वही टिकट लेकर उन्हें रूटों पर भेजा गया। परिचालकों का कहना था कि यात्री मशीन के टिकट मांगते हैं और ऐसा न करने पर शिकायत की चेतावनी देते हैं।

    महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि सर्वर एनआइसी दिल्ली से संचालित होता है और तकनीकी दिक्कत वहीं से आई है। लगातार दिल्ली से संपर्क किया जा रहा है, ताकि सर्वर जल्द ठीक हो सके। सर्वर की खराबी का सबसे ज्यादा असर ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर पड़ा है।

    मोबाइल के जरिए चलाया इंटरनेट

    सर्वर के साथ इंटरनेट ब्रॉडबैंड व्यवस्था फेल होने से कई डिपो में परिचालकों और चालकों के मोबाइल फोन से इंटरनेट जोड़ा गया। मोबाइल से मशीनों को तैयार करने में काफी समय लगा। जितनी मशीनें तैयार हो सकीं, उतनी परिचालकों को दे दी गईं और बाकी बसों पर कागज के टिकट बुक थमाई गई।

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    रूटों पर यात्रियों से हुई बहस

    हाथ के टिकट देने, बसों के देरी से चलने और ऑनलाइन टिकट बुक न होने से रूटों पर परिचालकों को यात्रियों के आक्रोश का शिकार बनना पड़ा। कईं रूटों पर यात्रियों के साथ परिचालकों की बहस हुई। इसकी शिकायत परिचालकों ने फोन पर अफसरों को भी दी। पूरा दिन यही सिलसिला चला।

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