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हड़ताल पर रोडवेज कर्मियों की वार्ता विफल, सरकार ने लगाई एस्मा

रोडवेज के चालक और परिचालकों की गुरुवार से प्रस्तावित बेमियादी हड़ताल पर सरकार ने एस्मा लगा दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 14 May 2019 06:32 PM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 08:59 PM (IST)
हड़ताल पर रोडवेज कर्मियों की वार्ता विफल, सरकार ने लगाई एस्मा
हड़ताल पर रोडवेज कर्मियों की वार्ता विफल, सरकार ने लगाई एस्मा

देहरादून, जेएनएन। समान काम समान वेतन और समय पर वेतन देने की मांग पर रोडवेज के चालक-परिचालकों की गुरुवार से प्रस्तावित बेमियादी हड़ताल पर सरकार ने मंगलवार की रात एस्मा यानी अति आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम लागू कर दिया। यह छह महीने तक प्रभावी रहेगा। इससे पहले हड़ताल टालने के लिए मंगलवार को हुई चार स्तरीय वार्ता विफल हो गई।

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शासन की तरफ से सचिवालय में रोडवेज प्रबंध निदेशक आर राजेश कुमार ने इस मसले पर कर्मचारी यूनियन के प्रांतीय नेताओं से वार्ता की, जबकि तीनों मंडल में मंडलीय प्रबंधकों ने यूनियन के नेताओं को बुलाकर वार्ता की। शासन ने इस वक्त लागू आचार-संहिता और रोडवेज के आर्थिक घाटे का हवाला देकर कुछ मोहलत मांगी लेकिन कर्मचारी नहीं मानें और बैठक छोड़ निकल आए। तय हुआ कि गुरुवार सुबह से किसी डिपो से बस संचालन नहीं किया जाएगा। 

उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन द्वारा बेमियादी हड़ताल को लेकर रोडवेज प्रबंधन को दो नोटिस दिए गए हैं। प्रांत कार्यकारिणी ने 24 मई से सभी डिपो और कार्यशालाओं में हड़ताल का एलान किया हुआ है तो मंडल स्तर पर तीनों मंडलों देहरादून, नैनीताल एवं टनकपुर कार्यकारिणी ने 16 मई से चालकों व परिचालकों के कार्य बहिष्कार का एलान किया है। रोडवेज में समान काम व समान वेतन व्यवस्था लागू करने, संविदा व विशेष श्रेणी कर्मियों को नियमित करने और समय पर वेतन देने जैसी प्रमुख मांगों पर यूनियन यूनियन आंदोलनरत है।

इसे लेकर रोडवेज प्रबंध निदेशक आर राजेश कुमार ने प्रांतीय नेताओं के साथ सचिवालय में बैठक की। इसमें महाप्रबंधक निधि यादव, दीपक जैन समेत वित्त नियंत्रक पंकज तिवारी, जबकि यूनियन से प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी, विपिन चौधरी, हरेंद्र कुमार, योगेश राठी व अबरार अहमद मौजूद रहे। प्रबंधन द्वारा दो महीने का लंबित वेतन तत्काल जारी करने पर असमर्थता जताई। जिस पर यूनियन ने वार्ता बीच में छोड़ दी और कार्य बहिष्कार पर अडिग रहने का एलान किया। हड़ताल को लेकर तीनों मंडलों में हुई वार्ता भी देर शाम विफल हो गई। तय हुआ कि 16 मई से चालक-परिचालक कार्य बहिष्कार करेंगे और 24 मई से सभी कर्मचारी बेमियादी कार्य बहिष्कार पर चले जाएंगे। 

मुख्यमंत्री से मंजूरी और लंबी मंत्रणा के बाद लागू किया एस्मा 

आचार संहिता के दौरान आवश्यक सेवा की हड़ताल को देखते हुए शासन रोडवेज कर्मचारियों पर एस्मा लगाने की तैयारी को लेकर सोमवार से तैयारी में जुटा हुआ था। मंगलवार सुबह रोडवेज प्रबंधन ने परिवहन सचिव को इसका प्रस्ताव दिया व देर शाम सचिवालय में लंबी मंत्रणा चली। परिवहन सचिव शैलेश बगोली ने एस्मा को स्वीकृति दे दी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को फाइल अनुमोदन के लिए भेजी। मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलते ही रात आठ बजे से एस्मा लागू कर दिया गया। 

नियमित कर्मियों की छुट्टी पर रोक

कर्मचारी यूनियन की हड़ताल को लेकर रोडवेज प्रबंधन द्वारा नियमित चालकों और परिचालकों की छुट्टियों पर रोक लगाई गई है। दरअसल, कर्मचारी यूनियन में संविदा, विशेष श्रेणी चालक-परिचालकों की संख्या दो हजार से ऊपर है। नियमित कर्मचारियों में से ज्यादातर दफ्तरों में बैठे हैं व नियमित चालक-परिचालकों की संख्या बेहद कम है। जो नियमित चालक-परिचालक छुट्टी पर हैं, उन्हें भी वापस बुला लिया गया है। साथ ही दफ्तर में बैठे पुराने चालकों से भी बसें चलाने की तैयारी है। 

75 फीसद संचालन होगा प्रभावित

हड़ताल से प्रदेश में रोडवेज बसों का 75 फीसद संचालन प्रभावित होने का अनुमान है। दरअसल, मौजूदा वक्त में सबसे ज्यादा बस संचालन संविदा-विशेष श्रेणी चालक और परिचालक ही कर रहे हैं। इनके हड़ताल पर जाने से मैदानी डिपो खासकर ग्रामीण व डीलक्स डिपो, ऋषिकेश, हरिद्वार, कोटद्वार, रुड़की, काशीपुर, नैनीताल, काठगोदाम एवं हल्द्वानी डिपो की व्यवस्था चरमरा सकती है। 

फिर वार्ता को बुलाया

शासन ने रोडवेज कर्मियों को बात मानने का एक और मौका दिया है। सचिवालय में बुधवार सुबह साढ़े नौ बजे प्रबंध निदेशक ने दोबारा वार्ता बुलाई है, जिसमें यूनियन के प्रांतीय नेताओं को बुलाया गया है। 

रोडवेज के प्रबंध निदेशक आर राजेश कुमार ने बताया कि कर्मचारियों को समझना चाहिए। वो भी रोडवेज का हिस्सा हैं। आर्थिक घाटे से वे सभी परिचित हैं। भले ही वेतन देर से मिल रहा, लेकिन मिल तो रहा है। हम सीमित संसाधनों में भी कर्मचारी हितों का ख्याल रख रहे हैं। हड़ताल या कार्य बहिष्कार कोई विकल्प नहीं है। मसले बातचीत से सुलझते हैं, हड़ताल से नहीं।

वहीं, कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि कर्मचारी वेतन न मिलने के कारण कार्य बहिष्कार पर जा रहे हैं। ऐसा कोई नियम नहीं है, जो वेतन के बगैर कर्मचारियों को कार्य बहिष्कार करने से रोक सके। सरकार वेतन तो दे नहीं रही, ऊपर से एस्मा लगाने को तैयार है। बिना वेतन दिए कोई सरकार जबरदस्ती काम नहीं ले सकती। इस मर्तबा यूनियन पीछे नहीं हटेगी व जरूरत पड़ी तो सरकार के विरुद्ध हाईकोर्ट भी जाएंगे।

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