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    यातायात अभियान: धार्मिक संगठनों ने भी जगाई यातायात सुधार की उम्मीद

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Sat, 31 Aug 2019 05:09 PM (IST)

    देहरादून में बढ़ रहे यातायात के भारी दबाव को देखते हुए लोगों का कहना है कि शहर की मुख्य सड़कों पर जुलूस-प्रदर्शन और शोभायात्राओं पर तत्काल प्रतिबंध लगना चाहिए।

    यातायात अभियान: धार्मिक संगठनों ने भी जगाई यातायात सुधार की उम्मीद

    देहरादून, जेएनएन। यातायात के भारी दबाव से जूझ रहे शहर की मुख्य सड़कों पर जुलूस-प्रदर्शन और शोभायात्राओं पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर हर वर्ग के व्यक्ति का यही कहना है कि इस तरह का नियम तत्काल लागू किया जाना चाहिए। अच्छी बात यह कि अक्सर सड़कों पर जुलूस-प्रदर्शन करने वाले कार्मिक संगठन, राजनीतिक संगठन व छात्र संगठन भी जागरण की मुहिम से जुड़ चुके हैं। इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा है कि यदि शहर के हित में कोई नियम बनाया जाता है तो वह उसका पालन करने को तैयार हैं। 

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    पिछले कुछ सालों से दून में धार्मिक आयोजनों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। धार्मिक आयोजन जरूर किए जाने चाहिए और यह यह धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी है। मगर, यातायात के बीच ही विभिन्न धार्मिक संगठनों के आयोजनों से शहर का दम भी फूलता रहा है। इसकी वजह यह भी रही कि आयोजनों का प्रबंधन उचित तरीके से नहीं हो पाया। इन सबके बीच सिख समुदाय के संगठनों ने अपनी धार्मिक परंपरा के निर्वहन के साथ शहर की आम जनता का भी ख्याल रखा है। सिख संगठनों ने ऐसे समय पर अपनी यात्राएं निकाली हैं, जब सड़कों पर यातायात का दबाव ना के बराबर रहता है। एक और अच्छी बात यह भी कि विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस दिशा में सहर्ष सहयोग करने की बात भी कही है। 

    सड़कों की दशा को समझते हुए सुबह पांच बजे निकाल रहे नगर कीर्तन 

    उत्तराखंड सिख कोर्डिनेशन कमेटी के प्रवक्ता डीपी सिंह इस बात से पूरी तरह इत्तेफाख रखते हैं कि शहर की मुख्य सड़कों पर यातायात में व्यवधान बनने वाले सभी तरह के आयोजन को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि कमेटी ने भी इस बात को समझा है और दो साल से गुरुगोविंद सिंह के प्रकाश उत्सव पर नगर कीर्तन सुबह पांच बजे निकाला जा रहा है। जब तक सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ती है, तब तक नगर कीर्तन संपन्न भी हो जाता है। इस तरह हमारी धार्मिक परंपरा भी अनवरत चल रही है और जनता को भी किसी तरह की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ रहा। इस निर्णय को लागू कराने में कमेटी पदाधिकारी हरचरण सिंह व गुरदीप सिंह ने विशेष भूमिका निभाई। अन्य संगठनों के पदाधिकारी भी ऐसा करें तो दून को बहुत सुकून प्राप्त होगा। 

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    दो बड़ी यात्राएं देर रात पहुंची दून 

    गुरुद्वारा रेसकोर्स के अध्यक्ष बलबीर सिंह साहनी कहते हैं कि हाल में दून में पाकिस्तान के ननकाना साहिब और कर्नाटक के बिदर से गुरुनानक के 550वें प्रकाश उत्सव पर यात्रा पहुंची थी। यात्रा से शहर की यातायात व्यवस्था में किसी तरह का व्यवधान पैदा न हो, इसे देखते हुए देर रात्रि को यात्रा ने दून में प्रवेश किया। इसके बाद अगली सुबह ही यात्रा ने प्रस्थान भी कर दिया था। भविष्य में भी सिख संगठनों की यात्राओं में नागरिकों की सुविधा को सर्वोपरि माना जाएगा। 

    सड़कों पर दबाव कम करने को प्रतिबंध जरूरी 

    हाजी हसन जैदी जागरण की मुहिम को सहर्ष स्वीकार करते हुए कहते हैं कि किसी भी धर्म का पहला कर्तव्य नागरिकों की बेहतरी ही है। शहर का आकार बढ़ता जा रहा है और धार्मिक आयोजना की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। दूसरी तरफ सड़कों का आकार लगभग वहीं है। ऐसे में यदि मुख्य मार्गों पर धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो वह इसका पालन करेंगे। क्योंकि यह शहर सभी का है और सभी की स्वछंदता का ख्याल रखा जाना जरूरी है। 

    सांकेतिक शोभायात्रा के विकल्प पर भी हो विचार 

    जैन मिलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील जैन जागरण की मुहिम की सराहना करते हुए कहते हैं कि इसमें सभी संगठनों की बात की जा रही है। यदि मुख्य सड़कों पर आयोजनों को प्रतिबंधित करने की बात है तो पुलिस-प्रशासन जो भी निर्णय करेगा, वह उसके साथ रहेंगे। इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि नियम सभी पर समान रूप से लागू हों। शहर की बेहतरी के लिए सभी धार्मिक संगठन जरूर किसी भी प्रतिबंध को स्वीकार करेंगे। इस तरह के प्रयास भी किए जा सकते हैं कि सांकेतिक यात्रा निकाली जाए और वह अधिकतम 20 मिनट में संपन्न भी हो जाए। 

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    सभी संगठनों को विश्व में लेना जरूरी 

    टपकेश्वर मंदिर के महंत कृष्णा गिरी कहते हैं कि पौराणिक परंपराओं को भी जारी रहना चाहिए और सड़कों की व्यवस्था भी बाधित नहीं होनी चाहिए। वह दून शहर की बेहतरी के पक्ष में खड़े हैं। हालांकि, यह भी देखा जाना चाहिए कि जो यात्राएं पौराणिक समय से निकल रही हैं, वह जारी रहें। किसी नियम को लागू करने से पहले सभी धार्मिक संगठनों को विश्वास में लेना जरूरी है। सभी की सहमति बनाकर उचित हल निकालना ही श्रेष्ठ कदम होगा।     

    नियम बने तो सभी पर लागू हों 

    राष्ट्रीय वाल्मीकि क्रांतिकारी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगवत प्रसाद मकवाना भी शहर की बेहतरी के लिए कोई भी प्रतिबंध को स्वीकारने को तैयार हैं। उनका सिर्फ यही कहना है कि जो भी नियम बने वह सभी पर समान रूप से लागू होना चाहिए। जिस भी सड़क पर जुलूस-प्रदर्शन प्रतिबंधित किया जाता है, उस पर किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होने चाहिए। 

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