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    यातायात अभियान: सड़कों पर अधिकार को आगे गए सामाजिक संगठन Dehradun News

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Fri, 30 Aug 2019 03:31 PM (IST)

    दून की बेहतरी के लिए तमाम मुद्दों पर सक्रिय होकर काम करने वाले सामाजिक संगठन और आवासीय समितियों के प्रतिनिधि निरंतर बिगड़ रही यातायात व्यवस्था को लेकर खासे चिंतित हैं।

    यातायात अभियान: सड़कों पर अधिकार को आगे गए सामाजिक संगठन Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। शहर की बेहतरी के लिए तमाम मुद्दों पर सक्रिय होकर काम करने वाले सामाजिक संगठन और आवासीय समितियों के प्रतिनिधि निरंतर बिगड़ रही यातायात व्यवस्था को लेकर खासे चिंतित हैं। समय-समय वह यातायात सुधार के लिए पुलिस-प्रशासन को सुझाव भी देते रहे हैं। शहर की यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए चलाई जा रही जागरण की मुहिम ने ऐसे संगठनों की उम्मीद को न सिर्फ बढ़ाने का काम किया है, बल्कि वह इससे सहर्ष जुड़कर अपनी तरफ से भी सहयोग करने को तैयार हैं। 

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    सामाजिक सेवा से जुड़े प्रतिनिधियों का कहना है कि उन्होंने इस शहर को राजधानी बनते देखा है और इसके बाद पल-पल यहां के बिगड़ते हालात को भी करीब से देखा है। उनका मानना है कि यातायात की समस्या बेकाबू हालात की तरफ तेजी से बढ़ रही है। सड़कों की लगभग चौड़ाई वही है, मगर दबाव कई गुना बढ़ गया है। आए दिन होने वाले जुलूस-प्रदर्शन, धार्मिक आयोजनों ने तो स्थिति को पूरी तरह से विकट बना दिया है। दूसरी तरफ इस तरह के आयोजनों में किसी भी तरह के नियमों का भी पालन नहीं किया जाता है। 

    सामाजिक सद्भाव का संदेश देने वाले धार्मिक कार्यक्रमों तक में घंटों सड़कों को घेरकर रखा जाता है। ऐसे में कभी एंबुलेंस जाम में फंस जाती है, तो कभी स्कूली बच्चों और बुजुर्ग लोगों को अनावश्यक परेशानी झेलनी पड़ती है। जागरण फोरम में सामाजिक रूप से सक्रिय लोगों ने खुलकर इस बात को कहा कि सड़कों पर चलने के लिए सभी तरह के नियम बनाए गए हैं और उनका पूरी तरह पालन कराया जाना जरूरी है। यदि इस दिशा में पुलिस या प्रशासन के स्तर से ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो इस बारे में पीएमओ और न्यायालय को भी पत्र भेजा जाएगा। 

    सभी आवासीय समितियों को करेंगे एकजुट 

    दून रेजीडेंट्स वेलफेयर फ्रंट के अध्यक्ष प्रो. महेश भंडारी का कहना है कि मुख्य सड़कों पर किसी भी तरह के आयोजन को प्रतिबंधित करने का यह मतलब नहीं है कि किसी भी संगठन या व्यक्ति की अभिव्यक्ति छीनी जा रही है। इसका आशय यह है कि शहर के लाखों लोगों की राह सुगम की जा रही है। शहर के इस बड़े मसले को लेकर फ्रंट के दायरे वाली सभी आवासीय समितियों को एकजुट किया जाएगा। 

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    स्वछंदता सुविधा में बाधक नहीं बन सकती 

    रिटायर्ड जिला जज और चशायर होम्स के अध्यक्ष पीसी अग्रवाल का कहना है कि किसी भी संगठन को अपनी बात कहने या प्रदर्शित करने का अधिकार है। मगर, यह अधिकार वहां सीमित हो जाता है, जहां दूसरे लोगों की स्वछंदता बाधित हो जाती है। शहर की सड़कों पर आए दिन होने वाले जुलूस-प्रदर्शनों में ऐसा ही होता है और पुलिस-प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से दूर हटकर मूकदर्शक बना रहता है। अब समय आ गया है कि हर नागरिक को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। बदलाव तभी संभव है। 

    सुगम यातायात का अधिकार मांगने का समय 

    हिम फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय बहुगुणा जागरण की मुहिम का स्वागत करते हुए कहते हैं कि जन-जन को इससे जुड़कर सड़कों पर सुगम यातायात के अपने अधिकार की मांग करनी चाहिए। क्योंकि पुलिस या प्रशासन अब तक सड़कों पर व्यवस्थित ढंग से चलने वालों को ही इधर-उधर दौड़ाती रहती है। ट्रैफिक डायवर्ट कर जाम की समस्या दूर नहीं होती, बल्कि इससे दूरी और बढ़ जाती है। 

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    मुख्य सड़कों पर सिर्फ यातायात का अधिकार 

    लॉयंस क्लब (हिमगिरी) के अध्यक्ष जितेंद्र दंदोना का स्पष्ट मानना है कि जुलूस-प्रदर्शन आदि को सड़कों की जगह नियत स्थान पर किया जाना चाहिए। क्योंकि मुख्य सड़कों पर किसी भी तरह का आयोजन किया जाना लाखों लोगों की सुविधा छीनने जैसा ही कदम है। जल्द ही अधिक से अधिक लोगों को जागरण की मुहिम से जोड़कर चेतना आंदोलन छेड़ा जाएगा। 

    युवाओं को आना होगा आगे, फिर होगा बदलाव 

    युवा छात्रों की स्वयंसेवी संस्था मैड के सदस्य करन कपूर का कहना है कि यदि शहर में बदलाव की बयार लानी है तो युवाओं को भी आगे आना होगा। अच्छी बात यह है कि आज का युवा इस बात को समझने भी लगा है कि सड़कों पर किसी भी तरह के आयोजन नहीं किए जाने चाहिए। उन्होंने विश्वास भी दिलाया कि मैड इसको लेकर सरकार और शासन की आत्मा को भी झकझोरेगा और युवा को भी एकजुट करने का काम करेगा। 

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