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    जागरण की इस मुहिम से जुड़े कार्मिक संगठन, सड़कों पर जुलूस से परहेज Dehradun News

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Tue, 27 Aug 2019 04:58 PM (IST)

    मुख्य सड़कों पर धरना-प्रदर्शन जुलूस और धार्मिक आयोजनों को लेकर चलाई जा रही जागरण की मुहिम को बड़ी संख्या में जनसमर्थन प्राप्त हो रहा है।

    जागरण की इस मुहिम से जुड़े कार्मिक संगठन, सड़कों पर जुलूस से परहेज Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। दून की मुख्य सड़कों पर धरना-प्रदर्शन, जुलूस और धार्मिक आयोजनों को लेकर चलाई जा रही जागरण की मुहिम को बड़ी संख्या में जनसमर्थन प्राप्त हो रहा है। लोगों का एक स्वर में यही कहना है कि मुख्य सड़कों पर सिर्फ यातायात का संचालन किया जाना चाहिए। अब अच्छी बात यह है कि इस मुहिम से कार्मिक संगठन भी जुड़ रहे हैं। 

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    शहर के लोगों की एक शिकायत यह भी रही है कि कार्मिक संगठनों के जुलूस-प्रदर्शन भी मुख्य सड़कों पर होते हैं, जिससे यातायात के दबाव से पहले ही जूझ रही सड़कों पर स्थिति और विकट हो जाती है। कई दफा तो लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। पुलिस और प्रशासन के आंकड़ों में भी यह साफ हुआ है कि सड़कों पर जुलूस-प्रदर्शन करने वालों में कार्मिक वर्ग की संख्या काफी अधिक है।

    हालांकि, अब कार्मिक संगठनों ने इस स्थिति के विपरीत न सिर्फ मुख्य सड़कों पर जुलूस-प्रदर्शन को शहर के लिए परेशानी की वजह बताया है, बल्कि यह भरोसा भी दिलाया है कि वह इस बात का पूरा ख्याल रखेंगे कि सड़कों पर किसी भी तरह का जुलूस-प्रदर्शन न हो। साथ ही यह भी कहा गया है कि बिना पुलिस-प्रशासन की अनुमति के कोई भी आयोजन नहीं किया जाता है। यदि अधिकारी ही सड़कों पर आयोजन की अनुमति न दें तो इस तरह प्रथा पर स्वयं ही अंकुश लग जाएगा। 

    उत्तराखंड कार्मिक शिक्षक और आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा के मुख्य संयोजक ठा. प्रह्लाद सिंह ने कहा कि जागरण की इस पहल का पूरा कार्मिक जगत स्वागत करता है और भरोसा दिलाता है कि सड़कों पर धरना-प्रदर्शन नहीं किए जाएंगे। संयुक्त मोर्चा के तहत आने वाले सभी संगठनों को इस बाबत जल्द अवगत करा दिया जाएगा। क्योंकि यह सभी का कर्तव्य है कि सड़कों पर आयोजन कर आमजन को मुश्किल में न डाला जाए। यह कदम इसलिए भी उठाया जाना चाहिए कि कई दफा जुलूस-प्रदर्शन के दौरान सड़क पर एंबुलेंस को भी रास्ता नहीं मिल पाता। 

    उत्तराखंड सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी कहते हैं कि कुछ समय पहले जब कार्मिकों के वेतन-भत्तों में कटौती को लेकर सरकार के खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन चलाया गया था तो तब भी उसका संचालन लैंसडौन चौक स्थित धरना स्थल पर किया गया था। भविष्य के लिए भी हम विश्वास दिलाते हैं कि शहर हित में चलाई जा रही जागरण की मुहिम के अनुरूप संघ भी साथ खड़ा रहेगा। दूसरे संगठनों को भी शहर की भलाई के लिए जोड़ा जाएगा और उम्मीद है कि एक नई पहल जरूर अमल में लाई जाएगी। 

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    मिनिस्टीरियल फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील दत्त कोठारी का कहना है कि यह शहर हम सबका है। इसे बेहतर रखने की जिम्मेदारी हम पर भी है। सरकार के समक्ष विरोध जताने के लिए और भी कई माध्यम हैं और भविष्य के लिए तय किया जाएगा कि सड़कों पर किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शन न किए जाएं। सभी मिनिस्टीरियल संगठनों को शहर के हित में एकजुट कर स्पष्ट राय कायम की जाएगी। यह भी तय किया जाएगा कि सरकारी प्रतिष्ठनों पर भी जहां विरोध-प्रदर्शन किए जाएंगे, वहां जनहित का पूरा ध्यान रखा जाएगा। 

    राज्य निगम कर्मचारी महासंघ के महासचिव सूर्यप्रकाश राणाकोटी ने कहा कि स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है कि दैनिक जागरण की ओर से चलाई जा रही मुहिम आमजन की आवाज बन रही है। जो लोग इस तरह के आयोजनों के बीच बेबसी से झुंझलाते नजर आते हैं, वह आवाज उठाने लगे हैं। ऐसे में कार्मिक संगठनों को भी इस बात को समझना होगा। राज्य निगम कर्मचारी महासंघ की तरफ से मैं भी इस तरह की पहल करने के लिए उत्सकु हूं। भविष्य में मुख्य सड़कों पर धरना-प्रदर्शन से परहेज किया जाएगा। 

    वहीं, राजकीय वाहन चालक महासंघ के प्रदेश महामंत्री संदीप मौर्य कहते हैं कि कार्मिक संगठन जुलूस-प्रदर्शन के लिए काफी समय पहले ही सरकार को नोटिस दे देते हैं। पुलिस-प्रशासन से इसकी अनुमति प्राप्त की जाती है और नियमावली में भी प्रावधान है कि मर्यादित होकर व शहर की व्यवस्था में बनाए रखते हुए विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा। हालांकि, अधिक भीड़ के चलते अक्सर व्यवस्थाएं ध्वस्त हो जाती हैं। भविष्य में सड़कों पर आयोजन से परहेज किया जाएगा और पुलिस-प्रशासन से भी आग्रह है कि वह ऐसे आयोजनों को अनुमति ही प्रदान न करे। 

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