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उत्तराखंड में छह महीने बाद मिली अतिरिक्त बिजली मूल्य से राहत

करीब छह महीने बाद उत्तराखंड के करीब 24 लाख विद्युत उपभोक्ताओं को अतिरिक्त बिजली मूल्य (एईसी) से राहत मिल गई है। इसे जारी रखने का प्रस्ताव खारिज हो गया।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 11:11 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2020 11:11 AM (IST)
उत्तराखंड में छह महीने बाद मिली अतिरिक्त बिजली मूल्य से राहत
उत्तराखंड में छह महीने बाद मिली अतिरिक्त बिजली मूल्य से राहत

देहरादून, जेएनएन। करीब छह महीने बाद उत्तराखंड के करीब 24 लाख विद्युत उपभोक्ताओं को अतिरिक्त बिजली मूल्य (एईसी) से राहत मिल गई है। हालांकि यूपीसीएल ने इसे वर्ष 2020-21 में जारी रखने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया है।

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बता दें कि सितंबर 2019 में उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड में घाटे का हवाला देते हुए यूईआरसी के समक्ष बिजली मूल्य बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था। जिसे स्वीकार करते हुए आयोग ने घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर बड़े व छोटे उद्योगों से 22 पैसे से लेकर 50 पैसे प्रति यूनिट तक का अतिरिक्त बिजली मूल्य वसूलने की सहमति दे दी थी। 

इस पर अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक निगम ने इसकी वसूली की। वहीं, वर्ष 2020-21 के लिए निगम ने जब प्रस्तावित टैरिफ प्लान भेजा तो उसमें इसे जारी रखने की बात कही गई थी, लेकिन यूईआरसी ने इसे आगे जारी रखने की अनुमति नहीं दी। 

उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के सचिव नीरज सती ने बताया कि निगम के प्रस्ताव का अध्ययन करने के बाद और नियमों को देखते हुए अतिरिक्त बिजली मूल्य को जारी रखने का औचित्य नहीं था। वहीं आयोग के इस फैसले से उपभोक्ताओं को राहत मिली है।

अशासकीय शिक्षकों ने की वेतन की मांग

प्रदेश के अशासकीय स्कूलों में तैनात शिक्षकों व कर्मचारियों को पिछले दो महीनों से वेतन नहीं मिला है। वेतन न मिलने से शिक्षक और कर्मचारी परेशान हैं। प्रधानाचार्य परिषद ने शिक्षा विभाग और सरकार से शीघ्र वेतन जारी करने की मांग की है। 

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उत्तरांचल प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश महामंत्री एके कौशिक ने बताया कि प्रदेश में किसी भी अशासकीय स्कूल के शिक्षक और कर्मचारियों को दो महीने से वेतन नहीं मिला है। अब अप्रैल का महीना भी गुजरने को है। लंबे समय से वेतन नहीं मिलने के कारण शिक्षकों के सामने आर्थिक समस्या बढ़ती जा रही है। जिसके कारण घर चलाना मुश्किल हो गया है।

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