15 साल बाद उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने दिखाई दरियादिली, पढ़िए
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने भी दरियादिली दिखाई है। करीब 15 साल बाद यह पहला मौका है जबकि आयोग ने विद्युत टैरिफ की दरें घटाई हैं।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना संकट के चलते पूरा देश लॉकडाउन है। उद्योग-धंधे बंद पड़े हैं। मध्य वर्ग से लेकर हर किसी की आर्थिकी डांवाडोल हो गई है। ऐसे समय में जब हर तरफ से राहत की मांग उठ रही है।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने भी दरियादिली दिखाई है। करीब 15 साल बाद यह पहला मौका है, जबकि आयोग ने विद्युत टैरिफ की दरें घटाई हैं। आपदा के समय साल 2013 में जब राज्य भयावह संकट के दौर से गुजर रहा था, उस समय भी नियामक आयोग ने न तो टैरिफ बढ़ाया और न ही घटाया।
उत्तराखंड में विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या 24 लाख के करीब है। इसमें करीब 43 फीसदी उपभोक्ता ऐसे हैं जो हर महीने सौ यूनिट से भी कम बिजली खर्च करते हैं। ऊर्जा प्रदेश होने की वजह से यहां लंबे समय से मांग उठती रही है कि यहां बिजली उत्पादन होने के बाद भी उन राज्यों से महंगी बिजली दी जा रही है, जो राज्य स्वयं विद्युत उत्पादन नहीं करते। बीते छह मार्च को जब विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल की ओर से पेश प्रस्तावित दरों पर सुनवाई की तो आम उपभोक्ताओं और किसानों की ओर से यही तर्क दिया गया था। कहा गया था कि यहां बिजली की दरें उपभोक्ताओं की कमर तोड़ने वाली हैं। वहीं, लोगों ने यह भी कहा था कि उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड अपने खर्चों में कटौती करे। उपभोक्ताओं पर भार न बढ़ाया जाए। नियामक आयोग के अध्यक्ष डीपी गैरोला, सदस्य तकनीकी एमके जैन ने सुनवाई के बाद यूपीसीएल के खर्चो पर बारीकी से गौर करने के बाद शनिवार को नई टैरिफ दरों की घोषणा कर दी।
.तो 13 फीसद तक महंगी हो जाती बिजली
यूपीसीएल ने वर्ष 2020-21 के लिए 7.70 प्रतिशत, पिटकुल, एसएलडीसी व यूजेवीएनएल ने भी टैरिफ दरों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव दिया था। आयोग का कहना है कि यदि निगमों के प्रस्ताव को मूलरूप से स्वीकृत कर लिया जाता तो विद्युत टैरिफ की दरें घटने के बजाय करीब तेरह फीसदी तक बढ़ जातीं। जिसका पूरा असर कोरोना संकट से जूझ रहे आम उपभोक्ताओं और उद्योग-धंधों पर पड़ता।
अविरल आपूर्ति सरचार्ज को घटाया
प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति पर भी निगम अविरल आपूर्ति सरचार्ज वसूलता है। विद्युत नियामक आयोग के सचिव नीरज सती ने बताया कि इस सरचार्ज को दस फीसदी से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
प्रीपेड मीटर पर चार फीसद की छूट
आयोग ने प्रदेश में प्रीपेड मीटर को बढ़ावा देने के लिए छूट की घोषणा की है। जो घरेलू उपभोक्ता घरों में प्रीपेड मीटर लगवाते हैं, उन्हें विद्युत प्रभार में चार फीसदी की राहत दी जाएगी। वहीं एलटी उपभोक्ताओं को पूर्व में मिलने वाली तीन फीसदी की छूट को यथावत रखा गया है।
उद्योगों का ग्रेस पीरियड खत्म
नई टैरिफ दरों की घोषणा करते हुए आयोग ने माना कि यूपीसीएल के बिलिंग कार्यों में सुधार आया है। अब लोगों तक समय से विद्युत बिल पहुंचा दिया जा रहा है। इसे देखते हुए ऐसे उद्योग-धंधे, जिनकी बिलिंग ऑटोमेटिक मीटर रीडिंग (एएमआर) के जरिये हो रही है। उन्हें बिल भुगतान में मिलने वाले रियायत अवधि को समाप्त कर दिया गया है। अब उन्हें देय तिथि के भीतर ही विद्युत बिलों का भुगतान करना होगा। देय तिथि के उपरांत विलंब शुल्क वसूला जाएगा। हालांकि, निगम को यह सुनिश्चित करना होगा कि बिल निर्धारित तिथि से कम से कम 15 दिन पहले पहुंचा दिया जाए।
क्या बोले यूपीसीएल के एमडी
उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्र ने कहा कि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने विद्युत उपभोक्ताओं को राहत दी है। कोरोना संकट को देखते हुए यह फैसला सराहनीय है। हालांकि, आयोग ने निगम के खर्चों में कटौती की है। इसका असर निगम के कुछ प्रोजेक्ट पर भी पड़ सकता है। अभी हमारा पूरा फोकस कोरोना संकट के बीच निर्बाध विद्युत आपूर्ति बनाए रखना है। आयोग के टैरिफ आर्डर का अध्ययन किया जा रहा है, यदि आवश्यकता पड़ी तो आयोग के समक्ष अपील दाखिल की जाएगी।
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इलेक्टिक वाहनों को प्रोत्साहन
नियामक आयोग ने प्रदेश में इलेक्टिक वाहनों के चार्जिंग में भी राहत दी है। अलग पब्लिक इलेक्टिक चार्जिंग की अलग श्रेणी बनाई गई है। यहां साढ़े पांच रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली का भुगतान करना होगा। वहीं, ऐसे लोग जो अपने वाहनों को अपने घरों में ही चार्ज कर रहे हैं, उन्हें भवन या परिसर में लिए कनेक्शन की निर्धारित दरों पर ही विद्युत टैरिफ का भुगतान करना होगा।
उत्तराखंड में नौ मिनट तक 280 मेगावाट कम हुआ बिजली का लोड
तो 50 फीसद सस्ती हो जाएगी बिजली
प्रदेश में बिजली टैरिफ की दरों में कमी से भी बहुत राहत की उम्मीद नहीं है। आरटीआइ क्लब के महासचिव एएस धुमका का कहना है कि आयोग एकतरफ राहत देता है तो दूसरी तरफ किसी तरफ बढ़ोत्तरी कर देता है। जैसे विद्युत टैरिफ घटाया गया, लेकिन फिक्स चार्ज बढ़ा दिया गया। आयोग को यह देखना होगा कि निगम अपनी सुविधाओं में कितनी कटौती करने को तैयार है। यदि राजस्थान, हिमाचल, हरियाणा की तरह निगम इसके लिए तैयार हो तो बिजली यहां पचास फीसदी से भी सस्ती हो सकती है।
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