रामगंगा विद्युत परियोजना को खतरा, हो सकती है कोई अनहोनी
रामगंगा जल विद्युत परियोजना की 20 साल से मरम्मत कार्य नहीं हुआ है। इससे परियोजना को खतरा पैदा हो गया है। अगर कोई अनहोनी हुई तो जान-माल की हानि से इन्क ...और पढ़ें

देहरादून, [जेएनएन]: 20 साल से मरम्मत कार्य नहीं होने से रामगंगा (198 मेगावाट) जल विद्युत परियोजना को खतरा पैदा हो गया है। अगर कोई अनहोनी हुई तो जान-माल की हानि से इन्कार नहीं किया जा सकता। ऐसा नहीं कि मरम्मत कार्य नहीं हो रहे। लेकिन, जल विद्युत गृह उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) का है तो डैम सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश का। लेकिन उत्तर प्रदेश से डैम क्लोजर की अनुमति नहीं मिल रही और खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्तमान स्थिति ये है कि सिंचाई विभाग ने तो सहमति जता दी है, लेकिन अभी तक उत्तर प्रदेश शासन से क्लोजर के संबंध में लिखित आदेश जारी नहीं हुए।
रामगंगा जल विद्युत गृह (कालागढ़) का निर्माण 1975 में पूरा हुआ। इस परियोजना से उत्तराखंड को बिजली मिलती है तो उत्तर प्रदेश के जिलों को सिंचाई के लिए पानी। पूर्व में वर्ष 1987 और 1997 में मरम्मत कार्यों के लिए डैम क्लोजर हुआ था, क्योंकि हर आठ से 10 साल में मरम्मत का प्रावधान है। इसके बाद से मरम्मत के लिए यूजेवीएनएल की तरफ से कोई खास प्रयास नहीं किए गए।
लेकिन जब 2010 में आई आपदा से परियोजना क्षतिग्रस्त हुई तो यूजेवीएनएल भी नींद से जागा। डैम में जल स्तर कम किए बिना होने वाले कुछ काम तो कराए, जिससे बिजली उत्पादन हो सके। लेकिन हाइड्रो मैकेनिकल उपकरण जैसे टरबाइन, रनर, गाइडवेंस, ड्राफ्ट ट्यूब, सिलिंड्रिकल गेट उपकरणों की मरम्मत नहीं हो सकी। इससे विद्युत गृह में जल रिसाव बढ़ता जा रहा है।
साथ ही क्षमता के अनुरूप बिजली उत्पादन भी नहीं हो रहा। मरम्मत नहीं होने से पाइप लाइन फटने, वाल्व फेल होने और सिलिंड्रिकल गेट पूरी तरह बंद होने का खतरा बना है। अगर ऐसा हुआ तो जल विद्युत गृह डूबने के साथ उत्तर प्रदेश को सिंचाई के लिए पानी मिलना भी बंद हो जाएगा।
302 मीटर करना है जलस्तर
बांध की जल भंडारण क्षमता 2448 मिलियन घनमीटर है। जबकि इसका औसत जलस्तर 365 मीटर है। वर्तमान में डैम में 328 मीटर जलस्तर बना है, लेकिन मरम्मत कार्यों के लिए इसे 302 मीटर तक लाना है।
मानसून से पहले होनी है मरम्मत
यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा ने बताया कि डैम क्लोजर के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। मार्च और अप्रैल में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ मुरादाबाद और लखनऊ में दो महत्वपूर्ण बैठक भी हुईं। सहमति बन गई है तो सिंचाई विभाग ने प्रस्ताव शासन को भेजा है। 15 जून से 15 अक्टूबर तक मानसून अवधि होती है। यानी मरम्मत कार्य मानसून शुरू होने से पहले ही हो सकते हैं।
करीब 25 करोड़ रुपये होंगे खर्च
जल विद्युत गृह और डैम की मरम्मत पर करीब 25 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। डैम की मरम्मत सिंचाई विभाग करेगा, लेकिन पैसा यूजेवीएनएल देगा। जल विद्युत गृह के साथ डैम के भी कुछ कार्य यूजेवीएनएल करेगा।
इन जिलों को मिलता है पानी
बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, रामपुर, एटा, मैनपुरी, फरुर्खाबाद, शाहजहांपुर, कानपुर, इलाहाबाद समेत 12 जिलों को पानी की आपूर्ति होती है।
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