Positive India: दूसरों के लिए धड़कता है खाकी का दिल, कोई भूखा न रहे; इस फिक्र में भूख-प्यास भूले
खुद की भूख प्यास भूलकर पुलिस लाइन में बने स्टेट कोरोना कंट्रोल रूम के प्रभारी एसपी क्राइम लोकजीत सिंह जरूरतमंदों की मदद करने में जुटे हैं।
देहरादून, जेएनएन। खाकी के पीछे संवेदनशील इंसान का दिल दूसरों के लिए किस तरह धड़कता है। यह देखना हो तो पुलिस लाइन में बने स्टेट कोरोना कंट्रोल रूम के प्रभारी एसपी क्राइम लोकजीत सिंह से रूबरू होना होगा। हर दिन सुबह छह बजे से रात के बारह बजे तक 18 घंटे की कड़ी ड्यूटी के दौरान उन्हें एक ही फिक्र होती है कि राज्य में कहीं भी कोई भूखा न रहे। यही नहीं, वह इस बात का भी ख्याल रख रहे हैं कि अन्य प्रांतों में फंसे उत्तराखंड वासियों तक जरूरत का सामान पहुंच रहा है या नहीं। उनकी कुशलता जानने के लिए कंट्रोल रूम में आने वाले हर फोन के बारे में अपडेट लेते रहते हैं। इस दौरान उन्हें अपने खाने का भी ध्यान नहीं रहता। मेस के कर्मचारी जब दो-तीन बार उन्हें याद दिलाते हैं तब वह बाकी पुलिस कर्मियों के साथ भोजन करते हैं।
जरूरतमंद तक राशन पहुंचा कर मिलती है खुशी
लोकजीत सिंह कहते हैं कि कंट्रोल रूम में राशन के लिए आने वाले फोन कॉल का अलग ब्योरा तैयार कराते हैं। फिर इसकी जानकारी संबंधित थाने को भेज दी जाती है। वहां से उन तक जरूरत का सामान पहुंचा दिया जाता है। अगले दिन उनसे फीडबैक लिया जाता है, जबकि खुश होकर कहते हैं कि संकट के दौरान पुलिस देवदूत बनकर आई तो सारी थकान दूर हो जाती है।
फंसे लोगों तक पहुंचाई मदद
पुलिस कंट्रोल रूम के नंबर को उन लोगों से भी साझा किया गया है कि जो महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश या अन्य राज्यों में फंसे हैं। इन लोगों के फोन आने पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत होती है, क्योंकि देरी होने से उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसे में संबंधित राज्य की पुलिस से संपर्क करने में देरी का सवाल नहीं उठता। लोकजीत सिंह कहते हैं कि उन्हें भूख-प्यास ही क्यों न लगी हो। जब तक उन तक मदद नहीं पहुंच जाती, खुद को चैन नहीं आता।
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लॉकडाउन का करें पालन
लोकजीत सिंह कहते हैं कि जब लॉकडाउन उल्लंघन की खबरें आती है तो तकलीफ होती है। वह कहते हैं कि पुलिस दिन-रात इस मुहिम में लगी है कि कैसे कोरोना वायरस को फैलने से रोका जाए। पुलिस की मेहनत तभी सफल होगी, जब लोग घरों में रहें और लॉकडाउन का पालन करें।
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