गरीब परिवारों का बचपन संवारने को थाने में पुलिस दे रही आखर ज्ञान
पुलिस कर्मियों की प्रेरणा से गरीब परिवारों के बच्चे रोजाना पढ़ाई करने के लिए प्रेमनगर थाने में पहुंच रहे हैं। पुलिस इन बच्चों का स्कूल खर्च भी वहन कर रही।
देहरादून, [संतोष तिवारी]: गरीब परिवारों के बच्चों को साक्षर बनाने और उनमें जीवन में कुछ कर गुजरने की चाह पैदा करने के लिए प्रेमनगर (देहरादून) पुलिस की पहल रंग लाने लगी है। पुलिस कर्मियों की प्रेरणा से गरीब परिवारों के बच्चे रोजाना पढ़ाई करने के लिए प्रेमनगर थाने में पहुंच रहे हैं। पढ़ाई करने के लिए पुलिस इन बच्चों को न सिर्फ छत मुहैया करा रही है, बल्कि उनके लिए कापी-किताब, स्कूल बैग, भोजन व स्कूल वैन की भी निश्शुल्क व्यवस्था कर रही है।
प्रेमनगर पुलिस ने इस अनूठी पहल की शुरुआत इसी वर्ष मार्च में की थी। बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक भी तैनात की गई। साथ ही क्षेत्र में अभियान चलाकर गरीब परिवारों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया गया।
कुछ परिवारों ने इस पर सहमति जताई, लेकिन स्कूल में बच्चों का खर्चा वहन करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। इसके लिए पुलिस ने 'आसरा' ट्रस्ट का सहयोग लिया। संस्था ने जनसहयोग से बच्चों के लिए कापी-किताब, स्कूल बैग आदि का इंतजाम किया। लेकिन, समस्या यह थी कि बच्चों को बैठाया कहां जाए।
इस पर पुलिस की ओर से प्रेमनगर थाने के बाहर खाली पड़ी जमीन पर बच्चों के बैठने की व्यवस्था की गई। हालांकि, अप्रैल में गरमी बढ़ने के बाद बच्चे दोपहर के वक्त तो थाने में बने मंदिर में चले जाते और धूप ढलने पर फिर खुले में आ जाते।
लेकिन, बरसात शुरू होने पर एक बार फिर बच्चों को बैठाने की समस्या आ खड़ी हो गई। ऐसे में थानाध्यक्ष मुकेश त्यागी ने थाने के भीतर ही कक्षाएं लगाने का निर्णय लिया। इसके बाद से कक्षाएं थाने में ही चल रही हैं। खास बात यह कि पुलिस कर्मी बच्चों की हर जरूरत का ख्याल रखते हैं।
दो शिफ्ट में चलता है स्कूल
प्रेमनगर थाने में खुला यह स्कूल दो शिफ्ट में चलता है। शिक्षक राखी बताती हैं कि पहला सत्र पूर्वाह्न 11 बजे से शुरू होकर दोपहर एक बजे तक चलता है। इसमें 50 के आसपास बच्चे शामिल होते हैं।
जबकि, दोपहर डेढ़ बजे से सवा तीन बजे तक चलने वाले सत्र में 30 के आसपास बच्चे आते हैं। सभी बच्चे पांच से लेकर दस साल तक की उम्र के हैं।
परिसर में बनवाएंगे क्लास रूम
थानाध्यक्ष एसओ मुकेश त्यागी ने बताया कि फिलहाल बच्चे थाने के बरामदे और परिसर में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जिससे धूप व बारिश में उन्हें दिक्कत होती है। लेकिन, अब उनका प्रयास है थाना परिसर में ही एक कमरे का निर्माण कराया जाए। ताकि बच्चे सुकून एवं तन्मयता से पढ़ाई कर सकें।
पुलिस ने दिलाई स्कूल वैन
पुलिस की ओर से न सिर्फ बच्चों को पढ़ाई के लिए आसरा दिया गया, बल्कि उन्हें स्कूल लाने-ले जाने के लिए वैन का भी इंतजाम किया गया है। यह वैन रोजाना दो शिफ्ट में बच्चों को स्कूल लाती-ले जाती है। इसके लिए बच्चों के अभिभावकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
समाज से पुलिस का सीधा जुड़ाव
एसएसपी देहरादून निवेदिता कुकरेती कुमार के अनुसार कम्युनिटी पुलिसिंग का अर्थ ही है कि समाज से पुलिस का सीधा जुड़ाव हो। प्रेमनगर में गरीब तबके के बच्चों को पढ़ाने के लिए पुलिस की ओर से थाने में जगह मुहैया कराया जाना इस दिशा में एक कदम है। इससे लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढऩे के साथ पुलिस के संपर्क भी बढ़ेंगे।
जनसहयोग से हो रहा खर्च
आसरा ट्रस्ट के चीफ ऑपरेटिंग ऑफीसर अमित बलोदी के अनुसार स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की उम्र पांच से दस वर्ष के बीच है। इन्हें यहां बेसिक शिक्षा दी जाती है। आने वाले शैक्षणिक सत्र में इन बच्चों को ट्रस्ट के माध्यम से आसपास के सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाया जाएगा। स्कूल पर आने वाले खर्चों की व्यवस्था जनसहयोग से की जाती है। इसके अलावा ट्रस्ट देहरादून जिले में गरीब परिवारों के दो हजार बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहा है।
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