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    सही मायनों में द्रोणाचार्य हैं नत्थीलाल, इनके पढ़ाए बच्चे बड़ें पदों पर आसीन

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Mon, 03 Sep 2018 08:50 PM (IST)

    सही मायनों में द्रोणाचार्य हैं प्रधानाचार्य नत्थीलाल बंगवाल। जो पिछले 26 वर्ष से विद्यालय में शिक्षा ही नहीं बल्कि सफलता रूपी विद्या का पाठ पढ़ा रहे हैं।

    सही मायनों में द्रोणाचार्य हैं नत्थीलाल, इनके पढ़ाए बच्चे बड़ें पदों पर आसीन

    उत्तरकाशी, [जेएनएन]: गुरु के गुरुकुल में शिक्षा रूपी यज्ञ का प्रतिफल तभी सफल माना जाता है जब शिष्य अर्जुन और युद्धिष्ठर जैसे बन सके। इसी तरह का एक गुरुकुल है सरस्वती विद्यामंदिर इंटर कॉलेज चिन्यालीसौड़ और यहां के द्रोणाचार्य हैं विद्यालय के प्रधानाचार्य नत्थीलाल बंगवाल। जो पिछले 26 वर्ष से विद्यालय में शिक्षा ही नहीं बल्कि सफलता रूपी विद्या का पाठ पढ़ा रहे हैं। इनके यज्ञ का प्रतिफल ये है कि यहां से छह विद्यार्थी पीसीएस परीक्षा में निकले हैं, जो विभिन्न विभागों में अधिकारी हैं। आठ विद्यार्थी चिकित्सक और 12 विद्यार्थी इंजीनियर बन चुके हैं। दस विद्यार्थी आज शिक्षक बनकर और विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। पांच विद्यार्थी ऐसे हैं जो बैंक अधिकारी बन चुके हैं। 

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    टिहरी देवप्रयाग सौडू गांव निवासी 49 वर्ष नत्थीलाल बंगवाल बताते हैं 1994 से शिक्षा के कार्य में लगा हूं। आज भी वे बच्चों को हिंदी, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत, रसायन विज्ञान की अतिरिक्त कक्षाएं पढ़ाते हैं। वे कहते हैं जो कार्य करता हूं वह पूरी ईमानदारी से करता हूं। जब शिक्षा के क्षेत्र में आया तब से कुछ और भी नहीं सोचा, बच्चों की शिक्षा कहीं प्रभावित न हो इसलिए अवकाश तक नहीं लिए, बल्कि स्कूल की छुट्टी के बाद भी निश्शुल्क रूप से बच्चों के अतिरिक्त कक्षाएं लगाई। 

    आज भी वे और उनके अन्य आचार्य हर रोज शाम चार बजे से लेकर छह बजे तक बच्चों को निश्शुल्क रूप से पढ़ाते हैं। शिक्षा के साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाता है। खेलकूद से लेकर ज्ञान-विज्ञान की जिला, राज्य व विद्या भारती स्तर पर जितनी भी प्रतियोगिताएं होती हैं उन प्रतियोगिताओं में बच्चों से प्रतिभाग करवाया जाता है। विभिन्न विषयों के विद्वानों को भी स्कूल में आमंत्रित किया जाता है। 

    नत्थीलाल बंगवाल बताते हैं कि वर्ष 2005 से 2018 तक उनके विद्यालय के विद्यार्थी इंटरमीडिएट और हाईस्कूल में प्रदेश के टॉप 25 में अपना स्थान बनाने में कायम रहे हैं। इस बार भी हाईस्कूल में 10 विद्यार्थियों तथा इंटरमीडिएट में एक विद्यार्थी ने प्रदेश के टॉप 25 में अपना स्थान बनाया है। 

    बागेश्वर के बीडीओ आलोक भंडारी कहते हैं कि गुरुजी का ध्यान बच्चों के सर्वांगीण विकास को लेकर सबसे अधिक रहा है। इसके साथ ही स्कूल में व्यक्तित्व विकास के संदर्भ में गतिविधियां भी शुरू की हैं। जिन से उन्हें काफी लाभ मिला है। स्कूल में जो महापुरुषों की प्रेरणादायी बाते बताई गई थी, उन बातों को आज भी वे अपने काम में कार्य रूप देने का प्रयास करते हैं। 

    सीएचसी नौगांव के चिकित्सक डॉ. जगदीप बिष्ट बताते हैं कि स्कूल की छुट्टी के बाद गुरुजी फिर से स्कूल में अतिरिक्त कक्षाओं के लिए बुलाते थे। स्थिति यह थी कि बच्चे कम और गुरुजी अधिक मेहनत करते थे पढ़ाने में। गुरुजी के मार्ग दर्शन के कारण मेहनत करके वे भी चिकित्सक बने हैं। 

    चिन्यालीसौड़ महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर कृष्णा डबराल कहती हैं कि वे एक अच्छे अध्यापक एवं अच्छे प्रशासक हैं। शिक्षा के साथ विद्यालय में अनुशासन एक महत्वपूर्ण गहना है। आचार्य जी के निर्देश में बहुत कुछ सीखा है। उनकी मेहनत का परिणाम यह है कि हर साल उस विद्यालय से टॉपर निकल रहे हैं। 

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