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नाबालिग बहनों के ब्याह ने बदली जीवन की धारा, साइकिल ले मिशन पर निकला

पश्चिम बंगाल का अक्षय भगत साइकिल लेकर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर निकल गया है। वो जगह जगह रुककर लोगों को जागरूक करता है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 03:29 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 09:00 PM (IST)
नाबालिग बहनों के ब्याह ने बदली जीवन की धारा, साइकिल ले मिशन पर निकला
नाबालिग बहनों के ब्याह ने बदली जीवन की धारा, साइकिल ले मिशन पर निकला

गोपेश्वर, [देवेंद्र रावत]: अक्षय भगत, जिसे घर के हालात ने ही विद्रोही बना दिया और निकल पड़ा 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' की अलख जगाने। ताकि जो उसके परिवार में घटा, अन्य किसी के साथ न घटे। घर की खराब आर्थिक स्थिति के चलते पिता ने कच्ची उम्र में ही उसकी दो बहनों की शादी कर दी। वह न तो पढ़ाई कर सकीं और न ही ससुराल में उन्हें सुख-चैन मिला। ससुराली उन्हें लगातार प्रताड़ित करते थे। इससे अक्षय इस कदर व्यथित हुआ कि पढ़ाई तक छोड़ बेटियों के भविष्य के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वर्तमान में वह साइकिल पर देशभर में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा बुलंद कर रहा है। 

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पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के ग्राम बुडगा(बगमुंडी) निवासी अक्षय भगत(24 वर्ष) चार बहनों का इकलौता भाई है। बहनों में सबसे बड़ी लक्ष्मी की 2005 में शादी कर दी गई। तब वह मात्र 15 साल की थी। दूसरे नंबर की बहन चांदनी की भी 16 साल की उम्र में 2007 में शादी हो गई। अक्षय तब 13 साल का था। 

बहन के आग्रह पर उसने पिता भुवनेश्वर भगत के सामने इस शादी का विरोध भी किया। लेकिन, परिवार की जर्जर आर्थिक स्थिति के कारण उसकी एक न चली। हालांकि, 2015 में जब तीसरी बहन मीनाक्षी की महज 16 वर्ष की उम्र में सगाई की जा रही थी तो वह खुलकर विरोध में उतर आया। नतीजा, पिता को झुकना पड़ा और 12वीं करने के बाद ही 2017 में मीनाक्षी की शादी हुई। अक्षय की सबसे छोटी बहन पूनम अभी नवीं में पढ़ रही है।संकल्प यात्रा को मां का आशीर्वाद 

अक्षय बताता है कि उसने दसवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी। अब उसका उद्देश्य बदल चुका था। मां आशा देवी ने पहले तो उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन जब उसने उन्हें अपने संकल्प से परिचित कराया तो वह राजी हो गईं। इसके बाद पांच मार्च 2018 को वह साइकिल से भारत भ्रमण पर निकल पड़ा। समाज में बेटियों के प्रति सोच बदलने के लिए जागरूकता पैदा करने। 

डेढ़ वर्ष में पूरी होगी यह यात्रा 

अक्षय ने यात्रा की शुरुआत पश्चिम बंगाल से की और अब तक वह झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड के हरिद्वार, ऋषिकेश व पंचप्रयाग होते हुए बदरीनाथ धाम की यात्रा कर चुका है। बदरीनाथ से लौटते हुए गोपेश्वर पहुंचने पर अक्षय ने बताया कि अब उसका इरादा हिमाचल प्रदेश होते हुए जम्मू-कश्मीर जाने का है। कश्मीर से वह कन्या कुमारी होते हुए  फिर पश्चिम बंगाल लौटेगा। बताया कि इस यात्रा में डेढ़ वर्ष का समय लग सकता है। 

बाबा रामदेव बोले, 'लगे रहो अक्षय' 

अक्षय ने बताया कि वह अपने इस मिशन को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव से भी मिला। बाबा ने उसे पूरे मनोयोग से इस मिशन पर लगे रहने को कहा है। 

साइकिल सबसे अनुकूल साधन 

अक्षय ने बताया कि उसने साइकिल को यात्रा का माध्यम इसलिए चुना कि इससे खर्चे की कोई दिक्कत नहीं आएगी। साथ ही जगह-जगह लोगों से जुड़ने के लिए साइकिल से बेहतर माध्यम और कोई नहीं है। लोगों का सहयोग मिल रहा है और वह आगे बढ़ रहा है। 

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