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सरहद की रक्षा के साथ बीएसएफ के जवान परिंदों की भी कर रहे हिफाजत

बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) के जवानों ने अब जैव विविधता के संरक्षण के साथ ही परिंदों के मोहक संसार को सुरक्षा देने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए जवानों ने पार्क तैयार किया है।

By Edited By: Published: Mon, 30 Jul 2018 03:03 AM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 07:43 AM (IST)
सरहद की रक्षा के साथ बीएसएफ के जवान परिंदों की भी कर रहे हिफाजत
सरहद की रक्षा के साथ बीएसएफ के जवान परिंदों की भी कर रहे हिफाजत

देहरादून, [केदार दत्त]: सरहद की हिफाजत के लिए सीमा पर रात-दिन सजग प्रहरी की भूमिका निभाने वाले बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) के जवानों ने अब जैव विविधता के संरक्षण के साथ ही परिंदों के मोहक संसार को सुरक्षा देने का बीड़ा उठाया है।

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इस कड़ी में डोईवाला (देहरादून) में बीएसएफ ने अपने एडवेंचर एंड एडवांस ट्रेनिंग सेंटर में 15 एकड़ भूमि पर एन्वायरमेंटल पार्क तैयार किया है। इसका मकसद जवानों को प्रकृति के संरक्षण को प्रेरित करने के साथ ही पार्क में परिंदों का संसार बसाना भी है। इस मुहिम के सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। पार्क में चिह्नित की गई रंग-बिरंगे पक्षियों की 150 प्रजातियां इसकी तस्दीक करती हैं। 

देहरादून से 20 किलोमीटर के फासले पर डोईवाला में सौंग नदी से लगी 44 एकड़ भूमि में फैला है बीएसएफ इंस्टीट्यूट ऑफ एडवेंचर एंड एडवांस ट्रेनिंग। अक्टूबर 2013 में अस्तित्व में आया बीएसएफ का यह ऐसा विश्वस्तरीय सेंटर है, जहां जल-थल-नभ से जुड़े सभी प्रकार के प्रशिक्षणों में जवानों को पारंगत किया जाता है। 

इस सबके साथ ही जवानों को सजग पर्यावरण प्रहरी के गुर भी सिखाए जा रहे हैं। फिर चाहे वह जैव विविधता का संरक्षण हो अथवा पक्षियों का। इसमें सेंटर में स्थापित एन्वायरनमेंटल पार्क अहम भूमिका निभा रहा है।

करीब 15 एकड़ में पसरे इस पार्क की छटा और वहां परिंदों का मधुर कलरव मन को आल्हादित कर देते हैं। पक्षियों के लिए रहने का इंतजाम है तो पीने के लिए पानी का भी। 

बीएसएफ इंस्टीट्यूट आफ एडवेंचर एंड एडवांस ट्रेनिंग डोईवाला के कमांडेंट राजकुमार नेगी बताते हैं कि एक तरफ सौंग नदी और दूसरी तरफ जंगल के कुछ ही फासले से लगा यह पार्क पक्षियों के लिए अच्छी सैरगाह साबित हो रहा है। 

कमाडेंट नेगी के अनुसार पक्षियों के लिए पार्क में पानी की कमी न हो, इसे देखते हुए वहां तालाब बनाया गया। इसमें वर्षा जल संग्रहण होता है और जरूरत पड़ने पर इसे भरा भी जाता है। यही नहीं, परिंदों के रहने के लिए पेड़ों पर लकड़ी के 200 से अधिक घोंसले लगाए गए है। इसके अलावा पिछले साल पार्क में फलदार समेत विभिन्न प्रजातियों के 10 हजार पौधे लगाए गए, जिनमें से आठ हजार जीवित हैं। 

इस बार दो हजार और पौधे लगाए जा रहे हैं। वह बताते हैं कि इस पहल के सार्थक नतीजे सामने आने लगे हैं। पक्षियों ने पार्क को अपना लिया है और अब तक यहां रंग-बिरंगे परिंदों की लगभग 150 स्थानीय और बाहरी प्रजातियां चिह्नित की जा चुकी हैं। वह कहते हैं कि आने वाले दिनों में पार्क में पेड़ों की संख्या बढ़ने पर यह पार्क बर्ड वाचिंग के लिए मुफीद जगह साबित होगा।

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