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    उत्‍तरकाशी में पंख फैलाने की तैयारी में है बर्ड वाचिंग पर्यटन

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Wed, 11 Jul 2018 05:17 PM (IST)

    उत्‍तरकाशी में तराई के मैदानों से लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्र की वादियां वर्ष भर देशी-विदेशी मेहमानों से गुलजार रहती है। यहां बर्ड वाचिंग पर्यटन पंख फैलाने की तैयारी में है।

    उत्‍तरकाशी में पंख फैलाने की तैयारी में है बर्ड वाचिंग पर्यटन

    उत्तरकाशी, [जेएनएन]: तराई के मैदानों से लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्र की वादियां वर्ष भर देशी-विदेशी मेहमानों (परिंदों) से गुलजार रहती है। उत्तरकाशी की वादियां भी परिंदों की चहचहाहट व उनकी सुंदरता के लिए खास है। अभी तक प्रचार और प्रसार के अभाव में प्रकृति के इस खूबसूरत खजाने का दीदार करने के लिए पर्यटक नहीं पहुंच पा रहे थे, लेकिन अब यहां बर्ड वाचिंग पर्यटन पंख फैलाने की तैयारी में है। 

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    जिले की गंगा घाटी, यमुना घाटी, टौंस घाटी, अस्सी गंगा घाटी, नचिकेताताल, डोडीताल, दयारा बुग्याल, हर्षिल और चिन्यालीसौड़ के आसपास के क्षेत्रों में वर्षभर देशी-विदेशी पक्षियों की भरमार रहती है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में मोनाल, काल्हक फाख्ता, हिमालयी गिद्ध, पन थिरथिर, सीसिया पनथिरथिर, कर्ण भेदी, हिमालयन बुलबुल आदि परिंदे आसानी से दिखाई देते हैं।

    बर्ड वाचिंग का प्रशिक्षण ले चुके अगोड़ा गांव के बलवीर पंवार बताते हैं कि अकेले अस्सी गंगा घाटी में 200 से अधिक प्रजाति के पक्षी है। इनमें राज्य पक्षी मोनाल भी शामिल हैं, जबकि चिन्यालीसौड़ के आसपास बर्ड की 150 से अधिक प्रजातियां है। मोरी ब्लॉक में हरकीदून घाटी, रुपीन व सूपीन घाटी भी पक्षियों से गुलजार रहती है। इनमें नदियों के आसपास रहने वाले तथा घने जंगलों में प्रवास करने वाले पक्षी भी शामिल हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अभी तक प्रकृति का इतना सुंदर खजाना होने के बाद भी यहां पर्यटन विभाग व वन विभाग ने इको टूरिज्म से बर्ड वाङ्क्षचग को नहीं जोड़ा है। भले ही अब जिला प्रशासन ने बर्ड वाचिंग को जनपद में बढ़ावा देने की मुहिम शुरू की है, लेकिन इस मुहिम को ईमानदारी से आगे बढ़ाने की जरूरत है। 

    इन परिंदों से गुलजार रहती हैं वादियां 

    उत्तरकाशी की वादियों में मोनाल, बगुला, काल्हक फाख्ता, हिम तीतर, हिमालयी गिद्ध, लंब पुछिया, पहाड़ी राजालाल, कलजेठ कस्तूरा, पन थिरथिर, राम गंगरा, सफेद खंजर, हरी तूती, सीसिया पनथिरथिर, भूरा डूंगल, बर्फ कुक्कुट, कर्ण भेदी, हम कबूतर, मोनाल, जल मुर्गी, हिमालयी बुलबुल, पैराडाई फ्लाइकैचर आदि परिंदों की भरमार है।

    जिलाधिकारी (उत्तरकाशी) डॉ. आशीष चौहान का कहना है कि जनपद में बर्ड वाचिंग को बढ़ावा देने के लिए चार माह की एक योजना तैयार की जा रही है। इसके तहत गाइड तैयार किए जाएंगे तथा बर्ड वाङ्क्षचग के छोटे-छोटे ट्रैक भी तैयार कराए जाएंगे। 

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