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    Plasma Therapy: जानिए क्या है प्लाज्मा डोनेशन और कैसे काम करती है थैरेपी

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Tue, 08 Sep 2020 03:22 PM (IST)

    Plasma Therapy प्लाज्मा खून का एक हिस्सा होता है। इसे दान करने से कोई कमजोरी नहीं आती है। यह बिल्कुल रक्तदान जैसा है। ...और पढ़ें

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    Plasma Therapy: जानिए क्या है प्लाज्मा डोनेशन और कैसे काम करती है थैरेपी

    देहरादून, जेएनएन। Plasma Therapy ऐसे मरीज जो हाल ही में बीमारी से उबरे हैं उनके शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज बनाता है, जो ताउम्र रहते हैं और इस वायरस से लड़ने में समर्थ हैं। ये एंटीबॉडीज ब्लड प्लाज्मा में मौजूद रहते हैं। इनके ब्लड से प्लाज्मा लेकर संक्रमित मरीजों में चढ़ाया जाता है। इसे प्लाज्मा थैरेपी कहते हैं। ऐसा होने के बाद संक्रमित मरीज का शरीर तब तब तक रोगों से लड़ने की क्षमता यानी एंटीबॉडी बढ़ाता है जब तक उसका शरीर खुद ये तैयार करने के लायक न बन जाए।

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    प्रदेश में कोरोना का पहला मामला पंद्रह मार्च को सामने आया था। यह पहला मरीज दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती हुआ था। तब से अब तक कई मरीज अस्पताल से स्वस्थ होकर लौट चुके हैं। चिंताजनक पहलू यह है कि अस्पताल में मरने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। मरने वाले सभी गंभीर श्रेणी के मरीज थे। प्लाज्मा थैरेपी को गंभीर मरीजों के लिए जीवनदान माना जा रहा है।

    क्या है प्लाज्मा डोनेशन और कौन कर सकता है

    -प्लाज्मा खून का एक हिस्सा होता है। इसे दान करने से कोई कमजोरी नहीं आती है। यह बिल्कुल रक्तदान जैसा है। 18 से 60 साल के ऐसे लोग जो कोरोना से उबर चुके हैं, उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है और 14 दिन तक कोविड-19 के लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं, वो प्लाज्मा दान कर सकते हैं।

    - जिनका वजन 50 किलो से कम है वे प्लाज्मा दान नहीं कर सकते। गर्भधारण कर चुकी महिलाएं, कैंसर, गुर्दे, डायबिटीज, हृदय रोग, फेफड़े और लिवर रोग से पीडि़त लोग प्लाज्मा दान नहीं कर सकते।

    कई लोगों में नहीं बनती एंटीबॉडी

    अमूमन ठीक होने के दो हफ्ते के अंदर एंटीबॉडी बन जाते हैं। कुछ मरीजों में कोरोना से ठीक होने के बाद महीनों तक भी एंटीबॉडी नहीं बनते। जिन मरीजों के शरीर में एंटीबॉडी काफी वक्त बाद बनते हैं, उनके प्लाज्मा की गुणवत्ता कम होती है। इसलिए आमतौर पर उनके प्लाज्मा का उपयोग कम किया जाता है।

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     अस्पताल प्रबंधन की अपील

    अस्पताल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी महेंद्र भंडारी के अनुसार, प्लाज्मा दान करने से कमजोरी नहीं आती है। यह रक्तदान की तरह ही है। एक बार प्लाज्मा दान करने से यह खत्म नहीं होता है, बल्कि दो हफ्ते बाद फिर बन जाता है। इसलिए कोरोना से ठीक हो चुके लोग प्लाज्मा दान करने से घबराएं नहीं। इस नेक काम में भागीदार बनने के लिए 9456120955 पर फोन कर सकते हैं। 

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