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Pitru Amavasya 2020: इस साल इन खास संयोगों में होगी पितरों की विदाई, विसर्जन की संध्या पर ये करना न भूलें

Pitru Amavasya 2020 17 सितंबर को तीन खास संयोगों में पितरों की विदाई होगी। इस दौरान पितरों के निमित्त किया गया श्राद्ध दान तर्पण आदि अधिक पुण्यदायी होगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 03:29 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 11:20 PM (IST)
Pitru Amavasya 2020: इस साल इन खास संयोगों में होगी पितरों की विदाई, विसर्जन की संध्या पर ये करना न भूलें
Pitru Amavasya 2020: इस साल इन खास संयोगों में होगी पितरों की विदाई, विसर्जन की संध्या पर ये करना न भूलें

देहरादून, जेएनएन। Pitru Amavasya 2020 इस साल अमावस्या में तीन खास संयोगों में पितरों की विदाई होगी। इस दौरान पितरों के निमित्त किया गया श्राद्ध, दान, तर्पण आदि अधिक पुण्यदायी होगा। वहीं, संक्रांति के दिन अमावस्या की तिथि पड़ना हजारों गुना अधिक फल देने वाला होगा। वहीं, जिस परिवार को पितरों की तिथि ज्ञात न हो उनको अमावस्या के दिन श्राद्ध करना चाहिए। 

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि इस वर्ष तीन खास संयोगों में पितरों की विदाई होगी। 17 सितंबर को पितृ अमावस्या के साथ ही सूर्य का राशि परिवर्तन (संक्रांति) और विश्वकर्मा पूजन का उत्तम संयोग बन रहा है। इसी दिन सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करेंगे।

विसर्जन की संध्या पर ये करना न भूलें 

आचार्य राकेश कुमार शुक्ल बताया कि पितृ विसर्जन के दिन संध्या में चार मिट्टी के दीपक सरसों के तेल में जलाकर घर की चौखट पर रखें। एक लोटा जल लेकर पितरों का स्मरण करते हुए प्रार्थना करें कि वह परिवार को आशीर्वाद देते हुए अपने लोक जाएं। इसके बाद एक दीपक और एक लोटा जल लेकर पीपल के पेड़ पर चढ़ा दें या भगवान विष्णु को अर्पित कर दें। पंडित शुक्ल ने ये भी बताया कि जिस परिवार को पितरों की तिथि ज्ञात न हो उनको अमावस्या के दिन श्राद्ध करना चाहिए, क्योंकि इस दिन किया गया श्राद्ध समस्त पितरों के लिए होता है

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18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक मलमास

इस वर्ष पितृ अमावस्या से अगले दिन शारदीय नवरात्र का प्रारंभ नहीं होगा, क्योंकि 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक मलमास रहेगा। मलमास को अधिक मास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस मास में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं होते हैं। वहीं, पुरुषोत्तम मास में जप, तप, यज्ञ आदि धार्मिक कार्य करने से भगवान विष्णु के साथ ही भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होती है। पुरुषोत्तम मास में किया गया शुभ कर्म सैकड़ों गुना अधिक फलदायी होता है। मलमास की समाप्ति के बाद 17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू होंगे। पंडितों के अनुसार यह संयोग लगभग 165 वर्षों बाद बन रहा है। 

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