Coronavirus: होम क्वारंटाइन का उल्लंघन, बीमारी संग मोल ले रहे मुकदमा
पुलिस की सख्ती का नतीजा ही कहेंगे कि देहरादून में स्थिति विस्फोटक होने से बच गई लेकिन इन प्रवासियों को क्या कहें जो लापरवाही में न सिर्फ कोरोना महामारी का ग्रास बनने को आतुर हैं।
देहरादून, संतोष तिवारी। अपनी गैरजिम्मेदाराना हरकत का खामियाजा जमातियों ने मुकदमे के रूप में झेला। पुलिस की सख्ती का नतीजा ही कहेंगे कि देहरादून में स्थिति विस्फोटक होने से बच गई, लेकिन इन प्रवासियों को क्या कहें जो लापरवाही में न सिर्फ कोरोना महामारी का ग्रास बनने को आतुर हैं, बल्कि मुकदमा अलग से मोल ले रहे हैं। पुलिस और समूचा तंत्र उन्हें हालात की गंभीरता को समझाने में लगा हुआ है, लेकिन लोग होम क्वारंटाइन के नियमों का पालन करने को तैयार नहीं हैं।
केस 1: शुक्रवार को पटेलनगर में होम क्वारेंटाइन किया गया एक शख्स हेलमेट बेचते पकड़ा गया। पुलिस ने उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया और चेतावनी दी कि दोबारा घर से बाहर निकला तो जेल भेजा जाएगा।
केस 2: नेहरू कालोनी में शनिवार को होम क्वारंटाइन किया गया व्यक्ति सैलून में पकड़ा गया। पुलिस ने इस शख्स के भी खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
केस 3: 19 मई को नेहरू कालोनी के ऋषि विहार में होम क्वारंटाइन किया गया व्यक्ति पड़ोस में पाया गया। वह घूमने निकला था। सूचना पर पहुंची पुलिस ने कार्रवाई की।
जीपीएस से निगरानी हवा-हवाई
प्रवासियों के होम क्वारंटाइन के नियमों का पालन न करने की जानकारी होने पर सरकार ने कुछ दिन पहले जीपीएस से इनकी निगरानी का फैसला किया था। लेकिन, तमाम प्रवासियों ने घर पहुंचने के बाद मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया या फिर दुर्गम इलाकों में मोबाइल नेटवर्क न होने से ये लोग निगरानी से दूर हो गए।
नही बन सका नियमित निगरानी का तंत्र
शुरू में प्रशासन को आभास था कि लोग होम क्वारंटाइन के नियम का खुद पालन करेंगे, लेकिन जब उल्लंघन के मामले आने शुरू हुए तो भी प्रशासन खास रणनीति तैयार नही कर सका। हेल्थ वर्कर, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में माध्यम से निगरानी की योजना ही बनती रही, जो अभी तक धरातल पर नहीं उतरी।
पुलिस क्या-क्या करे
प्रशासन ने होम क्वारंटाइन का पालन कराने का जिम्मा भी पुलिस पर छोड़ दिया। अब पुलिस लॉकडाउन के नियम का पालन कराए, कंटेन्मेंट जोन को सील करा कर वहां निगरानी करे या फिर दिन के समय ट्रैफिक पर फोकस करे। फिर भी अब तक होम क्वारंटाइन के उल्लंघन के जिन छह मामलों में एफआईआर हुई है, उसकी सूचना पुलिस को उसके नेटवर्क से ही मिली है।
किसे जरूरी है होम क्वारंटाइन में रखना
जो लोग रेड या ऑरेंज जोन या फिर ऐसे देश से आए हों, जहां कोरोना का संक्रमण फैला हुआ है। यह लोग भले ही स्वस्थ हों, लेकिन कोरोना वायरस के कॅरियर या मरीज हो सकते हैं। वायरस 14 दिन में असर दिखा सकता है, इसलिए इन लोगों को घर में क्वारंटाइन होने की आवश्यकता होती है।
क्या करें होम क्वारंटाइन में
दून मेडिकल कालेज के कोविड-19 कंट्रोल के नोडल अधिकारी डॉ. दिनेश चौहान का कहना है कि होम क्वारंटाइन किए गए व्यक्ति को 14 दिन की अवधि एक अलग कमरे में बितानी होती है। परिवार के लोग यदि मिलना चाहें तो दो मीटर की दूरी से मिल सकते हैं। क्वारंटाइन व्यक्ति को मुंह पर मास्क या रुमाल लगाना अनिवार्य होता है। हाथों को बार-बार साबुन से धोते रहें या सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें। गले में खराश, सर्दी-खांसी, बुखार होने पर तत्काल अस्पताल जाएं। होम क्वारंटाइन का मतलब यह नहीं कि संबंधित व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव ही हो। इसलिए घबराएं नहीं।
तो पुलिस से लें सबक
होम क्वारंटाइन का नियम केवल आम जन के लिए नहीं है। अब तक प्रदेश भर में 339 पुलिसकर्मी होम क्वारंटाइन किए जा चुके हैं। इसमें से 271 होम क्वारंटाइन की 14 दिन की अवधि पूरी कर चुके हैं।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरम की अपर मुख्य कार्यकारी रिद्धिम अग्रवाल का कहना है कि होम क्वारंटाइन का घर, फार्म हाउस, होटल जैसी जगहों पर व्यक्ति को आइसोलेट कर देना होता है, जिससे वह अन्य लोगों के संपर्क में न आए। उसे 14 दिन तक कहीं आने-जाने या किसी और से संपर्क करने से रोका जाता है। नियम का पालन कराने के लिए सभी जिलों को एडवाइजरी जारी की गई है।
डीआइजी अरुण मोहन जोशी का कहना है कि अगर आपके आसपास होम क्वारंटाइन किया गया व्यक्ति घर से बाहर घूमता या नियमों का उल्लंघन करता दिखे तो तुरंत डायल 112, कोविड कंट्रोल रूम नंबर 0135-2722100 या संबंधित थाने में सूचना दें। इसकी फोटोग्राफ और वीडियो बनाकर वाट्सएप नंबर 9997954800 पर भेजी जा सकती है। सूचना देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
क्वारंटाइन सेंटर के खाने व पानी में मिले कीड़े, हंगामा
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रशासन बाहर से आने वाले लोगों का सैंपल लेकर उनकी रहने की व्यवस्था क्वारंटाइन सेंटर में कर रहा है। लेकिन क्वारंटाइन सेंटर में व्यवस्था राम भरोसे ही चल रही है। ऐसा ही मामला मुनिकीरेती क्षेत्र में स्थित पूर्णानंद इंटर कॉलेज के क्वारंटाइन सेंटर में सामने आया। शनिवार को इस क्वारंटाइन सेंटर में प्रवासियों को दिए गए खाने और पानी में कीड़े मिले। जिस पर प्रवासियों ने खाने का बहिष्कार कर हंगामा किया। हंगामे की सूचना पर मौके पर पहुंची उप जिलाधिकारी नरेंद्रनगर युक्ता मिश्रा निम्नगुणवत्ता वाले खाने की जांच खाद्य सुरक्षा अधिकारी को सौंप दी है।
बाहरी राज्यों से लगातार हजारों प्रवासी उत्तराखंडियों के वापस लौटने का क्रम जारी है। जिनमें से अधिकांश प्रवासी ऋषिकेश से सटे जनपद टिहरी गढ़वाल के थाना मुनिकीरेती क्षेत्र में स्थित पूर्णानंद इंटर कॉलेज में ठहराए जा रहे हैं। शनिवार दोपहर पूर्णानंद इंटर कॉलेज के क्वारंटाइन सेंटर में ठहराए गए करीब पांच सौ से अधिक प्रवासियों के लिए प्रशासन ने भोजन भिजवाया। जब लोगों को भोजन परोसा गया तो भोजन और पानी में कीड़े दिखाई दिए। जिस पर लोगों ने भोजन का बहिष्कार कर हंगामा शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि भोजन ही नहीं बल्कि अन्य व्यवस्थाएं भी लचर हैं। उन्होंने कहा कि क्वारंटाइन सेंटर में शौचालय, गद्दों व कमरों को सेनिटाइजेशन नहीं किया जा रहा है। इससे उनको संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है।
हंगामे की सूचना पर मौके पर पहुंची उप जिलाधिकारी नरेंद्रनगर युक्ता मिश्रा ने क्वारंटाइन सेंटर से उक्त भोजन का हटाने के आदेश दिए और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही। मुनिकीरेती थाना प्रभारी आरके सकलानी ने पुलिस प्रशासन की तरफ से अलग से भोजन उपलब्ध करवाने की बात कही। जिसके बाद लोगों का गुस्सा शांत हुआ।
एसडीएम के समक्ष प्रवासियों ने क्वारंटाइन सेंटर की व्याप्त अव्यवस्थाओं को उठाया। साथ ही उन्होंने बसों की व्यवस्था कर उन्हें शीघ्र उनके घर भेजने की मांग की। जबकि कुछ लोगों ने प्रशासन से कच्चा राशन उपलब्ध कराने की भी बात भी कही, जिससे वह स्वयं ही खाना बनाकर व्यवस्था को संभाल सकें।
प्रतिदिन बढ़ रहे सैंपल, रिपोर्ट में देरी
टिहरी जनपद की सीमा मुनिकीरेती में प्रतिदिन बड़ी संख्या में पहुंच रहे प्रवासियों के रेंडम सैंपल की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां से जितने सैंपल एम्स ऋषिकेश भेज जा रहे हैं उस हिसाब से रिपोर्ट नहीं आ रही है। क्योंकि एम्स में कोविड-19 की जांच की क्षमता प्रतिदिन 120 की है। यही वजह है कि मुनिकीरेती में सैंपल रिपोर्ट के लिए रोके गए प्रवासियों को यहां से आगे नहीं भेजा जा रहा है। प्रभारी चिकित्साधिकारी सामुदायिक चिकित्सालय फकोट डॉ. जगदीश ने बताया कि डेढ़ सौ लोगों पर एक रेंडम सैंपल लिया जा रहा है। शुक्रवार को सौ सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, जिनकी अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। शनिवार को भी 50 सैंपल भेजे गए हैं।
उप जिलाधिकारी नरेंद्रनगर युक्ता मित्रा ने बताया कि पूर्णानंद इंटर कालेज में ठहरे प्रवासियों ने भोजन व खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। जिसके बाद भोजन को तुरंत बदल दिया गया। इस मामले में खाद्य सुरक्षा अधिकारी को जांच सौंपी गई है। बहरहाल शनिवार को तीन सौ प्रवासियों को जनपद के अलग-अलग तहसीलों में भेजा गया है। करीब डेढ़ सौ लोगों की मेडिकल रिपोर्ट आनी बाकी है, जिन्हें रिपोर्ट आने पर उनके गंतव्यों के लिए भेजा जाएगा।
दून में 10 नए क्वारंटाइन सेंटर, संख्या हुई 30
देहरादून जिले में भी अप्रवासियों की आमद का क्रम जारी है। खासकर रेड जोन से आने वाले लोगों को अब संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है। शनिवार को भी 222 और लोगों को संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर भेजा गया। अब यह संख्या 299 से बढ़कर 421 हो गई है।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर में रखे लोगों की सैंपलिंग की जा रही है। जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, उन्हें होम क्वारंटाइन के लिए भेज दिया जा रहा है। लोगों की आमद बढऩे के साथ क्वारंटाइन सेंटर की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। शनिवार को 10 और भवनों का संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर के लिए अधिग्रहण किया गया। इन केंद्रों में लोगों को रखने के लिए सभी सुविधाओं को सुनिश्चित कराया जा रहा है। इसके लिए मुख्य चिकित्साधिकारी और संबंधित उपजिलाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है।
ये बने नए क्वारंटाइन सेंटर
देवभूमि इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, शिवालिक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, माया ग्रुप ऑफ कॉलेज, उत्तरांचल डेंटल कॉलेज, हिमालयन आयुर्वेदिक योग एवं प्राकृतिक संस्थान, अंशिका फोर्ड, यूथ जेम्स, अरिहंत होम, अंकुर पैलेस, अशोका हॉस्टल।
दून में रैपिड टेस्ट शुरू, 44 सैंपल लिए
देहरादून प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दून में अब कोरोना का रैपिड एंटीबॉटी टेस्ट शुरू कर दिया गया है। शनिवार को इसके तहत 44 सैंपल लिए गए। वहीं, रैंडम सैंपलिंग में देर शाम तक 76 लोगों को सैंपल ले लिए गए थे।