भाजपा को सत्ता परिवर्तन का भरोसा दिला गई परिवर्तन यात्रा
भाजपा के लिए परिवर्तन यात्रा खासी महत्वपूर्ण साबित हुई। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत केंद्रीय मंत्रियों की भागेदारी कार्यकर्ताओं में उत्साह और विश्वास जगाने में सफल रही।
देहरादून, [विकास धूलिया]: पांच साल बाद एक बार फिर सत्ता में लौटने को बेताब भाजपा की परिवर्तन यात्रा का समापन हो गया। पार्टी के लिए यह यात्रा इस लिहाज से खासी महत्वपूर्ण साबित हुई कि इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत केंद्रीय मंत्रियों की भागेदारी कार्यकर्ताओं में उत्साह और विश्वास जगाने में सफल रही।
यही नहीं, सूबे के तमाम वरिष्ठ नेता जिस तरह इस पूरे आयोजन के दौरान एकजुट नजर आए, उसने भी चुनाव पूर्व जनता में अच्छा संदेश गया। अलबत्ता, चुनाव में पार्टी का चेहरा कौन होगा, इसका कोई संकेत पार्टी की ओर से इस यात्रा के दौरान भी नहीं मिला।
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वर्ष 2012 में कांग्रेस से महज एक सीट के अंतर के कारण सत्ता गंवाने वाली भाजपा इस बार अपनी ओर से सत्ता में वापसी के लिए कोई कोर कसर नहीं उठाए रखना चाहती। हालांकि इसके बाद वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पांचों लोकसभा सीटों पर कब्जा कर एक तरह से कांग्रेस से मिली पराजय के हिसाब को चुकता कर दिया था। इसके बावजूद सूबे में सत्ता तक पहुंचने के लिए पार्टी अपनी ओर से कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती।
लोकसभा चुनाव में भाजपा के अपनी अग्रिम पंक्ति के सभी बड़े नेताओं को मैदान में उतार दिया और जीत के बाद सभी राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन गए।
इस दृष्टिकोण से भाजपा के लिए यह जरूरी हो गया कि सूबे में दूसरी पंक्ति के नेताओं को नेतृत्व संभालने के लिए आगे लाया जाए। यह बात दीगर है कि पार्टी को इसमें बहुत अधिक सफलता अब तक नहीं मिल पाई है। स्थिति यह है कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद का जिम्मा अकेले अजय भट्ट को ही उठाना पड़ रहा है।
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संभवतया यही कारण भी रहा कि पार्टी नेतृत्व लगातार कहता आ रहा है कि उत्तराखंड में चुनाव किसी एक चेहरे को प्रोजेक्ट कर नहीं, बल्कि सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
एक महीने चली सत्ता परिवर्तन यात्रा में भाजपा की यह रणनीति सफल होती भी दिख रही है। सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में लगभग पांच हजार किमी के सफर के दौरान सूबे के सभी दिग्गज एकजुट नजर आए।
कुछेक जगह स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं और टिकट के तलबगारों के शक्ति प्रदर्शन को अगर छोड़ दिया जाए तो सार्वजनिक तौर पर नजर आई एकजुटता पार्टी के लिए अच्छा संदेश लेकर आई।
इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व ने जिस तरह उत्तराखंड को परिवर्तन यात्रा में तवज्जो दी, उसका भी पार्टी को फायदा मिला। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक महीने में राज्य में तीन जनसभाएं की। इसके अलावा दस से ज्यादा केंद्रीय मंत्रियों ने उत्तराखंड में रैलियों और अन्य कार्यक्रमों में शिरकत की।
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सबसे महत्वपूर्ण बात, कुछ अरसा पहले तक उत्तराखंड में कांग्रेस मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा से एक कदम आगे नजर आ रही थी लेकिन परिवर्तन यात्रा के बाद सियासी परिदृश्य में बदलाव महसूस किया जा रहा है।
अब भाजपा के नेता और कार्यकर्ता पहले की अपेक्षा ज्यादा विश्वस्त और उत्साहित दिख रहे हैं। संभवतया यह केंद्रीय नेतृत्व द्वारा प्रदर्शित सकारात्मक नजरिए का असर है। इस स्थिति में अब, जबकि कभी भी विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो सकती है, दोनों राष्ट्रीय पार्टियां ताल ठोक कर आमने-सामने खड़ी हैं। यानी, मोर्चे पर मुकाबले को सेनाएं तैयार।
जल्द घोषित होंगे भावी कार्यक्रम
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के मुताबिक प्रदेश की जनता में सत्ता परिवर्तन यात्रा को लेकर जबरदस्त उत्साह नजर आया। इस दौरान पार्टी काफी आगे बढ़ी है और पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने को तैयार है। जनता भय और भ्रष्टाचार के वातावरण से आजिज आ चुकी है। चारों ओर चल रही लूटखसोट से वह वाकिफ है।
यात्रा के दौरान जनता ने पार्टी कार्यकर्ताओं की जोरदार हौसलाअफजाई की। पहले चेतना यात्रा, फिर पर्दाफाश यात्रा और अब परिवर्तन यात्रा की सफलता से साफ है कि मतदाता बदलाव का मन बना चुका है। पार्टी जल्द भावी कार्यक्रम घोषित करने जा रही है।
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