CBSE and CISCE Board Exam: बोर्ड परीक्षा निरस्त होने से दून रीजन के डेढ़ लाख छात्र-छात्रों को राहत
सीबीएसई और सीआइएससीई बोर्ड की बची हुई परीक्षाएं निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अभिभावक और छात्र-छात्राओं ने राहत की सांस ली है।
By Edited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 04:12 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। सीबीएसई और सीआइएससीई बोर्ड की बची हुई परीक्षाएं निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अभिभावक और छात्र-छात्राओं ने राहत की सांस ली है। इस संबंध में उत्तराखंड समेत आठ राज्यों के अभिभावकों ने पैरेट्स एसोसिएशनों के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उत्तराखंड के अभिभावकों की ओर से नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने याचिका डाली थी।
मार्च में कोरोना वायरस के मामले अचानक बढ़ने पर सीबीएसई और सीआइएससीई ने बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थीं। बीते दिनों दोनों ही बोर्ड ने इन परीक्षाओं का आयोजन एक जुलाई से करने की घोषणा की थी। लेकिन, कोरोना के बढ़ते संक्रमण से चिंतित अभिभावकों ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर परीक्षाएं वैक्सीन आने के बाद कराने की अपील की थी। गुरुवार को इसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई और सीआइएससीई को परीक्षाएं रद करने का आदेश दिया। देहरादून के छात्र-छात्राओं और अभिभावकों ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।
सीआइएससीई बोर्ड की कक्षा 12वीं की छात्रा पूजा का कहना है कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच परीक्षाएं कराना खतरे से खाली नहीं था। कोर्ट ने छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा फैसला दिया है। वहीं, सीआइएससीई बोर्ड की कक्षा 12वीं की छात्रा विधि वर्मा ने कहा, इस समय परीक्षा नहीं करना अच्छा फैसला है। लेकिन, आतरिक मूल्याकन को आधार मानकर सभी का रिजल्ट तैयार नहीं किया जा सकता।
डेढ़ लाख छात्र-छात्राओं को राहत
देहरादून रीजन में सीबीएसई और सीआइएससीई में 10वीं और 12वीं के करीब तीन लाख छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। कोरोना के चलते परीक्षाएं स्थगित होने के बाद दोनों बोर्ड ने केवल मुख्य परीक्षाएं कराने का फैसला लिया था, जिसके तहत देहरादून रीजन में सीबीएसई बोर्ड के केवल 12वीं और सीआइएससीई के 10वीं और 12वीं दोनों की परीक्षा होनी थी। रीजन के 744 स्कूलों में प्रस्तावित इन परीक्षाओं में करीब डेढ़ लाख परीक्षार्थी शामिल होते।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान का कहना है कि हमारी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के छात्र-छात्राओं के हित में फैसला लिया है। इसके लिए सभी अभिभावक सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते में। अन्य राज्यों की पैरेट्स एसोसिएशन को भी धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने छात्रहित की इस लड़ाई में हमारा साथ दिया।
सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक रणबीर सिंह ने बताया कि अभिभावकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड परीक्षाएं रद करने का फैसला दिया है। हालांकि, इच्छुक छात्र-छात्राओं को स्थिति सामान्य होने पर परीक्षा में शामिल होने के निर्देश भी हैं। इस फैसले को लेकर बोर्ड जो भी गाइडलाइन जारी करेगा, उसे सभी स्कूलों में लागू कराया जाएगा।
प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति के हिसाब से सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है। अब बोर्ड को जल्द से जल्द छात्र-छात्राओं का परिणाम घोषित करने की कोशिश करनी चाहिए। जिससे वह आगे की कक्षा में दाखिला ले सकें।
सीबीएसई सहोदय स्कूल्स कॉम्लेक्स की अध्यक्ष छाया खन्ना का कहना है कि सीबीएसई बोर्ड की अधिकतर मुख्य परीक्षाएं हो चुकी हैं। हालात को देखते हुए आतरिक मूल्याकन के आधार पर ही छात्रों को पास करना उचित है। कोरोना के फैलते संक्रमण के बीच परीक्षाएं कराना जीवन के साथ खिलवाड़ करने जैसा है।
सीआइएससीई की शेष परीक्षाएं
कक्षा-10(आइएससी) जियोग्राफी एचसीजी पेपर 2, आर्ट पेपर 4 (एप्लाइड आर्ट), कर्नाटिक म्यूजिक, कॉमर्शियल एप्लीकेशस, कंप्यूटर एप्लीकेशस, कुकरी, ड्रामा, इकोनॉमिक एप्लीकेशस, एनवायरमेंटल एप्लीकेशस, फैशन डिजाइनिंग, फ्रेंच, जर्मन, हिन्दुस्तानी म्यूजिक, होम साइंस, इंडियन डास, मास मीडिया एंड कम्युनिकेशस, फिजिकल एजुकेशन, स्पेनिश, वेस्टर्न म्यूजिक, योग, हिन्दी, बायोलॉजी पेपर 3, इकोनॉमिक्स (ग्रुप 2 इलेक्टिव) कक्षा-12 (आइसीएसई) बायोलॉजी (पेपर-1) थ्योरी, बिजनेस स्टडीज, जियोग्राफी, सायकोलॉजी, सोशियोलॉजी, होम साइंस (पेपर-1) थ्योरी, इलेक्टिव इंग्लिश, आर्ट 5 क्राफ्ट।
सीबीएसई की शेष परीक्षाएं
जियोग्राफी, कंप्यूटर साइंस (ओल्ड और न्यू), हिंदी (कोर और इलेक्टिव), सोशलॉजी, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (ओल्ड, न्यू), बायो टेक्नोलॉजी, बिजनेस स्टडीज, होम साइंस।
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