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    उत्‍तराखंड में गुलदारों के हमले में हर पांचवें दिन एक व्यक्ति की मौत

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Wed, 14 Oct 2020 09:47 AM (IST)

    समूचा उत्तराखंड इन दिनों गुलदारों के खौफ से थर्राया हुआ है। पिछले 43 दिनों के वक्फे में ही गुलदारों ने सात जिलों में आठ व्यक्तियों की जान ले ली जबकि छह घायल कर डाले। यानी हर पांचवें दिन औसतन एक व्यक्ति की मौत इनके हमले में हुई।

    समूचा उत्तराखंड इन दिनों गुलदारों के खौफ से थर्राया हुआ है।

    देहरादून, केदार दत्त। समूचा उत्तराखंड इन दिनों गुलदारों के खौफ से थर्राया हुआ है। पिछले 43 दिनों के वक्फे में ही गुलदारों ने सात जिलों में आठ व्यक्तियों की जान ले ली, जबकि छह घायल कर डाले। यानी हर पांचवें दिन औसतन एक व्यक्ति की मौत इनके हमले में हुई। गुलदारों के लगातार बढ़ते हमलों से वन महकमे की पेशानी पर बल पड़े हुए हैं। हालांकि, फौरी कदम उठाते हुए दो गुलदार आदमखोर घोषित कर ढेर भी किए गए, लेकिन समस्या निरंतर बनी है। नतीजतन जनाक्रोश भी बढ़ रहा है। गुलदारों से हो रहे इस टकराव रोकने के मद्देनजर रणनीति बनाने के लिए वन महकमा अब नए सिरे से मंथन में जुट गया है।

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    वर्तमान में उत्तराखंड का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जहां गुलदारों ने नींद न उड़ाई हो। क्या पहाड़ और क्या मैदान, सभी जगह आबादी वाले क्षेत्रों में मवेशियों की तरह ये घूम रहे हैं। यानी, न खेत-खलिहान सुरक्षित है और न घर-आंगन। हालिया दिनों में तो गुलदारों के हमले ज्यादा बढ़े हैं। एक सितंबर से 13 अक्टूबर तक का ही अवलोकन करें तो इस अवधि में गुलदारों के हमलों में आठ  व्यक्तियों को जान गंवानी पड़ी। इससे पहले जनवरी से सितंबर तक नौ माह की अवधि में 14 व्यक्तियों को गुलदारों ने निशाना बनाया था।

    जानकारों के मुताबिक गुलदार ज्यादातर जंगल से लगे क्षेत्रों में कुत्तों व मवेशियों का आसान शिकार मिलने के मद्देनजर अधिक सक्रिय रहते हैं। तीन माह तक लॉकडाउन के चलते आवाजाही बंद रहने से गुलदार आबादी के अधिक नजदीक तक आ गए। इसे भी गुलदारों के बढ़ते हमलों की वजह माना जा रहा है। अब जबकि अनलॉक में सभी गतिविधियां शुरू होने से आवाजाही भी बढ़ी है तो अचानक से गुलदारों के हमले भी बढ़े हैं। ऐसे में गुलदारों से टकराव को थामने की बड़ी चुनौती वन महकमे के सामने आ खड़ी हुई है।

    जेएस सुहाग (मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड) का कहना है कि गुलदार-मानव संघर्ष को थामने के मद्देनजर तात्कालिक और दीर्घकालिक कदम उठाए जा रहे हैं। फौरी राहत के लिए 1926 हेल्पलाइन शुरू की गई है। कहीं भी गुलदार की सक्रियता की बात सामने आने पर वहां टीमें लगाई जा रही हैं। इसके साथ ही गुलदारों पर रेडियो कॉलङ्क्षरग की प्रक्रिया शुरू की गई है, ताकि इनके व्यवहार का अध्ययन कर इनसे टकराव थामने को प्रभावी कार्ययोजना धरातल पर उतारी जा सके।

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    गुलदारों के हमले

    (एक सितंबर से 12 अक्टूबर, 2020 तक)

    • जिला----------मृतक----घायल
    • पिथौरागढ़------03------01
    • अल्मोड़ा--------01------01
    • चमोली---------01------00
    • पौड़ी------------01------00
    • नैनीताल-------00-------02
    • टिहरी----------02-------01
    • रुदप्रयाग------00--------01

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