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    सरकारी विभाग में नौकरी का झांसा देकर 10 युवकों से ठगे 62 लाख रुपये, पुलिस ने किया गिरफ्तार

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    Updated: Sun, 31 Oct 2021 10:39 PM (IST)

    सरकारी विभागों में नौकरी लगवाने का झांसा देकर 10 युवकों से 62 लाख रुपये की ठगी के मामले में पटेलनगर कोतवाली पुलिस ने एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। ...और पढ़ें

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    सरकारी विभागों में नौकरी लगवाने का झांसा देकर ठगी के मामले में पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: सरकारी विभागों में नौकरी लगवाने का झांसा देकर 10 युवकों से 62 लाख रुपये की ठगी के मामले में पटेलनगर कोतवाली पुलिस ने एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। उसके तीन साथी अब भी फरार हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है। रविवार को एसएसपी कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता में सहायक पुलिस अधीक्षक हिमांशु वर्मा ने बताया कि इसी 16 अक्टूबर को मनीष कुमार निवासी गौशाला नदी रोड मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) ने धोखाधड़ी की शिकायत की थी।

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    जिसमें बताया कि कमल किशोर पांडेय, मनोज नेगी, चेतन पांडेय और ललित बिष्ट ने उन्हें व उनके संबंधियों से सरकारी विभागों में नौकरी लगवाने का झांसा देकर 62 लाख रुपये हड़प लिए। आरोपित कमल किशोर ने खुद को प्रशासनिक अधिकारी, ललित बिष्ट ने सचिव, मनोज नेगी ने अपर सचिव के पद पर तैनात बताया था। तभी से पुलिस आरोपितों की तलाश में दबिश दे रही थी। इस बीच शनिवार को गिरोह के सरगना कमल किशोर निवासी सर्कुलर रोड को त्यागी रोड पर संगम होटल के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपितों में से कोई खुद सरकारी विभाग में तो किसी की पत्नी पटेलनगर कोतवाली में तैनात इंस्पेक्टर प्रदीप राणा ने बताया कि आरोपित ललित बिष्ट की पत्नी लोक निर्माण विभाग में प्रशासनिक अधिकारी है तो दूसरा आरोपित मनोज नेगी खुद उत्तराखंड जल विद्युत निगम पौड़ी में संविदा पर नियुक्त है।

    एक अन्य आरोपित चेतन पांडेय सूचना विभाग में हेड क्लर्क के पद पर तैनात है। वह मुख्य आरोपित कमल किशोर का भाई है। सरकारी विभागों में तैनात होने के चलते उनका सचिवालय में आना-जाना लगा रहता था। कमल किशोर बीटेक पास है और वर्ष 2015 से 2019 तक मर्चेट नेवी में रहा है। ऐसे दिया ठगी को अंजाम कौशल किशोर ने बताया कि वर्ष 2018 में एक विवाह समारोह में गया था। वहां उसकी मुलाकात पीड़ित मनीष कुमार से हुई। कमल किशोर ने मनीष को सरकारी विभाग में नौकरी लगवाने का आश्वासन दिया। इसके बाद उसने मनीष व अन्य पीड़ितों को कई बार आइएसबीटी व विधानसभा के पास बुलाया और नौकरी लगवाने के नाम पर अलग-अलग तिथियों में 62 लाख रुपये लिए।

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    सचिवालय में करवाया इंटरव्यू इंस्पेक्टर प्रदीप राणा के अनुसार कमल किशोर ने स्वीकार किया कि वह पीड़ितों को इंटरव्यू के लिए सचिवालय और विधानसभा लेकर गया था। पीड़ितों का इंटरव्यू सचिवालय में खाली पड़े केबिन में लिया गया था। जोकि मनोज नेगी और ललित बिष्ट ने लिया। इंटरव्यू के बाद उन्होंने पीड़ितों को फर्जी नियुक्ति पत्र दिया और दून अस्पताल में मेडिकल भी कराया। कुछ समय बाद पद निरस्त होने का बहाना बना दिया। पुलिस को इस मामले में सचिवालय और विधानसभा में तैनात स्टाफ के भी संलिप्त होने का शक है। आरोपित ने बताया कि वह कई अन्य व्यक्तियों से भी नौकरी लगवाने का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी कर चुका है।

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