उत्तराखंड के वनों में खूब फलफूल रहे हैं बाघों के कुनबे
अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन ने बताया कि वर्ष 2017 में यहां बाघों की संख्या 361 रिकार्ड की गई थी। इस बार यह चार सौ का आंकड़ा पार कर सकती है।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड के वनों में बाघों के कुनबे खूब फलफूल रहे हैं। 'अखिल भारतीय बाघ आकलन-2018' के तहत चल रही गणना के दौरान मिले रुझान से वन्य जीव विशेषज्ञ खासे उत्साहित हैं। प्रदेश में बाघ गणना के नोडल अधिकारी एवं अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन ने बताया कि वर्ष 2017 में यहां बाघों की संख्या 361 रिकार्ड की गई थी। इस बार यह चार सौ का आंकड़ा पार कर सकती है।
बाघों की तादाद के मामले में उत्तराखंड कर्नाटक के बाद दूसरे स्थान पर काबिज है। फरवरी से प्रारंभ हुई बाघ गणना अभी जारी है। गणना में कार्बेट व राजाजी नेशनल पार्क और इनके आसपास के 12 वन प्रभागों को शामिल किया गया है। धनंजय मोहन के मुताबिक पहले चरण में बाघ के पगचिह्नों का डाटा जुटाया गया। इसके फीडिंग का कार्य करीब-करीब पूरा कर लिया गया है।
उन्होंने बताया कि अब कैमरों के जरिये बाघों की गणना की जा रही है। इसके लिए 1200 कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। कैमरे लगाने का कार्य 15 मार्च को समाप्त हुआ है और 25 मार्च तक कैमरों के जरिये ली गई तस्वीरें जमा की जाएंगी। यह क्रम जारी है। तस्वीरों का मिलान कराने के बाद ही किसी निष्कर्ष तक पहुंचा जाएगा।
इसके अलावा पगचिह्नों के विश्लेषण का कार्य जारी है, लेकिन बड़ी संख्या में मिले पगचिह्नों से वनजीव विशेषज्ञ उत्साहित हैं। धनंजय मोहन के मुताबिक कैमरे से मिली तस्वीरों से भी संकेत मिले हैं कि प्रदेश में बाघों की तादाद बढ़ रही है। राजाजी नेशनल पार्क के ऐसे क्षेत्रों में बाघ की उपस्थिति दर्ज की गई है, जहां वे पहले नहीं देखे गए थे।
14 हजार फीट की ऊंचाई पर भी गिने जाएंगे बाघ
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कैमरा ट्रैप में बाघ की चहल कदमी नजर आने के बाद यहां भी बाघों की गणना कराई जानी है। हालांकि यह गणना गर्मियों में कराई जाएगी। अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन के मुताबिक गणना में भारतीय वन्यजीव संस्थान का सहयोग भी लिया जा रहा है। असल में टिहरी के खतलिंग ग्लेशियर, केदारनाथ, मदमहेश्वर, अस्कोट जैसे 12 से 14 हजार फुट की ऊंचाई पर लगाए गए कैमरा ट्रैप में बाघों की तस्वीरें लगातार कैद हो रही हैं।
जाहिर है कि इनकी सही संख्या का पता लगना अनिवार्य है, ताकि इनके संरक्षण के लिए वहां भी ठोस एवं प्रभावी कदम उठाए जा सकें। धनंजय मोहन के मुताबिक वन रक्षक स्तर तक के कार्मिकों को गणना से संबंधी प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इस कार्य में पहली बार आंकड़े जुटाने को विशेष तौर पर तैयार 'एम स्ट्राइप एप' का प्रयोग भी होगा। उन्होंने बताया कि अभी गणना कार्य की तिथि तय नहीं है, लेकिन मई पर विचार किया जा रहा है।
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