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    एनटीसीए की राजाजी टाइगर रिजर्व का बजट रोकने की धमकी

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sat, 16 Dec 2017 08:47 PM (IST)

    राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व का बजट रोकने की धमकी दी है। कारण कोटद्वार, लालढांग आदि रेंजों का प्रबंधन बफर जोन के रूप में नहीं होना है।

    एनटीसीए की राजाजी टाइगर रिजर्व का बजट रोकने की धमकी

    देहरादून, [केदार दत्त]: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया है। एनटीसीए ने राज्य के वन्यजीव महकमे को पत्र भेजकर धमकी दी है कि यदि इस रिजर्व से लगी कोटद्वार, दुगड्डा, कोटड़ी और लालढांग रेंजों का प्रबंधन बफर जोन के रूप में नहीं किया गया तो इस रिजर्व को टाइगर संरक्षण के मद्देनजर दिया जाने वाला बजट रोका जा सकता है। इस पत्र के बाद महकमे में हड़कंप मचा है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीवीएस खाती के मुताबिक इस बारे में निर्णय लेने के मद्देनजर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक को पत्र भेजा गया है।

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    कार्बेट टाइगर रिजर्व के बाद राजाजी नेशनल पार्क में बाघ संरक्षण के मद्देनजर अपार संभावनाओं को देखते हुए 2014 में केंद्र सरकार ने राज्य में राजाजी पार्क के साथ ही इसके आसपास के क्षेत्रों को शामिल कर राजाजी टाइगर रिजर्व बनाने को हरी झंडी दी। 

    इसमें 820 वर्ग किमी क्षेत्र नेशनल पार्क और 300 वर्ग किमी का बफर जोन शामिल किया गया। बफर जोन में लैंसडौन और हरिद्वार वन प्रभाग की कुछ रेंजों को शामिल किया गया।

    इनमें लैंसडौन प्रभाग की कोटद्वार, दुगड्डा, कोटड़ी व लालढांग रेंज भी शामिल हैं। इन रेंजों से घनी आबादी वाले क्षेत्र लगे हैं। इसे देखते हुए इन्हें रिजर्व का बफर जोन के तौर पर प्रबंधन करने में राज्य की ओर से हीलाहवाली बरती जा रही है। सूत्रों की मानें तो पूर्व में भी एनटीसीए ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया था। 

    फिर भी राजाजी टाइगर रिजर्व से लगी इन रेंजों का प्रबंधन इसके बफर जोन के तौर पर नहीं किया गया। अब इससे खफा एनटीसीए ने त्योंरियां चढ़ाई हैं और टाइगर संरक्षण के मद्देनजर बजट रोकने की चेतावनी दी है।

    उधर, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीवीएस खाती ने एनटीसीए का पत्र मिलने की पुष्टि की। पत्र में साफ है कि इन चारों रेंजों का प्रबंधन बफर के तौर पर किया जाए। उन्होंने बताया कि इस बारे में निर्णय उच्च स्तर पर होना है। इसे देखते हुए प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया है।

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