एनआरएचएम दवा घोटाले का नए सिरे से होगा परीक्षण, पढ़िए पूरी खबर
एनआरएचएम घोटाले में सीबीआइ को आरोपित सात स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति देने से पहले सरकार नए सिरे से परीक्षण कराने की तैयारी कर रही है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) दवा घोटाले में सीबीआइ को आरोपित सात स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति देने से पहले सरकार इसका नए सिरे से परीक्षण कराने की तैयारी कर रही है। इस मामले में सीबीआइ द्वारा तत्कालीन सीएमएस के अलावा स्टोर कीपर और ड्राइवर आदि को आरोपित किया गया है। ऐसे में सरकार यह मान रही है कि केवल इन कर्मचारियों के बूते ही यह घोटाला संभव नहीं था। ऐसे में इसका नए सिरे से परीक्षण कराने की तैयारी सरकारकर रही है।
प्रदेश में वर्ष 2010 में एनआरएचएम घोटाला सामने आया था। दरअसल, एनआरएचएम के तहत फरवरी 2009 में आयरन टेबलेट, सिरप, सेनेट्री पेड, ओआरएस के पैकेज आदि खरीदे गए थे। इन्हें सितंबर तक सभी स्टोरों तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए। ऐसा हुआ नहीं और कई जिलों में यह दवा नहीं पहुंची। घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब रुड़की के एक नाले में ये दवाएं मिलीं। इनकी जांच की गई तो सभी एक्सपायरी डेट की थी। बताया गया कि जब ये दवा खरीदी गई, तब इनकी एक्सपायरी डेट के केवल डेढ़ वर्ष बचे थे। इसमें भी आठ माह तो जिलों में पहुंचने में लग गए। वितरण में हुई देरी के चलते ये दवाएं खराब हो गईं। इसके बाद यह मामला सूचना आयोग पहुंचा। आयोग ने इस पूरे प्रकरण पर सख्ती दिखाते हुए इसकी जांच सीबीआइ से कराने का निर्णय लिया।
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इस पर शासन ने पूरे मामले की सीबीआइ जांच की संस्तुति की और सभी दस्तावेज सीबीआइ को उपलब्ध कराए। दवा घरीद घोटाला तकरीबन 35 लाख का माना गया। सीबीआइ ने चार वर्ष बाद अब इस मामले को अपने हाथ में लेते हुए इसमें सात स्वास्थ्य कर्मियों को आरोपित बनाया है और शासन से इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी है। सरकार ने अभी तक यह अनुमति नहीं दी है। सूत्रों की मानें तो सरकार इसका नए सिरे से परीक्षण कराने की तैयारी कर रही है। इसके बाद ही सीबीआइ को कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति देने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
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