आंदोलन का बिगुल फूंक चुके डॉक्टरों के तेवर नरम, नहीं देंगे सामूहिक इस्तीफा
कोरोनाकाल में आंदोलन का बिगुल फूंक चुके डॉक्टरों के तेवर कुछ नरम पड़े हैं। पीएमएचएस के बैनर तले डॉक्टर मांगों को लेकर चार दिन से काली पट्टी बांधकर कार्य कर रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। कोरोनाकाल में आंदोलन का बिगुल फूंक चुके डॉक्टरों के तेवर कुछ नरम पड़े हैं। प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ (पीएमएचएस) के बैनर तले डॉक्टर अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले चार दिन से काली पट्टी बांधकर कार्य कर रहे हैं। इस बीच संघ के प्रतिनिधिमंडल की स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के साथ वार्ता हुई। सचिव से मिले आश्वासन पर डॉक्टरों ने आगामी आठ सितंबर को सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला स्थगित कर दिया है। हालांकि, इस दौरान विरोध स्वरूप वह काली पट्टी बांधकर कार्य करते रहेंगे। आंदोलन की अग्रिम रणनीति तैयार करने के लिए रविवार को बैठक बुलाई गई है। डॉक्टरों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि कोरोनाकाल में अपनी जान को जोखिम में डालकर कार्य करने के बाद भी सरकार ने उनका एक दिन का वेतन काटने का निर्णय लिया है।
अस्पतालों में प्रशासनिक हस्तक्षेप बढ़ रहा है और सीएम की घोषणा के बाद भी पीजी डॉक्टरों को पूरा वेतन देने संबंधी आदेश नहीं हुआ है। गुरुवार रात डॉक्टरों की स्वास्थ्य सचिव के साथ वार्ता हुई। जिसमें सचिव ने मांगों पर सहमति जताई है। एक दिन की वेतन कटौती रोकने व पीजी में अध्ययनरत चिकित्सकों को पूरा वेतन देने का प्रस्ताव आगामी कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। इसके अलावा सिक्योरिटी एक्ट पर प्रभावी कार्रवाई के लिए गृह सचिव को पत्र भेजा जाएगा, ताकि जहां-जहां डॉक्टरों के साथ र्दुव्यवहार हुआ है, वहां दोषियों पर एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
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प्रशासनिक हस्तक्षेप पर भी सचिव ने जिलाधिकारियों से बात कर इस समस्या का सर्वमान्य हल निकालने की बात कही है। पीएमएचएस के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. नरेश नपलच्याल व महासचिव डॉ. मनोज वर्मा का कहना है कि वेतन कटौती व पीजी डॉक्टरों के वेतन पर निर्णय होने के बाद ही आंदोलन वापस लिया जाएगा। आंदोलन का अगला प्रारूप क्या होगा, इसकी रणनीति रविवार को होने वाली बैठक में तय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में डॉक्टर अपना सब कुछ त्यागकर मरीजों का उपचार करने में जुटे हुए हैं। इसलिए सरकार को उनकी सही मांगों को मानना ही चाहिए।
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