डॉक्टरों ने जसपुर विधायक आदेश चौहान पर कार्रवाई की मांग उठाई
प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के बैनर तले प्रदेशभर के चिकित्सकों ने बुधवार को दूसरे दिन भी काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
देहरादून, जेएनएन। प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के बैनर तले प्रदेशभर के चिकित्सकों ने बुधवार को दूसरे दिन भी काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन जारी रखा। इस दौरान संगठन की स्वास्थ्य महानिदेशालय में एक बैठक भी हुई। बैठक में संगठन ने जिलाधिकारी चमोली के चिकित्सकों का वेतन रोकने के आदेश पर रोष प्रकट किया। वहीं, कंटेनमेंट जोन को लेकर ऊधमसिंह नगर जिले के जसपुर विधायक आदेश चौहान द्वारा प्रभारी चिकित्साधिकारी से अभद्रता मामले में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को पत्र भेजा गया है। जिसमें उनके निलंबन की मांग की गई है।
प्रदेश के चिकित्सक इन दिनों अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं। इस क्रम में वह सात सितंबर तक काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। वहीं, आठ सितंबर को उन्होंने सामूहिक त्यागपत्र देने का एलान किया है। चिकित्सकों ने सरकार के उस फैसले का विरोध किया है, जिसमें हर माह एक दिन का वेतन काटा जा रहा है। दूसरी मांग मुख्यमंत्री की उस घोषणा को लेकर है, जिसमें पीजी करने वाले डॉक्टरों को पूरी तनख्वाह देने की बात सीएम ने कही थी। लेकिन, इसका आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है।
इसके अलावा जिलाधिकारी की ओर से तहसीलदार, पटवारी आदि को अस्पतालों के निरीक्षण के लिए नामित करने और बढ़ते प्रशासनिक हस्तक्षेप का भी उन्होंने विरोध किया है। इसके साथ ही हर विभागीय/प्रशासनिक जांच में अस्पताल में हुई मौत का ठीकरा चिकित्सक के सिर फोड़े जाने को भी गलत बताया है। बैठक में प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. नरेश नपच्याल, महासचिव डॉ. मनोज वर्मा, कोषाध्यक्ष डॉ. पीएस रावत, डॉ. एसएन सिंह समेत संघ के कई पदाधिकारी उपस्थित रहे।
सेवानिवृत्त चिकित्सकों से वसूली का विरोध
प्रांतीय होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा संघ ने विभाग से सेवानिवृत्त चिकित्सकों की पेंशन रोके जाने का विरोध किया है। संघ का कहना है कि तदर्थ नियुक्ति के बाद वर्ष 2006 में समायोजित हुए चिकित्सकों की सेवा को उनकी नियुक्ति के समय से माना जाए और जिनको पेंशन का भुगतान किया जा चुका है, उनसे वसूली न की जाए। उन्होंने वित्त विभाग के अगस्त में जारी शासनादेश को निरस्त करने की मांग की है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित राज नेगी ने बताया कि सरकार ने हाल ही में आयुष विभाग को ऐसे चिकित्सकों से वसूली के आदेश दिए हैं, जो नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद समायोजित हुए। मंगलवार को इस संदर्भ में आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, जिसमें चिकित्सकों की पेंशन का प्रकरण कैबिनेट के सम्मुख रखने का निर्णय लिया गया था। डॉक्टरों ने कहा कि पेंशन की वसूली किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
निदेशक पद पर डीपीसी रोकने की मांग
संघ ने होम्योपैथिक विभाग के निदेशक पद पर होने वाली डीपीसी रोकने की भी मांग की है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. नेगी ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि मौजूदा प्रभारी निदेशक पर कई आरोप लगे हैं। उक्त आरोपों की जांच के बाद ही उन्हें निदेशक के पद पर होने वाली डीपीसी में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि निदेशक की जांच के संदर्भ में सरकार को कई बार लिखा जा चुका है, लेकिन अभी तक जांच नहीं हो पाई है। पूर्व मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने यह मांग भी की है कि जब तक जांच पूरी न हो जाए, निदेशक पद पर डीपीसी न की जाए।
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