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अब लैंड फ्रॉड कमेटी को बाइपास नहीं कर पाएगी एसआइटी, पढ़िए पूरी खबर

अब एसआइटी लैंड फ्रॉड कोर्डिनेशन कमेटी को बाइपास नहीं कर पाएगी। मुकदमा दर्ज करने से पहले एसआइटी को मंडलायुक्तों की अध्यक्षता में गठित समिति से संस्तुति प्राप्त करनी होगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 08:55 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 08:55 AM (IST)
अब लैंड फ्रॉड कमेटी को बाइपास नहीं कर पाएगी एसआइटी, पढ़िए पूरी खबर
अब लैंड फ्रॉड कमेटी को बाइपास नहीं कर पाएगी एसआइटी, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। भूमि संबंधी धोखाधड़ी के मामलों में अब एसआइटी (भूमि) लैंड फ्रॉड कोर्डिनेशन कमेटी को बाइपास नहीं कर पाएगी। किसी भी प्रकरण में मुकदमा दर्ज करने से पहले एसआइटी को मंडलायुक्तों की अध्यक्षता में गठित समिति से संस्तुति प्राप्त करनी होगी। अब तक पुलिस मनमर्जी से थानों में मुकदमे दर्ज कर रही थी, जबकि धोखाधड़ी से जुड़े प्रभावशाली लोगों पर हाथ डालने से कई दफा परहेज किया जा रहा था।

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लैंड फ्रॉड कोर्डिनेशन कमेटी की संस्तुति पर ही मुकदमे दर्ज करने संबंधी आदेश गृह सचिव नितेश कुमार झा ने जारी किया है। विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों समेत सभी आठ सदस्यों को आदेश की प्रति भेज दी गई है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में डीआइजी के अधीन गठित 21 सदस्यीय एसआइटी सीधे संबंधित थानों में मुकदमे दर्ज करने की जगह पहले कमेटी से संस्तुति प्राप्त करेगी। इसके बाद एसआइटी जमीन संबंधी प्रकरणों पर विधिवत कार्रवाई करेगी।

आरटीआइ में आई थी कमेटी गठित होने की बात

बल्लीवाला निवासी अजय गोयल ने आरटीआइ में कमेटी के गठन व उसके अधिकारों को लेकर जानकारी मांगी थी। आरटीआइ के दस्तावेजों के हवाले से जागरण ने 13 फरवरी 2019 के अंक में 'लैंड फ्रॉड कमेटी से मंडलायुक्त और आइजी रजिस्ट्रेशन दूर' शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी।

खबर में बताया गया था कि एसआइटी मनमर्जी से मुकदमे दर्ज कर रही है और समिति भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है। ऐसे में पुलिस गवाहों तक को आरोपित बना रही है और सिविल/राजस्व न्यायालयों में दर्ज मामलों में भी हस्तक्षेप किया जा रहा है। इसके बाद लेखपाल संघ ने भी एसआइटी की मनमर्जी और राजस्व कार्मिकों के उत्पीडऩ को लेकर लंबा आंदोलन छेड़ा था। शासन में समक्ष जब स्थिति स्पष्ट हो गई तो अब दोबारा संशोधित आदेश जारी किया गया है।

इसलिए एसआइटी को अधिकार नहीं

रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 82 कहती है कि भूमि आदि की रजिस्ट्री के दौरान यदि कोई फर्जीवाड़ा किया गया है तो उसकी जांच का अधिकार निबंधन अधिकारियों को है और उनकी संस्तुति के बाद ही मुकदमा करने का निर्णय लिया जाएगा। इसी तरह उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम की धारा 334 के अनुसार राजस्व अधिकारियों के निर्णयों पर मंडलायुक्त स्तर पर भी कार्रवाई की जा सकती है। तकनीकी पेंच के चलते ही कमेटी में मंडलायुक्त व आइजी रजिस्ट्रेशन को प्रमुखता से शामिल किया गया। ताकि फर्जीवाड़े पर नियमों के अनुरूप प्रभावी कार्रवाई की जा सके।

यह है कमेटी का ढांचा

- मंडलायुक्त गढ़वाल/कुमाऊं, अध्यक्ष

- आइजी रजिस्ट्रेशन, सदस्य

- परिक्षेत्रीय पुलिस उपमहानिरीक्षक, सदस्य   अपर आयुक्त, सदस्य

- संबंधित वन संरक्षक, सदस्य

- संबंधित उपाध्यक्ष, विकास प्राधिकरण

- नगर निकायों के संबंधित अधिकारी

- पुलिस अधीक्षक, क्षेत्रीय अभिसूचना विभाग

...तो जानबूझकर कमजोर किए जाते रहे केस

यदि नियमों के विपरीत जाकर एसआइटी (भूमि) अपने स्तर पर मुकदमे करती है तो आसानी से उन्हें कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। इससे प्रभावशाली वर्ग व भूमाफिया को आसानी से बचने का रास्ता मिल रहा था, जबकि इस अनावश्यक कार्रवाई की आड़ में आमजन उत्पीड़न का शिकार हो जाते हैं।

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रविनाथ रमन (मंडलायुक्त, गढ़वाल) का कहना है कि अब भूमाफिया गिरफ्त से बच नहीं पाएंगे। एसआइटी को नियमानुसार मुकदमे दर्ज करने की संस्तुति की जाएगी। ऐसे में एसआइटी से संबंधित अधिकारी भी अधिक जवाबदेह बनेंगे और कोई उन्हें प्रभावित नहीं कर पाएगा।

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