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आधुनिक तकनीक से अब आसान हुआ शोध और अनुसंधान

शोधार्थी अपने शोध का सटीक विश्लेषण जानने के लिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद ले रहे हैं। इन नई तकनीकों से शोधार्थियों के लिए अपने शोध के वास्तविक बिंदुओं को समझना आसान हो गया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 05:29 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 08:04 AM (IST)
आधुनिक तकनीक से अब आसान हुआ शोध और अनुसंधान
आधुनिक तकनीक से अब आसान हुआ शोध और अनुसंधान

देहरादून, जेएनएन। देश-विदेश के शोधार्थी अपने शोध का सटीक विश्लेषण जानने के लिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद ले रहे हैं। दुनियाभर में नई तकनीकों के आने के बाद शोधार्थियों के लिए अपने शोध के वास्तविक बिंदुओं को समझना आसान हो गया है। यही कारण है कि वर्तमान में शोधार्थी को इन आधुनिक टूल्स में पारंगत होना चाहिए। यह बात एसजीआरआर विवि में शोधार्थियों के लिए आयोजित विशेष कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कही। 

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एसपीएसएस सॉफ्टवेयर हेंडलिंग एंड रिसर्च एनालाइसिस विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में 123 पीएचडी शोधार्थियों ने भाग लिया। विशेषज्ञों ने शोधार्थियों को कंप्यूटर पर प्रशिक्षण देकर सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करने की तकनीकों की जानकारी दी। कुलपति डॉ. पीतांबर प्रसाद ध्यानी ने कहा कि शोधार्थियों के प्रति विवि के चांसलर महंत देवेंद्र दास महाराज का विजन स्पष्ट हैं। वह चाहते हैं कि शोधार्थियों को हर तरीके की विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। शोधार्थियों के शोध कार्य व शोध परिणाम देश दुनिया में समाज कल्याण के लिए उपयोगी साबित हों, इसके लिए शोधार्थियों को हर संभव तकनीक मदद उपलब्ध कराई जाए। 

विवि के डीन रिसर्च डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि दुनियाभर में हो रहे शोध कार्यों में शोधार्थी नई-नई तकनीक प्रयोग कर रहे हैं। नई तकनीकें समय की मांग हैं और शोध कार्यों को समाज, देश और दुनिया के सामने तथ्यपूर्वक ढंग से प्रस्तुत करने में उपयोगी टूल का काम कर रहे हैं। सांख्यकीय टूल्स के विशेषज्ञ प्रोफेसर पंकज चमोला ने शोधार्थियों को कई महत्वपूर्ण बिंदुओं से रूबरू करवाया। 

कार्यशाला में तकनीकी सहयोग अभिषेक, गणेश डबराल एवं रमेश का रहा। कार्यशाला का संचालन डॉ. पूजा जैन ने किया। इस अवसर पर डॉ. प्रीति कोठियाल, डॉ. कुमुद सकलानी, डॉ. दीपक साहनी, डॉ. विपुल जैन, डॉ. कुणाल किशोर, डॉ. दीपक सोम आदि मौजूद रहे।

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