अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में फर्जीवाड़े पर कसेगी नकेल, तैयार होगा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में फर्जीवाड़े पर नकेल कसने के लिए अब पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। जिसके तहत योजना के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार होगा।
देहरादून, जेएनएन। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में फर्जीवाड़े पर नकेल कसने के लिए अब पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। जिसके तहत योजना के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार होगा। इसमें किसी भी केस में पूर्वानुमति, क्लेम की स्वीकृति आदि के न्यूनतम मानक तय किए जाएंगे। अभी मानक निर्धारित न होने का कुछ निजी अस्पताल जमकर लाभ उठा रहे हैं।
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के जरिये सूबे में अब तक 32 लाख से अधिक लोगों के गोल्डन कार्ड बन चुके हैं। जिन्हें सरकारी एवं निजी अस्पतालों में पांच लाख तक के निश्शुल्क इलाज की सुविधा प्रदान की गई है। 53 हजार से अधिक मरीज इसका लाभ उठा चुके हैं। जिनमें तकरीबन ढाई हजार मरीज ऐसे हैं, जिन्हें गुर्दा रोग, कैंसर, न्यूरो सहित गंभीर बीमारी में इस योजना से फायदा हुआ है। हालांकि, जैसे-जैसे यह योजना आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई निजी अस्पताल इस योजना में खामियां तलाशने में जुट गए हैं। अब तक कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां गलत ढंग से लाखों का भुगतान इस योजना के तहत लिया गया।
अलबत्ता, जांच में इन अस्पतालों के कारनामों की पोल-पट्टी भी लगातार खुल रही है। अब तक इस योजना में 14 अस्पतालों पर दंडात्मक कार्रवाई की गई है। जिनमें से दो की सूचीबद्धता निरस्त करने के साथ ही एक पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई की जा चुकी है। 11 अस्पताल ऐसे हैं, जिनकी सूचीबद्धता निलंबित कर इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
अब आगे इस तरह के फर्जीवाड़े न हों, यह सुनिश्चित करने के लिए योजना में एसओपी के तहत मानकीकरण किया जा रहा है। ऐसे में किस क्लेम को क्लीयर करना है, किसे रिजेक्ट या फिर किसे मंजूर किया जाना है, इसे लेकर मानक तय कर दिए जाएंगे। अफसरों ने उम्मीद जताई कि इसके बाद फर्जीवाड़े पर प्रारंभिक स्तर पर ही नकेल कस जाएगी।
क्या है एसओपी
स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) एक ऐसा डॉक्युमेंट होता है, जिसमें किसी काम को करने के लिए एक-एक कदम की जानकारी दी गई होती है। यह एक तरह का मानकीकरण है।
रेफरल के मानक कड़े
अटल आयुष्मान योजना के तहत अब रेफरल के लिए भी मानक तय होंगे। अभी तक रेफरल एक सामान्य प्रैक्टिस के तहत या यूं कहें कि पारम्परिक ढर्रे पर किया जाता रहा है। पर इस योजना में सामने आए फर्जीवाड़े में ज्यादा प्रकरण रेफरल से ही जुड़े हैं। क्योंकि क्लेम का भुगतान सरकार के स्तर से होना है, इसलिए इसका मानकीकरण किया जाना आवश्यक माना जा रहा है। ऐसे में कौन, किसको और किस परिस्थिति में मरीज को रेफर कर सकता है, इसकेमानक तय किए जा रहे हैं। इसका प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है।
डीके कोटिया (चेयरमैन, अटल आयुष्मान सोसायटी) का कहना है कि योजना के तहत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर पर विचार चल रहा है। जिसका मकसद इसका मानकीकरण करना है। इससे किसी भी तरह की गड़बड़ी पर भी लगाम लगेगी।
अटल आयुष्मान में चार और अस्पताल राडार पर
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में चार और अस्पताल राडार पर हैं। इनमें बड़े स्तर पर खामियां सामने आई हैं। इन पर भी जल्द कार्रवाई की जा सकती है।
बता दें, अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में फर्जीवाड़े में अब तक 14 अस्पतालों पर कार्रवाई की जा चुकी है। इन अस्पतालों में संचालकों ने कई तरह से फर्जीवाड़ा कर लाखों रुपये की क्लेम की राशि हासिल की। कहीं गलत ढंग से मरीजों को रेफर किया गया तो किसी ने इलाज किए बिना ही क्लेम ले लिया।
कहीं, एक ही डॉक्टर दो जगह काम कर रहा था तो किसी अस्पताल में बिना प्री-अथोराइजेशन के इलाज शुरू कर दिया। इसके अलावा मरीज को इलाज न देने पर भी अस्पताल पर कार्रवाई की गई है। पर ये अस्पताल पकड़ में तब आए जब यह लाखों रुपये फर्जी क्लेम के डकार चुके थे। पर अब व्यवस्था ज्यादा पुख्ता की जा रही है। इसके तहत न केवल राज्य स्तरीय, बल्कि जिला स्तरीय एंटी फ्रॉड कमेटियां भी बनाई जा रही हैं। इस तरह की कमेटियों को बनाने का प्रावधान भारत आयुष्मान की केंद्रीय नियमावली में भी है। इन कमेटियों को नियमावली के आधार पर गठित किया जाएगा।
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