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भारतीय सेना रात के अंधेरे में भी पहचान सकेगी दुश्मन को

अब भारतीय सेना रात के घुप अंधेरे में भी आसानी से पहचान कर लेगी कि कई सौ मीटर दूर खड़ा शख्स दुश्मन है या कोई आम आदमी। इसके लिए आर्डनेस फैक्ट्री ने दूरबीन तैयार करने में सफलता पा ली।

By BhanuEdited By: Published: Sun, 19 Mar 2017 01:35 PM (IST)Updated: Mon, 20 Mar 2017 04:35 AM (IST)
भारतीय सेना रात के अंधेरे में भी पहचान सकेगी दुश्मन को
भारतीय सेना रात के अंधेरे में भी पहचान सकेगी दुश्मन को

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: अब भारतीय सेना रात के घुप अंधेरे में भी आसानी से पहचान कर लेगी कि कई सौ मीटर दूर खड़ा शख्स दुश्मन है या कोई आम आदमी। यह संभव होगा नई नाइट विजन बायनॉकुलर (रात में देखने में सक्षम दूरबीन) से। 

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विश्व स्तरीय मानकों के अनुरूप बनी इस दूरबीन को तैयार करने में सफलता हासिल की है देहरादून की आर्डनेंस फैक्ट्री ने। पहली खेप के रूप में 80 बायनॉकुलर डिवाइस सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) को मुहैया कराई गई हैं। इसके अलावा फैक्ट्री ने रॉकेट लांचर व इंसास राइफल के लिए भी इसी क्षमता की नाइट विजन साइट विकसित की है।

आर्डनेंस फैक्ट्री के महाप्रबंधक डीएम पुरी के अनुसार अब तक की नाइट विजन बायनॉकुलर में रात के वक्त आकृति की पहचान उतनी स्पष्ट नहीं हो पाती थी। ऐसे में सामने दुश्मन है या कोई आम आदमी, इसे लेकर जवानों में संशय रहता था। 

हालांकि, नए बायनॉकुलर में यह समस्या नहीं है। इसमें आकृति अधिक स्पष्ट नजर आती है और दुश्मन की पहचान करने में असमंजस नहीं रहता। सेना के समक्ष इसका ट्रायल भी किया जा चुका है और अगले वित्तीय वर्ष में सेना के लिए उत्पादन भी शुरू कर दिया जाएगा। 

इसी नई तकनीक पर आधारित रॉकेट लांचर व इंसास राइफल की नाइट विजन डिवाइस को भी सेना में शामिल किया जाना है। फिलहाल, नाइट विजन बायनॉकुलर की तरह रॉकेट लांचर और इंसास की नाइट विजन साइट भी पैरा मिलिट्री फोर्स को मुहैया कराई गई है। इस वर्ष 200 नाइट विजन साइट तैयार की गई हैं। मांग के अनुरूप इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।

नए नाइट विजन की खासियत

-रात के घने अंधकार में और अधिक स्पष्ट आकृति।

-वजन में पहले के मुकाबले करीब 300 ग्राम की कमी।

-नाइट विजन बायनॉकुलर रात्रि में 500 मीटर दूरी तक देखने में सक्षम।

-रॉकेट लांचर की नाइट विजन साइट की रेंज 500 मीटर।

-इंसास राइफल की साइट की रेंज है 400 मीटर।

-घने कोहरे में दृश्य क्षमता में महज 20 फीसद तक की कमी।

-माइनस 30 डिग्री तापमान में भी कार्य करने में सक्षम।

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