पहाड़ पर फिर हांफ गई 'उम्मीदों की रेल'
नए वित्तीय वर्ष 2016-17 के रेल बजट में उत्तराखंड में नई रेलगाड़ियों के लिए न तो उम्मीद जगी और न ही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन, चार धाम को रेलवे नेटवर्क से आपस में जोड़ने पहले घोषित की गईं परियोजनाओं के जमीन पर उतरने को लेकर उत्साह या उमंगें परवान चढ़ी हैं।
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। पहाड़ पर तेजी से रेलगाड़ी चढ़ने की उम्मीद एक बार फिर धड़ाम हो गईं। नए वित्तीय वर्ष 2016-17 के रेल बजट में उत्तराखंड में नई रेलगाड़ियों के लिए न तो उम्मीद जगी और न ही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन, चार धाम को रेलवे नेटवर्क से आपस में जोड़ने समेत गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों के लिए पहले घोषित की गईं महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के जमीन पर उतरने को लेकर उत्साह या उमंगें परवान चढ़ी हैं। अलबत्ता, देश के जिन 18 धार्मिक शहरों में रेलवे स्टेशन का कायाकल्प करने का भरोसा बंधाया गया, उनमें हरिद्वार को शामिल किया गया है। आस्था सर्किट और पर्यटन सर्किट गाड़ियां चलाने की योजनाएं बजट का हिस्सा हैं, लेकिन इनमें भविष्य में उत्तराखंड के हाथ कुछ लगेगा, यह अभी साफ नहीं हो सका है।
रेल परिवहन सुविधाओं के लिहाज से उत्तराखंड काफी पिछड़ा हुआ है। यही वजह है कि हर बार रेल बजट पर राज्यवासी टकटकी लगाए रहते हैं, लेकिन राज्य गठन के बाद से अभी तक उम्मीदें तो जगाई गईं, लेकिन उम्मीदों की रेल जमीन पर कब सरपट दौड़ेगी, इसे लेकर बजट में ठोस रोडमैप नदारद है। नए वित्तीय वर्ष के रेल बजट में नई परियोजनाओं को लेकर मंत्रालय के हाथ खींचे रहने का असर ये रहा कि राज्य के खाते में कोई नई ट्रेन नहीं जुड़ पाई। देश की सामरिक सुरक्षा के साथ ही राज्य की आर्थिकी और पर्यटन के लिए अहम मानी जा रही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के बारे में भी बजट खामोशी अख्तियार किए हुए है। तकरीबन 125 किमी रेलवे लाइन की करीब साढ़े पांच हजार करोड़ लागत की इस परियोजना को सीमा पर चीन के रेलवे नेटवर्क के विकास को देखते हुए बेहद जरूरी माना जा रहा है। बजट में इस योजना पर मंत्रालय की सुस्ती भारी पड़ती नजर आ रही है। केंद्र की मोदी सरकार ने बीते वर्ष पहले रेल बजट में चार धामों को भी रेलवे नेटवर्क से जोड़ने का इरादा जताया था, लेकिन इस पर भी फिलहाल चुप्पी साधी गई है।
इस बजट में राज्य में सिर्फ हरिद्वार रेलवे स्टेशन को यात्री सुविधाओं से लैस कर सौंदर्यीकरण करने की बात की गई है। रेल मंत्रालय ने धार्मिक महत्व के केंद्रों पर यात्रियों की सुविधाएं चाक-चौबंद करने को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। इस योजना में शामिल देश के 18 धार्मिक स्थलों में हरिद्वार भी शामिल है। इसके अलावा मंत्रालय ने महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों को जोड़ने के लिए आस्था सर्किट गाड़ियां चलाने की मंशा बजट में जताई है। इस मंशा पर अमल हुआ तो धार्मिक महत्व के राज्य के कुछ क्षेत्रों को फायदा मिल सकता है। राष्ट्रीय पशु बाघ के प्रति जागरूकता के लिए एक संपूर्ण पैकेज के तौर पर रेलगाड़ी यात्रा, सफारी एवं आवासीय सुविधा पर जोर देते हुए जिन तीन वन्यजीव सर्किट को शामिल किया गया है, उनमें उत्तराखंड के सर्किट नहीं हैं। बजट में पर्यटक सर्किट गाड़ियां चलाने के लिए राज्य सरकारों के साथ भागीदारी करने की बात कही गई है। पर्यटन को आमदनी का मुख्य स्रोत बनाने की जुगत में जुटे उत्तराखंड के लिए केंद्र की ये योजना कुछ उम्मीद बंधाती है।
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