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    72 गांवों को शामिल कर बदला नगर निगम का भूगोल, नहीं बदली सूरत

    By BhanuEdited By:
    Updated: Mon, 24 Dec 2018 09:34 AM (IST)

    शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए सरकार ने 72 गांवों को नगर निगम क्षेत्र में मिलाकर शहर का भूगोल तो बदल दिया, लेकिन इन क्षेत्रों की तस्वीर नहीं बदली।

    72 गांवों को शामिल कर बदला नगर निगम का भूगोल, नहीं बदली सूरत

    देहरादून, अंकुर अग्रवाल। शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए सरकार ने 72 गांवों को नगर निगम क्षेत्र में मिलाकर शहर का भूगोल तो बदल दिया, लेकिन इन क्षेत्रों की तस्वीर नहीं बदली। नगर निगम का दायरा 60 वार्डों से बढ़कर 100 वार्ड का हो चुका है। पूर्व में यहां का क्षेत्रफल 64 वर्ग किमी था, जबकि मौजूदा क्षेत्रफल 194 वर्ग किमी है। 

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    2011 की जनगणना के तहत नगर निगम क्षेत्र की आबादी 5.74 लाख थी, जो बढ़कर 8.03 लाख हो चुकी है। वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो निगम क्षेत्र की जनसंख्या दस लाख पार चुकी है। फिर भी जो मकसद शहर में गांवों को शामिल करने का था, वह कोसों दूर नजर आ रहा। निगम का नया बोर्ड बागडोर संभाल चुका है। 

    ऐसा कोई प्रयास अब तक नहीं हुआ, जिसका फायदा नए शामिल क्षेत्रों को मिला हो। इनमें न तो सफाई व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध हुए, न ही स्ट्रीट लाइटों पर ध्यान दिया गया। नालियों व गलियों के निर्माण की बात तो दूर की है। डोर-टू-डोर कूड़ा उठान की सोची भी नहीं गई। 

    यह था मकसद

    परिसीमन के बाद करीब सवा दो लाख ग्रामीणों को शहरी नागरिक का दर्जा मिल गया। गांवों को शहर में मिलाने का निगम का प्रस्ताव पांच साल तक सरकार में धूल फांकता रहा। हालांकि, उसमें शहर से सटे 51 गांव शामिल किए जाने थे, लेकिन बाद में यह संख्या बढ़ाकर 72 कर दी गई और मौजूदा सरकार ने प्रस्ताव मंजूर कर लिया। 

    अब तक इन 72 गांवों को न तो शहरी क्षेत्र के करीब होने का फायदा मिल पाता था न ही ग्रामीण क्षेत्रों को मिलने वाली योजनाओं का। निगम इन्हें अपना हिस्सा नहीं मानता था और ग्राम पंचायतें इन्हें शहरी क्षेत्र का हिस्सा मानकर विकास कार्य से कदम पीछे खींच लेती थी। ये गांव अभी भी सफाई व स्ट्रीट लाइट से वंचित हैं। यहां सफाई का कार्य ग्रामीण निजी खर्च पर करा रहे। ऐसे में सरकार का मकसद इन गांवों में शहरी योजनाओं का लाभ पहुंचाना था। 

    पीएमओ में लगाते हैं गुहार

    सुविधाओं से वंचित शहरी क्षेत्र से सटे गांवों के लोग अक्सर पीएमओ में संपर्क कर अपनी समस्या बताते हैं। जोहड़ी गांव, मालसी, अनारवाला गांव में स्ट्रीट लाइटों और सड़कों की समस्या का समाधान भी पीएमओ के दखल के बाद ही हो पाया।

    300 करोड़ चाहिए सालाना बजट

    परिसीमन से पूर्व में नगर निगम से पास 60 वार्डों के लिए सालाना डेढ़ सौ करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था थी, मगर अब वार्डों की संख्या बढ़ जाने से नए जुड़े क्षेत्रों में विकास के लिए निगम को 150 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट चाहिए। खुद नगर आयुक्त शासन में 300 करोड़ के सालाना बजट की डिमांड कर चुके हैं। 

    बदल गया वार्डों का गणित 

    परिसीमन के बाद शहर के 80 प्रतिशत वार्डों का इतिहास-भूगोल बदल चुका है। वार्डों का परिसीमन करीब आठ हजार की आबादी के हिसाब से किया गया है। ऐसे में शहर के 45 वार्ड, जिनकी आबादी नौ हजार से अधिक थी, उनकी स्थिति में भी परिवर्तन आ गया है। इतना ही नहीं ऐसे वार्ड भी प्रभावित हुए हैं, जिनकी आबादी नौ हजार से कम थी। 

    निगम के लिए भी बड़ी चुनौती

    72 गांवों के शामिल होने से नगर निगम के लिए भी चुनौती बढ़ गई है। दरअसल, 2008 में जब सीमा विस्तार कर 18 गांव निगम क्षेत्र में शामिल किए गए थे, उन्हीं में अब तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। निगम के पास भी सीमित संसाधन हैं। अधिकारियों के पद भी खाली पड़े हैं। 60 वार्डों की व्यवस्था संभालने में निगम प्रशासन नाकाम साबित हो रहा था, ऐसे में नए वार्ड बढऩे से निगम प्रशासन गफलत में नजर आ रहा। 

    यह वार्ड हो गए छोटे 

    माजरा, टर्नर रोड, कारगी, राजपुर, जाखन, सहस्त्रधारा रोड, हाथी बड़कला, विजय कॉलोनी, इंद्रा कॉलोनी, रेसकोर्स उत्तर, तिलक रोड, खुड़बुड़ा, डालनवाला पूरब, भगत सिंह कॉलोनी, राजीव नगर, डिफेंस कॉलोनी, नेहरू कॉलोनी, दीपनगर, अजबपुर, पटेलनगर पूरब, पटेलनगर पश्चिम, गांधी ग्राम, यमुना कॉलोनी, श्रीदेवसुमन नगर, बल्लूपुर, कौलागढ़, ब्रह्मपुरी, इंद्रापुरम, द्रोणपुरी, कांवली, बसंत विहार, मोहित नगर। 

    ये वार्ड हो गए बड़े 

    आर्यनगर, बकरालवाला, घंटाघर, एमकेपी, कालिका मंदिर मार्ग, धामावाला आदि। इन वार्डों की आबादी नौ हजार से कम थी। 

    निगम के वर्तमान बजट की स्थिति 

    -60 वार्ड के हिसाब से निगम के पास थी 150 करोड़ के बजट की व्यवस्था

     -नगर निगम क्षेत्र में शामिल 72 गांवों में विकास कार्यों के लिए 150 करोड़ का बजट अतिरिक्त चाहिए

     -14 वें वित्त आयोग से नगर निगम को मिलते हैं 101 करोड़ रुपये 

    -राच्य वित्त से नगर निगम को मिलते हैं 25 करोड़ रुपये

    -हाउस टैक्स और बाकी स्रोतों से आय 25 करोड़ रुपये

    ये नए क्षेत्र सुविधाओं से वंचित 

    खाला गांव, डोम गांव, भंडार गांव, बगराल गांव, कुठाल गांव, किरसाली, किरसाली-2, दानियों का डांडा, मक्कावाला, सिनोला, जोहड़ी, मालसी, चालंग, तरला नागल, गुजराड़ा मानसिंह, डांडा धोरण, डांडा खुदानेवाला, डांडा लखौंड, डांडा नूरीवाला, आमवाला तरला, आमवाला उपरला, आमवाला मझला, आमवाला करनपुर, सौंधोवाली मानसिंह, ननूरखेड़ा, लाडपुर, नत्थनपुर, नत्थनपुर, माजरी माफी, मोहकमपुर खुर्द, मोहकमपुर कलां, हरीपुर, नवादा, बद्रीपुर, रायपुर, हटवालगांव, नागल हटनाला, सौंधोवाली धोरण, सुंदरवाला, आरकेडियाग्रांट, हरभजवाला, हरबंशवाला, हर्रावाला, मेहूंवाला माफी, मियांवाला, पित्थूवाला, सेवलाकलां, चंद्रबनी ग्रांट, चंद्रबनी खालसा, मोहब्बेवाला, आशारोड़ी, भारूवाला ग्रांट, सेवलाखुर्द, बंजारावाला माफी, मोथरोवाला, चकतुनवाला, कुआंवाला, नकरौंदा, बालावाला, नथुवावाला, कालागांव आदि।

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