प्रदेश की फुटबाल एसोसिएशन को लागू करना होगा नेशनल स्पोर्ट्स कोड
प्रदेश की फुटबाल एसोसिएशन को अब अपना स्वयं का संविधान बनाना होगा। इसमें सभी प्राविधान नेशनल स्पोर्ट्स कोड के अनुसार होने आवश्यक हैं।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश की फुटबाल एसोसिएशन को अब अपना स्वयं का संविधान बनाना होगा। एसोसिएशन को यह भी ध्यान रखना होगा कि इसमें रखे गए सभी प्राविधान नेशनल स्पोर्ट्स कोड के अनुसार ही हों। इसके लिए ऑल इंडिया फुटबाल फेडरेशन (एआइएफएफ) ने सभी प्रदेशों की फुटबाल एसोसिएशनों को 25 जून तक संशोधित संविधान उपलब्ध कराने को कहा है। यदि प्रदेश नेशनल स्पोर्ट्स कोड का अक्षरश: पालन करता है तो फिर मौजूदा कार्यकारिणी में से कई पदाधिकारियों का जाना तय है।
एआइएफएफ ने फुटबाल के खेल में पारदर्शिता लाने और खेल संघों पर वर्षो से काबिज पदाधिकारियों की मनमानी रोकने के लिए नेशनल स्पोर्ट्स कोड को अपनाया है। यह कोड राष्ट्रीय खेल संघों पर लागू हो चुका है। अब राष्ट्रीय संघ अपने-अपने खेलों में राज्य सरकार के माध्यम से प्रदेश के खेल संघों पर भी लागू करने की तैयारी कर रहे है।
यह कोड प्रदेश के हिसाब से खासा अहम माना जा रहा है। दरअसल, प्रदेश की फुटबाल एसोसिएशन के इसी वर्ष अगस्त में चुनाव होने प्रस्तावित हैं। अब एआइएफएफ के निर्देशानुसार यदि नेशनल स्पोर्ट्स कोड के अनुसार नया संविधान बनाया जाता है तो इसकी जद में कई ऐसे पदाधिकारी आ जाएंगे जो वर्षो से प्रदेश व जिलों की फुटबाल एसोसिएशन के अहम पदों पर काबिज हैं।
दरअसल नेशनल स्पोर्ट्स कोड में खेल संघ के पदाधिकारियों का कार्यकाल नियत किया गया है। इसके तहत खेल संघ के अध्यक्ष अधिकतम 12 वर्ष व सचिव और कोषाध्यक्ष आठ-आठ वर्ष तक इन पदों पर रह सकते हैं। यह कार्यकाल समाप्त करने के बाद व दूसरे संघ में पदाधिकारी नहीं रह सकते। 70 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति संघ में पदाधिकारी नहीं हो सकता है।
इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि एक व्यक्ति एक से अधिक संघों पर काबिज नहीं रह सकता। इस कोड के लागू होने से प्रदेश की फुटबाल एसोसिएशन के सचिव अख्तर अली और कोषाध्यक्ष एम इद्रीश पर भविष्य में इन पदों पर रहने पर खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, ये दोनों ही राज्य गठन के बाद से इन पदों पर बैठे हुए हैं।
वहीं, एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंद्र किशन महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं। अब देखने योग्य बात यह है कि राज्य फुटबाल एसोसिएशन किस तरह से ऑल इंडिया फुटबाल फेडरेशन के निर्देशों का अनुपालन करेगी। अभी तक नहीं हुई स्टेट क्लब लीग कहने को हर जिले में फुटबाल एसोसिएशन हैं जो लीग कराती है।
एआइएफएफ के नियमानुसार हर जिले के विजेता क्लबों के बीच एक लीग होनी चाहिए लेकिन अभी तक इस तरह की कोई लीग प्रदेश में नहीं हुई है। जिला फुटबाल एसोसिएशनों के रजिस्ट्रेशन पर भी सवाल नियमानुसार हर जिला फुटबाल एसोसिएशन एक रजिस्टर्ड सोसायटी की तर्ज पर गठित होनी चाहिए। प्रदेश में नैनीताल ही इस मानक को पूरा करती है।
देहरादून का रजिस्ट्रेशन तो है लेकिन यह समाप्त हो चुका है। अभी यह रिन्यूवल के फेर में फंसा है। अन्य जिलों में भी इसी तरह की स्थिति है। अन्य खेल संघ भी आएंगे जद में नेशनल स्पोर्ट्स कोड सभी संघों पर लागू होना है। प्रदेश में इस समय तकरीबन 40 से अधिक खेल संघ हैं। इनमें से कई संघों पर बीते कई वर्षो से चुनिंदा पदाधिकारी ही तैनात हैं। इन खेलों में नेशनल स्पोर्ट्स कोड लागू होने से इनका आधिपत्य भी टूटेगा और नए लोगों को सामने आने का मौका मिलेगा।
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