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    नैनीताल की नैनी झील में कृत्रिम आक्सीजन प्रणाली तंत्र की डिस्क ट्यूब जर्जर, नए बुलबुले देंगे जलजीवन को नवश्वसन

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 04:06 PM (IST)

    नैनीताल झील में आक्सीजन की कमी हो रही है, क्योंकि कृत्रिम आक्सीजन प्रणाली की डिस्क ट्यूब खराब हो गई है। प्रमुख सचिव आवास ने प्राधिकरण को सिस्टम दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। एयरेशन सिस्टम की मरम्मत के लिए बजट का इंतजार है। सिस्टम मछलियों और जलीय जीवों की रक्षा करता है, शैवाल की वृद्धि को रोकता है और पानी की गुणवत्ता में सुधार करता है।

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    नैनीताल की नैनी झील।

    अश्वनी त्रिपाठी, जागरण देहरादून: नैनीताल की नैनी झील अपनी गहराइयों में सांसों की कमी महसूस कर रही है। झील के तल में स्थापित कृत्रिम आक्सीजन प्रणाली तंत्र की डिस्क ट्यूब जर्जर हो चुकी है।

    घुलित आक्सीजन का स्तर निरंतर कम होने से मछलियों व अन्य जलीय प्राणियों का जीवन-चक्र खतरे में पड़ गया है। झील की स्वच्छता भी प्रभावित हो रही है। झील के प्राणतंत्र को बचाने के लिए डिस्क ट्यूब की जल्द मरम्मत जरूरी है।

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    प्रमुख सचिव आवास आर मीनाक्षी सुंदरम ने नैनीताल विकास प्राधिकरण से रिपोर्ट तलब की तो प्राधिकरण ने बताया कि एयरेशन सिस्टम की मरम्मत के लिए 5.7 करोड़ रुपये का इस्टीमेट बनाकर डीपीआर शासन को भेजा है।

    प्रमुख सचिव के निर्देश पर आवास विभाग ने बजट मंजूरी की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जल्द ही नैनी झील में आक्सीजन के नए बुलबुलों से जलजीवन को नई प्राणवायु मिलेगी।

    नैनीताल विकास प्राधिकरण के सचिव विजयनाथ शुक्ल ने बताया कि शासन स्तर पर हुई बैठक में प्राधिकरण की ओर से बताया गया कि डिस्क की मरम्मत के लिए सर्वे करा लिया गया है।

    डीपीआर तैयार है। बजट आवंटन होते ही डिस्क की मरम्मत का कार्य शुरू कराया जाएगा। इससे नैनी झील को नवजीवन मिलेगा।

    आक्सीजन सप्लाई नहीं कर पा रहे छह पाइप

    नैनी झील करीब 18 सालों से कृत्रिम आक्सीजन पर निर्भर है। झील को संरक्षित करने के लिए वर्ष 2007 में एयरेशन सिस्टम लगाया गया था।

    सिस्टम में लगी डिस्क की उम्र पांच साल थी। वर्ष 2012 के बाद डिस्क की मरम्मत की जानी थी, लेकिन अब तक पुरानी डिस्क से ही आक्सीजन सप्लाई की जा रही है।

    रिपोर्ट के अनुसार झील में लगे दो फ्लोमीटर में से कुल छह पाइप आक्सीजन सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। कई अन्य पाइप धीमी आक्सीजन

    आपूर्ति कर रहे हैं, जबकि कुछ पाइप फट चुके हैं, आक्सीजन लीक होने की भी जानकारी मिली है।

    इसलिए जरूरी एयरेशन सिस्टम

    • दूर होती आक्सीजन की कमी
    • मछलियों और जलीय जीवों की सुरक्षा
    • रुकती अत्यधिक शैवाल वृद्धि
    • पानी की गुणवत्ता में सुधार
    • बदबू और काली परत को रोकना

    खास तथ्य

    • झील को अब 24 घंटे कृत्रिम आक्सीजन दी जा रही है।
    • नैनी झील में घुलित आक्सीजन का औसत स्तर 3.8 से 8.8 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाया गया है।
    • झील के निचले हिस्सों में आक्सीजन स्तर सामान्य से काफी कम, जो जलीय जीवन के लिए खतरा।

    कैसे काम करता एयरेशन सिस्टम?

    • एयरेशन सिस्टम का कंप्रेशर हवा खींचकर दबाव के साथ झील तक गए पाइप के डिफ्यूज़र को भेजता।
    • डिफ्यूज़र में बने छोटे छिद्र हवा को अतिसूक्ष्म बुलबुलों के रूप में पानी में छोड़ते हैं।
    • पानी में ऊपर की ओर उठते बुलबुले जल के साथ आक्सीजन ट्रांसफर कर घुलित आक्सीजन बढ़ाते।
    • डिफ्यूज़र पानी के तल पर लगाए जाते हैं, इसलिए आक्सीजन झील के सबसे निचले हिस्से तक पहुंचती है। 

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