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    मनरेगा में महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिये भी हो सकेगी कार्य की मांग

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    Updated: Wed, 20 May 2020 08:18 PM (IST)

    कोशिशें रंग लाई तो मनरेगा में राज्यभर के गांवों में मनरेगा में पंजीकृत 7.07 लाख सक्रिय परिवारों को सौ दिन का रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।

    मनरेगा में महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिये भी हो सकेगी कार्य की मांग

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोशिशें रंग लाई तो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में राज्यभर के गांवों में मनरेगा में पंजीकृत 7.07 लाख सक्रिय परिवारों को सौ दिन का रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। अब महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से मनरेगा के तहत ग्रामीणों से कार्य की मांग प्राप्त की जा सकेगी। इस संबंध में पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया गया है, जिसकी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी शासन ने जारी कर दी है। प्रथम चरण में इस योजना में पलायन आयोग की ओर से चिह्नित उन 284 गांवों में खास फोकस किया जाएगा, जहां 50 फीसद से ज्यादा पलायन हुआ है। माना जा रहा है कि इस कदम से जहां मनरेगा में कार्य की मांग में बढ़ोतरी होगी, वहीं एसएचजी को बिना अधिक अतिरिक्त कार्य के अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त हो सकेगी। 

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    मनरेगा में पंजीकृत प्रत्येक परिवार को सौ दिन का अकुशल रोजगार दिए जाने की गारंटी है। बावजूद इसके राज्य में पिछले कई वर्षों से प्रतिवर्ष केवल 43 दिन का औसत रोजगार ही उपलब्ध हो पा रहा है। यह राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। आंकड़ों पर ही गौर करें तो राज्य में मनरेगा में पंजीकृत 7.07 लाख सक्रिय परिवारों में से 100 दिन का रोजगार प्राप्त करने वाले परिवारों की प्रतिवर्ष औसतन संख्या सिर्फ 23311 ही है।

    हालांकि, सरकारी स्तर पर इसकी वजह कार्य की मांग कम होना बताया जाता रहा है, मगर यह भी शिकायतें आती रहीं हैं कि श्रमिकों को उनकी मांग के अनुरूप कार्य उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। सरकार की ओर से कराए गए अध्ययन में ये बात भी सामने आई कि श्रमिकों में कार्य की मांग करने के अधिकार को लेकर जागरूकता और कार्य की मांग करने के विकल्पों की कमी है। 

    जानकारी के अभाव में एक बार कार्य करने के बाद तमाम परिवार दूसरी बार कार्य मांगने में झिझकते हैं। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए अब शासन ने निर्णय लिया कि मनरेगा में मौजूदा व्यवस्था के साथ ऐसी तटस्थ व्यवस्था भी की जाए, जिससे लोग कार्य की मांग कर सकें और कार्य की मांग प्राप्त करने वाला उनके बीच का ही व्यक्ति हो। इस कड़ी में महिला एसएचजी के माध्यम से मनरेगा में ग्रामीणों से कार्य की मांग प्राप्त करने का निर्णय लिया गया। प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास मनीषा पंवार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही इसकी एसओपी भी जारी की गई है। 

    यह होगी प्रक्रिया 

    • ग्राम पंचायत स्तर पर होगा महिला एसएचजी का चयन, जो ग्रामीणों से प्राप्त करेंगे आवेदन 
    • यदि ग्राम पंचायत भौगोलिक लिहाज से बड़ी है तो वहां एक से अधिक समूहों का किया जाएगा चयन 
    • समूहों के चयन और प्रशिक्षण का उत्तरदायित्व जिला और विकासखंड स्तर पर चल रहे राज्य आजीविका मिशन का होगा 
    • एसएचजी ग्रामीणों से प्राप्त कार्य की मांग के आवेदन को मोबाइल के जरिये मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को भेजेंगे
    • कार्य की मांग करने वाले ग्रामीणों को कार्य की उपलब्धता सुनिश्चित कराने को अधिकारियों की जवाबदेही तय 

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