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परंपराओं को तोड़ इन दो महिलाओं ने चुनी ठेकेदारी की राह, बनीं मिसाल

मीना देवी और मीना जोशी ने हिम्मत दिखाते हुए समाज की परंपराओं को तोड़ ठेकेदारी की राह चुनी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 03:48 PM (IST)Updated: Wed, 10 Oct 2018 08:52 PM (IST)
परंपराओं को तोड़ इन दो महिलाओं ने चुनी ठेकेदारी की राह, बनीं मिसाल
परंपराओं को तोड़ इन दो महिलाओं ने चुनी ठेकेदारी की राह, बनीं मिसाल

त्यूणी, देहरादून[जेएनएन]: इसे जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर की परंपरा ही कहेंगे कि आमतौर पर यहां की ग्रामीण महिलाएं चूल्हे-चौके तक ही सीमित रहती हैं। शादी होने के बाद घर व बच्चों की जिम्मेदारी ही उनकी पूरी दुनिया होती है। लेकिन धारा के विपरीत चलते हुए कालसी के धनपौ गांव की मीना देवी और त्यूणी के निनूस गांव की मीना जोशी ने इस परंपरा को तोड़ते हुए महिलाओं के लिए एक नई मिसाल पेश की है। वर्तमान में दोनों ही सरकारी टेंडर प्रक्रिया के तहत ठेकेदारी कर विकास कार्यों में योगदान दे रही हैं और अपने परिवार की जिम्मेदारी का भी पूरी तरह से निर्वहन कर रही हैं। 

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महिलाओं का ठेकेदारी करना यूं तो इतना नया नहीं लगता है, लेकिन जौनसार-बावर के ग्रामीण अंचल के इतिहास को देखा जाए तो यहां की महिलाओं के लिए यह इतना आसान भी नहीं है। यहां के रीति-रिवाज महिलाओं को घर-परिवार की जिम्मेदारी संभालने तक ही सीमित रखते हैं। जहां एक ओर नौकरी पेशा व राजनीति में गिनी-चुनी महिलाएं ही योगदान दे रही हैं, वहीं दूसरी ओर विकास कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले ठेकेदारी के पेशे में अभी तक सिर्फ पुरुष ही भागीदारी निभाते आ रहे थे। 

समाज की सोच को चुनौती देना बड़ी हिम्मत 

इसी सोच को बदलते हुए मीना देवी व मीना जोशी ठेकेदारी के क्षेत्र में करीब चार साल से बेहतरीन कार्य कर रही हैं। हालांकि परिवार की ओर से उन्हें किसी प्रकार की रुकावट का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन समाज की सोच को चुनौती देना भी किसी हिम्मत से कम नहीं है। मीना जोशी ए-ग्रेड की ठेकेदार हैं और उनके पति भी ए-ग्रेड के ठेकेदार हैं। वहीं मीना देवी सी-ग्रेड की ठेकेदार हैं और उनके पति किसान हैं। मीना देवी कृषि सलाहकार समिति कालसी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं।

शुरुआत में काम नहीं था आसान

मीना देवी कहती हैं कि ठेकेदारी करना शुरुआत में इतना आसान भी नहीं था। यहां अभी तक पुरुष ही ठेकेदारी के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे, ऐसे में खुद को बेहतर साबित करना किसी चुनौती से कम नहीं रहा। फिर भी आज खुश हूं कि अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा रही हूं। वह कहती हैं कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में अब पीछे नहीं हैं। उन्हें मौका मिले तो वह खुद को साबित कर सकती हैं। मीना जोशी भी बेटियों से आह्वान करती हैं कि वह खुद को कम न समझें और हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। 

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