Move to Jagran APP

पति की मौत के बाद संभाली बच्चों की जिम्मेदारी, कंडक्टर बन जीता सबका दिल

पति की मौत के बाद भी माया ने हार नहीं मानी और कंडक्टर की नौकरी कर वे अपने बच्चों की जिम्मेदारी उठा रही हैं। उनके व्यवहार से यात्री भी बेहद खुश हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 02:54 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 09:14 PM (IST)
पति की मौत के बाद संभाली बच्चों की जिम्मेदारी, कंडक्टर बन जीता सबका दिल
पति की मौत के बाद संभाली बच्चों की जिम्मेदारी, कंडक्टर बन जीता सबका दिल

 देहरादून, [जेएनएन]: पति परिवहन निगम में कंडक्टर का काम करते थे। वह चाहते थे कि माया उनके तीन बच्चों की बस अच्छे से देखभाल कर घर का काम-काज करे। लेकिन इसे किस्मत का खेल ही कहेंगे कि चार साल पहले पति पंकज शर्मा का बीमारी के चलते निधन हो गया। उनके गुजर जाने के बाद माया पर तीनों बच्चों की जिम्मेदारी आ गई। सास-ससुर का पहले ही देहांत हो चुका था। उन्हें पति की जगह नौकरी मिल गई और घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए वह कंडक्टर की नौकरी करने लगीं। 

loksabha election banner

42 वर्षीय माजरा निवासी माया शर्मा बतातीं हैं कि शुरुआत में काफी परेशानी हुई, लेकिन बच्चों के लिए आगे बढ़ना पड़ा। माया दून से मसूरी, टिहरी और पौड़ी रूट पर सवारियों को ले जाती हैं। विनम्र स्वभाव की माया से रोजाना इन रूटों पर सफर करने वाली सवारियां भी घुल-मिल गई हैं। महिला सवारियां भी उन्हें देखकर सुरक्षित महसूस करती हैं। 

माया कहती हैं कि उन्हें अपना काम बेहद पसंद हैं और वह इसे खुशी-खुशी करतीं हैं। अब बस, सवारियां और पहाड़ी सफर ही उनकी जिंदगी है। उनका 22 वर्षीय बड़ा बेटा सीएमए, 18 वर्षीय बेटी बीबीए और 16 वर्षीय बेटी 11वीं की पढ़ाई कर रही हैं। उनका सपना है कि सभी बच्चे पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी पर लग जाएं। बच्चों को भी अपनी मां के मजबूत इरादे और हौसलों पर गुरूर है। उनके लिए मां उनकी पूरी दुनिया है, जिसने पिता के जाने के बाद उन्हें किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी। 

माया कहती हैं कि आज हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। महिलाओं के लिए आमतौर पर यह नौकरी अच्छी नहीं मानी जाती, लेकिन आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। दुनिया का कोई भी काम कठिन नहीं है। अपनी हिम्मत और मेहनत के बल पर वह असंभव काम भी कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि उनके स्टाफ के सभी लोग उनका पूरा सहयोग करते हैं। उन्हें किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं होती। 

यह भी पढ़ें: 19 साल की पिंकी के जज्बे को सलाम, बनी माता-पिता का सहारा

यह भी पढ़ें: इन बेटियों को सलाम, स्वाद और क्रिएटिविटी से बनार्इ अलग पहचान

यह भी पढ़ें: मिलिए दून की पहली महिला ई-रिक्शा चालक से, मेहनत के बूते तोड़ी रूढ़ियां   


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.