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राजकीय मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल फैकल्टी के वेतन में 40 हजार तक वृद्धि

सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के नियमित पदों का वेतनमान में बड़ी वृद्धि की है। इससे मेडिकल कॉलेज फैकल्टी को 20 हजार से लेकर 40 हजार रुपये तक फायदा होगा।

By Edited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 09:00 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 08:15 PM (IST)
राजकीय मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल फैकल्टी के वेतन में 40 हजार तक वृद्धि
राजकीय मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल फैकल्टी के वेतन में 40 हजार तक वृद्धि

देहरादून, राज्य ब्यूरो। राज्य के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में नियमित फैकल्टी की बल्ले-बल्ले हो गई है। सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के नियमित पदों का वेतनमान में बड़ी वृद्धि की है। इससे मेडिकल कॉलेज फैकल्टी को 20 हजार से लेकर 40 हजार रुपये तक फायदा होगा। इस फैसले से मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी दूर होगी। प्रदेश में तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पदों पर कार्यरत नियमित फैकल्टी के वेतनमान में वृद्धि की लंबे अरसे से मांग की जा रही थी।

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उच्च शिक्षा में सरकारी डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर का ग्रेड वेतन मेडिकल कॉलेजों के असिस्टेंट प्रोफेसर से कम था। अब यह विसंगति दूर हो गई है। चिकित्सा शिक्षा सचिव नितेश कुमार झा ने उक्त संबंध में आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक प्रोफेसर पद का ग्रेड वेतन 8700 से बढ़ाकर 10000 रुपये किया गया है। प्रोफेसर पद को नए वेतनमान से प्रतिमाह 20 हजार रुपये का फायदा होगा। वहीं एसोसिएट प्रोफेसर का ग्रेड वेतन 7600 से बढ़ाकर 8900 किया गया है। इस वेतन वृद्धि का सबसे ज्यादा लाभ एसोसिएट प्रोफेसरों को होने जा रहा है। 

ग्रेड वेतन के साथ उनका वेतनबैंड भी बदला गया है। उनका वेतनबैंड 15600-39100 से बढ़ाकर 37400-67000 किया गया है। उनके कुल वेतनमान में करीब 40 हजार रुपये की वृद्धि हो रही है। वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर का ग्रेड वेतन 5400 से बढ़ाकर 6600 किया गया है। असिस्टेंट प्रोफेसर के वेतनमान में प्रतिमाह करीब 20 हजार रुपये की वृद्धि होगी। इस आदेश के बाद उत्तराखंड में भी मेडिकल कॉलेजों की नियमित फैकल्टी का वेतनमान अन्य राज्यों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों की भांति हो गया है। इससे राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी दूर करने में मदद मिलने की संभावना है। अभी तक कम वेतनमान होने से चिकित्सकों में मेडिकल कॉलेजों में ज्वाइनिंग को लेकर हिचक बनी हुई थी।

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