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अब अस्पताल के रजिस्टर में लिखना होगा रेफर का कारण, होंगे ये काम

गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय से अब हर मरीज को रैफर करने का कारण रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। साथ ही दून अस्पताल में व्यवस्थाओं में सुधार के लिए भी निर्णय किए गए।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 06 Dec 2018 12:56 PM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2018 12:56 PM (IST)
अब अस्पताल के रजिस्टर में लिखना होगा रेफर का कारण, होंगे ये काम

देहरादून, जेएनएन। गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय से गर्भवती को लौटने के मामले में शासन ने अस्पताल प्रशासन को फटकार लगाई है। इसके बाद अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएस रमोला ने चिकित्सकों की क्लास ली। उन्होंने दावा किया कि अस्पताल ने गर्भवती को नहीं लौटाया बल्कि परिजन स्वयं उसे ले गए। 

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अस्पताल में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अस्पताल में जो भी मरीज आएगा, उसका पूरा ब्योरा एक रजिस्टर में दर्ज होगा। उसने किस चिकित्सक से परामर्श लिया, क्या बीमारी थी आदि इसमें लिखना होगा। इसी तरह अगर मरीज को रेफर किया गया तो उसका भी पूरा कारण रजिस्टर में दर्ज करना होगा। 

डॉ. रमोला ने बताया कि अस्पताल के पास संसाधनों का अभाव है। अभी पचास बेड और बढऩे हैं। इसे देखते हुए विभाग से अतिरिक्त स्टाफ मांगा गया है। जिनमें दो एनेस्थेटिस्ट, तीन महिला रोग विशेषज्ञ, 25 स्टाफ नर्स और छह-छह वार्ड आया और वार्ड ब्याव की मांग की गई है। 

बता दें कि अस्पताल में एक गर्भवती महिला प्रसव के लिए गई थी। आरोप है कि महिला को दाखिल करने के बजाए उसे कहीं ओर ले जाने को कहा गया। खबर प्रकाशित होने पर शासन ने तुरंत इसका संज्ञान लिया। अस्पताल प्रशासन को फटकार लगाई। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने बैठक कर चिकित्सकों और स्टाफ को इस संबंध में निर्देश दिए। 

अस्पताल ने रखा डिलिवरी का रिकॉर्ड

अगस्त---------------36

सितम्बर-------------51

अक्टूबर-------------71

नवंबर--------------102

दून अस्पताल के नए ओपीडी ब्लॉक को डेडलाइन तय

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के नए ओपीडी ब्लॉक की डेडलाइन फरवरी तय कर दी गई है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने कार्यदायी संस्था को निर्देश दिए हैं कि ओपीडी भवन फरवरी तक पूर्ण कर हस्तांतरित कर दिया जाए। यही नहीं आने वाले वक्त में अस्पताल में सभी आवश्यक जांचें 24 घंटे होंगी। उन्होंने इस बाबत भी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना, मेडिकल कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. नवीन थपलियाल, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा, वित्त नियंत्रक नरेंद्र सिंह व पैथोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हरिशंकर पांडे के साथ अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने पाया कि अस्पताल की ओपीडी में पर्याप्त स्थान नहीं है। 

उप्र राज्य निर्माण निगम को उन्होंने निर्देशित किया कि नए ओपीडी भवन का निर्माण फरवरी तक खत्म कर दें। ताकि ओपीडी व समस्त जांचों के लिए मरीजों को एक ही जगह सुविधा मिल सके। अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए कि इसे लेकर आवश्यक तैयारी कर लें। उन्होंने पैथोलॉजी विभाग का भी निरीक्षण किया। 

बताया गया कि जांच की व्यवस्था अभी शाम पांच बजे तक ही है। जिससे सांयकाल व रात्रिकाल में गंभीर रोगियों के उपचार में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इमरजेंसी, आइसीयू, एसएनसीयू व प्रसूति विभाग में भर्ती मरीज की रात में कोई जांच करवानी हो तो अगले दिन तक इंतजार करना पड़ता है या फिर मजबूरन मरीज बाहर जांच कराता है। इस स्थिति में चिकित्सा अधीक्षक ने स्टाफ आदि के विषय में विस्तृत जानकारी ली।

उन्होंने बताया कि जांच से संबंधित तीनों विभाग बायोकेमिस्ट्री, पैथोलॉजी व माइक्रोबायोलॉजी के बीच आपसी सामंजस्य की कमी नजर आई है। टेक्नीशियन की भी कमी है। चिकित्सा अधीक्षक को निर्देशित किया गया है कि वह संबंधित विभागों के साथ बैठक कर रात्रिकालीन सेवा के लिए आवश्यक टेक्नीशियन और आवश्यक की व्यवस्था करें। 

महिला एवं प्रसूति रोग विभाग में कुछ जांच एनएचए से करवाने के लिए सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी व विभागाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी जोशी से प्रस्ताव मांगा है। 

उपकरणों का हो रहा दुरुपयोग

सरकारी अस्पतालों में उपकरणों का रख-रखाव छोडि़ए, इनका दुरुपयोग किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान महिला अस्पताल में इसकी एक बानगी दिखाई दी। चिकित्सा शिक्षा निदेशक यहां ओटी की व्यवस्थाएं देखने पहुंचे थे। पीएसी रूम में बिना डॉक्टर व रोगी के मॉनीटर चालू हालत में मिला। इस पर निदेशक ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिए कि उपकरणों के समुचित रख-रखाव के लिए संबंधित लोगों को दिशा-निर्देश जारी करें। 

अलग-अलग संचालित नहीं होंगे समान कार्य

दून महिला अस्पताल व दून अस्पताल को एकीकृत कर मेडिकल कॉलेज जरूर बना दिया गया, पर समान प्रकृति के कई कार्य अब भी अलग-अलग संचालित किए जा रहे हैं। इससे कई तरह की दिक्कत पेश आ रही है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने इन्हें व्यवस्थित करने के निर्देश दिए हैं। 

महिला अस्पताल, ब्लड बैंक के बीच इंटरकॉम

महिला अस्पताल से ब्लड बैंक के बीच इंटरकॉम की व्यवस्था सुचारू करने के निर्देश भी चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने दिए हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि रात में महिला अस्पताल से ब्लड बैंक तक आने-जाने के लिए आंतरिक मार्ग की व्यवस्था करें। स्वैच्छिक रक्तदान के लिए अधिकाधिक शिविर लगाने को भी कहा है। 

अस्पताल में बढ़ेंगे बेड 

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में एमसीआइ के मानकों के अनुरूप अब बेड संख्या बढऩी है। बाल रोग, नेत्र रोग, मेडिसिन व सर्जिकल वार्ड में बेड बढ़ाने की व्यवस्था करवाई जा रही है। सितंबर में एमसीआइ ने जिन बिंदुओं पर नाराजगी जताई थी, उन खामियों को दूर करने के निर्देश भी चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने दिए हैं। एमसीआइ आगामी जनवरी में फिर निरीक्षण करेगी। 

सर्जिकल आइसीयू का होगा नवीनीकरण

दून अस्पताल में स्थित सर्जिकल आइसीयू का नवीनीकरणका काम अगले सप्ताह से शुरू होने जा रहा है। विधायक खजानदास ने इसके लिए पूर्व में पांच लाख रुपये की धनराशि विधायक निधि से जारी की थी। दिसंबर अंत तक आइसीयू पूरी तरह से आधुनिक हो जाएगा।

ओपीडी में की छापेमारी

दून अस्पताल में मरीजों को बाहर की दवा लिखने की लगातार आ रही शिकायतों पर चिकित्सा अधीक्षक ने बुधवार को ओपीडी में छापेमारी की। इस दौरान उन्होंने कई जगह चिकित्सक के साथ बैठे एमआर को बाहर किया। आरोप यह भी हैं कि कई केमिस्ट चिकित्सकों के कक्ष में डेरा डाले रहते हैं। वह डॉक्टर को ब्रांडेड दवा लिखने के लिए मजबूर भी करते है। इस पर चिकित्सा अधीक्षक ने निर्देश दिए कि अस्पताल का स्टाफ अपने नाम और पद की प्लेट अनिवार्य रूप से लगाएं। ताकि अवांछित तत्वों की पहचान की जा सके।

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