उत्तराखंड में फीस में रियायत चाहते हैं मेडिकल के छात्र, सालाना देते हैं करीब सवा चार लाख
दून और हल्द्वानी के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में रियायती फीस पर पढ़ाई की सुविधा खत्म होने से प्रदेश के छात्र-छात्राओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। देहरादून और हल्द्वानी के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में रियायती फीस पर पढ़ाई की सुविधा खत्म होने से प्रदेश के छात्र-छात्राओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सालाना करीब सवा चार लाख रुपये शुल्क देने से परेशानहाल छात्र-छात्राएं बॉन्ड भरकर रियायती फीस का विकल्प चाहते हैं। उधर, बॉन्ड भरने के विकल्प को पर्वतीय क्षेत्रों के मेडिकल कॉलेजों तक सीमित कर चुकी सरकार इस फैसले को ज्यादा व्यावहारिक बनाने पर विचार कर सकती है। सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने इसके संकेत दिए।
प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रियायती फीस पर एमबीबीएस की पढ़ाई की हसरत पाले बैठे छात्र-छात्राओं को सरकार ने बीते वर्ष जून माह में झटका दिया था। शासनादेश के मुताबिक दो कॉलेजों राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून और हल्द्वानी में बीते वर्ष से ही नए छात्र-छात्राओं को रियायती फीस के एवज में सरकारी सेवा संबंधी बांड की सुविधा खत्म की जा चुकी है। दोनों कॉलेजों से पासआउट होने वाले बांडधारक चिकित्सकों से प्रदेश में चिकित्सकों के सभी रिक्त पद भरने का हवाला देते हुए सरकार ने ये कदम उठाया। अन्य दो सरकारी मेडिकल कॉलेजों श्रीनगर और अल्मोड़ा में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं को बॉन्ड की सुविधा ऐच्छिक आधार पर देने का प्रविधान है।
सरकार के इस आदेश से देहरादून और हल्द्वानी में एमबीबीएस में बीते वर्ष दाखिला ले चुके और भविष्य में दाखिला लेने वाले प्रदेश के छात्र-छात्राओं को हर साल फीस के रूप में करीब सवा चार लाख रुपये की धनराशि देने की बाध्यता है। बीते सत्र में दाखिला ले चुके छात्र-छात्राएं इस फीस से हलकान हैं। उनकी ओर से फीस में रियायत देने और बांड की व्यवस्था दोबारा लागू करने की पुरजोर पैरवी करते हुए सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ा गया है। उनका कहना है कि मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले छात्र के लिए हर साल ज्यादा फीस देना मुमकिन नहीं हो पा रहा है। उनका यह भी तर्क है कि दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत तमाम राज्यों में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फीस अपेक्षाकृत काफी कम है।
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उत्तराखंड में पूरी शिक्षा के दौरान एक छात्र को करीब 20 लाख रुपये का खर्च वहन करना पड़ेगा। इस संबंध में स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी का कहना है कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों में बांड भरकर रियायती फीस पर मेडिकल पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध है। जिन छात्रों को दिक्कत हैं, उन्हें एजुकेशन लोन दिलाया जा सकता है। वहीं सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सरकार ने राज्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर उक्त व्यवस्था लागू की है। व्यावहारिक दिक्कतें पेश आने पर इस बारे में पुनर्विचार किया जा सकता है।
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