Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस बार निकाय चुनाव में सीट और साख गंवा बैठे ये दिग्गज

    By Edited By:
    Updated: Thu, 22 Nov 2018 12:00 PM (IST)

    निकाय चुनावों में इस बार जनता के बदले हुए मूड के आगे बड़े-बड़े दिग्गज अपनी साख तक नहीं बचा पाए। अब दिग्गजों को बचाने के लिए हार का ठीकरा फोड़ने को सिर की तलाश चल रही है।

    Hero Image
    इस बार निकाय चुनाव में सीट और साख गंवा बैठे ये दिग्गज

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। निकाय चुनावों में इस बार जनता के बदले हुए मूड के आगे बड़े-बड़े दिग्गज अपनी साख तक नहीं बचा पाए। आलम यह रहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट अपनी-अपनी विधानसभाओं के अंतर्गत आने वाले निकायों में निकाय प्रमुख पद के पार्टी प्रत्याशियों को जिताने में नाकाम रहे। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अब दिग्गजों को बचाने के लिए हार का ठीकरा फोड़ने को सिर की तलाश चल रही है। यहां तक कि अब सीधे क्षेत्र के बड़े नेताओं को ही कठघरे में खड़ा करने की तैयारी है। निकाय चुनावा भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए ही बेहद अहम थे। जहां एक ओर भाजपा के सामने विधानसभा चुनावों के शानदार प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती थी, तो वहीं कांग्रेस के सामने खुद को साबित करने की। 

    इन चुनौतियों से पार पाने की जुगत में दोनों ही दलों के दिग्गज अपनी साख बचाने में नाकाम रहे। बात करें भाजपा की तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने विधानसभा क्षेत्र डोईवाला में नगर पालिका की सीट नहीं बचा पाए। यहां कांग्रेस सेंध मारने में सफल रही। 

    निश्चित रूप से यह सरकार के लिए बड़ा झटका रहा। इसमें भितरघात की आशंका भी जताई जा रही है। हालांकि, अब पार्टी में हार के कारणों की तलाश की जा रही है। 

    इसी तरह शहरी विकास मंत्री व सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक अपने गढ़ यानी नगर निगम हरिद्वार के महापौर पद के पार्टी प्रत्याशी को जिताने में नाकाम रहे। वह भी तब, जब पार्टी प्रत्याशी भी उनकी पसंद का था। अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए कैबिनेट मंत्री ने पूरा जोर भी लगाया, बावजूद इसके यहां पार्टी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। अब यहां भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए उन पर हार का ठीकरा फोड़ने की तैयारी है। 

    भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट अपनी विधानसभा क्षेत्र रानीखेत की चिलियानौला नगर पालिका में पार्टी प्रत्याशी को नहीं जिता सके। यहां निर्दलीय प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी को पराजित किया। अब यहां भी हार के कारणों की तलाश की जा रही है। 

    इसी तरह कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत कोटद्वार विधानसभा सीट पर पार्टी प्रत्याशी की हार नहीं टाल पाए, जबकि लैंसडौन के भाजपा विधायक दिलीप रावत की पत्‍‌नी ही प्रत्याशी के रूप में मैदान में थीं। अब टिकट आवंटन के बाद पार्टी में बगावत और भितरघात को हार के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। 

    बात करें कांग्रेस की तो कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका नगर निगम हल्द्वानी में लगा। यहां नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश तमाम प्रयासों के बावजूद अपने बेटे सुमित हृदयेश को जिताने में नाकाम रहीं। अनुकूल परिस्थितियों के बीच चुनाव हारने पर यहां भी कारणों को तलाशा जा रहा है। 

    पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल का हारना भी कांग्रेस के लिए बड़ा झटका रहा। मतगणना के शुरुआती दौर में देहरादून नगर निगम में कांग्रेसी पार्षद जीते लेकिन महापौर की गणना में दिनेश अग्रवाल हमेशा ही पिछड़ते रहे। इससे यहां भी भितरघात की बात कही जा रही है इसके साथ ही सरकार पर सवाल उठाते हुए हार के कारणों पर परदा डाला जा रहा है।

    यह भी पढ़ें: निकाय चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीते निर्दल पर कांग्रेस का दावा

    यह भी पढ़ें: भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे के गढ़ में लगाई सेंध

    यह भी पढ़े: लोकसभा चुनाव की बिसात पर लड़ी गई निकाय की जंग