उत्तराखंड में अब मनरेगा से बिखरेगी गुलाब की महक, संवरेगी आर्थिकी
उत्तराखंड के गावों में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत 905 किसानों ने सगंध खेती को तवज्जो दी है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। विषम भूगोल वाले उत्तराखंड के गावों में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत लगभग 80 हजार लोग जहा जल संरक्षण के कार्यों में जुटे हैं। वहीं, 905 किसानों ने सगंध खेती को तवज्जो दी है।
सगंध पौधा केंद्र (कैप) से मिले प्रोत्साहन के बाद ये किसान अपने-अपने गावों में डेमस्क गुलाब की खेती में जुट गए हैं। जाहिर है कि गुलाब की महक के साथ ही इससे निकलने वाले गुलाब जल और तेल से उनकी आर्थिकी संवरेगी। गुलाब का तेल पांच से छह लाख रुपए लीटर के हिसाब से बिकता है। केंद्र सरकार से मिली छूट के बाद राज्य के गावों में 20 अप्रैल से मनरेगा के कार्य शुरू किए गए हैं। मनरेगा के राज्य समन्वयक मो. असलम के अनुसार इसमें जल संरक्षण के कार्यों को तवज्जो दी गई है।
80 हजार से ज्यादा लोग मनरेगा के कार्यों में जुटे हुए हैं। इसके साथ ही कुछ किसानों ने डेमस्क गुलाब की खेती भी मनरेगा के तहत प्रारंभ की है। चमोली, देहरादून, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल जिलों में 905 किसान 117.03 हेक्टेयर में डेमस्क गुलाब की खेती कर रहे हैं। सगंध पौधा केंद्र (कैप) सेलाकुई से मिले प्रोत्साहन और मार्गदर्शन में ये किसान कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कैप के सहयोग से जो किसान पहले से डेमस्क गुलाब की खेती कर रहे हैं, वे आर्थिक रूप से सशक्त हुए हैं।
इसी के दृष्टिगत डेमस्क गुलाब कृषिकरण को मनरेगा में शामिल किया गया और अब इसके बेहतर नतीजे भी सामने आने लगे हैं। मनरेगा के राज्य समन्वयक के अनुसार गुलाब के उत्पादों के विपणन की कोई दिक्कत नहीं है। कैप की ओर से गुलाब तेल पांच लाख रुपये प्रति लीटर खरीदा जा रहा है। बाजार में भी किसानों को प्रति लीटर गुलाब तेल के दाम छह लाख रुपए तक मिल जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कैप के सहयोग से मनरेगा में लैमनग्रास समेत अन्य सगंध फसलों को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
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