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Avalanche in Uttarakhand: क्या होता है एवलांच? किसे कहते हैं क्रेवास, ये हैं उत्तराखंड के प्रमुख हिमस्‍खलन

Uttarakhand Major Avalanches बीते रोज मंगलवार को उत्‍तरकाशी जनपद में 17 हजार फीट की ऊंचाई के आसपास एवलांच आने के कारण पर्वतारोही प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षक फंस गए। आप जानना चाहेंगे कि एवलांच किसे कहते हैं। यह क्‍यों आता है।

By Jagran NewsEdited By: Sunil NegiPublished: Wed, 05 Oct 2022 06:09 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 06:09 PM (IST)
Avalanche in Uttarakhand: क्या होता है एवलांच? किसे कहते हैं क्रेवास, ये हैं उत्तराखंड के प्रमुख हिमस्‍खलन
Uttarakhand Major Avalanches उत्‍तराखंड से इन दिनों एवलांच की खबरें ज्‍यादा सुनने को आ रही हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Uttarakhand Major Avalanches उत्‍तराखंड से इन दिनों एवलांच की खबरें ज्‍यादा सुनने को आ रही हैं। अभी केदारनाथ की पहाड़ियों पर एवलांच आया, जिसका वीडियो इंटरनेट मीडिया पर भी वायरल हुआ था। वहीं बीते रोज उत्‍तरकाशी जिले के द्रौपदी का डांडा में एवलांच आया। इसकी चपेट में निम का प्रशिक्षक व प्रशिक्षु पर्वतारोहियों का दल आया। यहां हम आपको बताएंगे कि एवलांच क्‍या होता है। क्रेवास किसे कहते हैं। साथ ही उत्‍तराखंड में एवलांच की प्रमुख घटनाएं के बारे में भी जानकारी देंगे।

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क्या होता है एवलांच

एवरेस्ट विजेता विष्णु सेमवाल ने कहा कि एवलांच तब आता है, जब ऊंची चोटियों पर ज्यादा मात्रा बर्फ जम जाती है और दबाव ज्यादा होने पर बर्फ अपनी जगह से खिसक जाती है। बर्फ की परतें खिसकती हैं और तेज बहाव के साथ नीचे की ओर बहने लगती हैं। रास्ते में जो कुछ आता है, उसे भी ये बहा ले जाती हैं। इसलिए पर्वतारोहण काफी जोखिमभरा होता है।

उत्तराखंड में एवलांच की प्रमुख घटनाएं

  • वर्ष 2021 में त्रिशूल चोटी आरोहण के दौरान हिमस्खलन (एवलांच) की चपेट में आए नौसेना के पांच पर्वतारोहियों सहित छह की मौत
  • वर्ष 2021 में लम्खागा दर्रे में एवलांच से नौ पर्यटकों की मौत
  • वर्ष 2019 में नंदादेवी चोटी के आरोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आने से चार विदेशी पर्वतारोही सहित आठ की मौत
  • वर्ष 2016 में शिवलिंग चोटी पर दो विदेशी पर्वतारोहियों की मौत
  • वर्ष 2012 में सतोपंथ ग्लेशियर पर क्रेवास में गिरकर आस्ट्रेलिया के एक पर्वतारोही मौत
  • वर्ष 2012 में वासुकीताल के पास एवलांच आने से बंगाल के पांच पर्यटकों की मौत
  • वर्ष 2008 में कालिंदीपास में एवलांच आने से बंगाल के तीन पर्वतारोही और पांच पोर्टर की मौत
  • वर्ष 2005 में सतोपंथ चोटी पर आरोहण के दौरान एवलांच से सेना के एक पर्वतारोही की मौत
  • वर्ष 2005 में चौखंभा में एवलांच से पांच पर्वतारोहियों की मौत
  • वर्ष 2004 में कालिंदीपास में एवलांच से चार पर्वतरोहियों की मौत
  • वर्ष 2004 में गंगोत्री-टू चोटी में एवलांच से बंगाल के चार पर्वतारोहियों की मौत
  • वर्ष 1999 में थलयसागर चोटी में आरोहण के दौरान तीन विदेशी पर्वतारोहियों की मौत
  • वर्ष 1996 में केदारडोम चोटी पर एवलांच से कुमांऊ मंडल के दो पर्वतारोहियों की मौत
  • वर्ष 1996 में भागीरथी-टू चोटी पर एवलांच से दक्षिण कोरिया के एक पर्वतारोही की मौत
  • वर्ष 1990 में केदारडोम चोटी पर एवलांच आने से पांच पर्वतारोहियों की मौत

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क्या होता है क्रेवास

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि ग्लेशियर में बड़ी दरारों को क्रेवास कहते हैं। यह दरार बहुत गहरी होती हैं और इनके ऊपर बर्फ की परत जमी रहती है। इसलिए ये दरार ऊपर से नहीं दिखती हैं। ग्लेशियर में अगस्त-सितंबर में सबसे अधिक क्रेवास बनते हैं। इस दौरान ग्लेशियर के ऊपर जमी बर्फ की परत पिघल जाती है।

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