Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    केदारनाथ रोपवे की राह में सड़कों और पुलों की कड़ी परीक्षा, प्रशासन को सता रही इस बात की चिंता

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 11:35 AM (IST)

    केदारनाथ धाम रोपवे परियोजना के लिए सड़कों और पुलों की क्षमता एक बड़ी चुनौती है। रोपवे निर्माण में प्रयुक्त मशीनरी भारी होने से सड़कों का चौड़ीकरण और प ...और पढ़ें

    Hero Image

    रोपवे की भारी सामग्री सड़क चौड़ीकरण व पुलों को मजबूत किए बिना केदारनाथ तक पहुंचाना असंभव। जागरण

    अश्वनी त्रिपाठी, देहरादून। केदारनाथ धाम के लिए प्रस्तावित रोपवे परियोजना को धरातल पर उतारने से पहले सबसे बड़ी चुनौती हाईवे और पुलों से मिलेगी। ब्रिडकुल के मुताबिक रोपवे निर्माण में प्रयुक्त होने वाली मशीनरी-निर्माण सामग्री सामान्य परियोजनाओं की तुलना में कहीं अधिक भारी, लंबी और तकनीकी रूप से संवेदनशील होगी, इसलिए सड़कों की चौड़ाई व पुलों की क्षमता मशीनरी का भार सहने के अनुरूप करनी होगी। ऐसा किए बगैर रोपवे का निर्माण संभव नहीं होगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रुद्रप्रयाग से केदारनाथ को जाने वाला गुप्तकाशी-सीतापुर-सोनप्रयाग मार्ग इस परियोजना की रीढ़ है, यही मार्ग सबसे अधिक संवेदनशील है। गुप्तकाशी से सीतापुर के बीच कई स्थानों पर सड़क बेहद संकरी है, जहां पहाड़ी कटान व तीखे मोड़ों के कारण बड़े ट्रेलर का घूमना मुश्किल होगा।

    इस खंड में कई जगह कैरिज-वे की चौड़ाई 6-7 मीटर से भी कम है, जबकि रोपवे के लिए आने वाली भारी केबल-रील व टावर सेगमेंट के लिए कम से कम 10-12 मीटर चौड़ाई की आवश्यकता होगी।

    सोनप्रयाग तक मार्ग भूस्खलन के लिए संवेदनशील
    सीतापुर से सोनप्रयाग तक का हिस्सा भूस्खलन की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। यहां सड़क नदी के बेहद पास से गुजरती है, शोल्डर लगभग न के बराबर हैं। कुछ स्थानों पर सड़क का अलाइनमेंट अस्थायी सुधारों के सहारे टिका हुआ है। सोनप्रयाग बाजार क्षेत्र में कम स्थान के कारण भारी वाहनों की आवाजाही असंभव है। रोपवे की समस्त सामग्री यहीं तक सड़क मार्ग से पहुंचेगी, इसके आगे गौरीकुंड से केदारनाथ तक पैदल मार्ग है।

    टेंशनिंग सिस्टम-काउंटर-वेट से पुलों पर बढ़ेगा लोड
    रोपवे के हाल रोप व कैरियर रोप विशाल स्टील केबल-रील में आते हैं, जिनका वजन सैकड़ों टन होता है। इन्हें ले जाने के लिए लंबे-चौड़े ट्रेलर की जरूरत होगी, जिसके लिए बड़े रेडियस वाले मोड़ और मजबूत पुल अनिवार्य हैं। रोपवे के खंभों के प्री-फैब्रिकेटेड स्टील सेगमेंट तथा ड्राइव व रिटर्न स्टेशन की मशीनरी जैसे बुल-व्हील, हाई-टार्क मोटर और गियरबाक्स भी अत्यधिक भारी होते हैं।

    यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में ढाई लाख टन चावल का आर्डर, नए साल से होगा वितरण

    टेंशनिंग सिस्टम और काउंटर-वेट के कारण पुलों पर सामान्य से अधिक एक्सल-लोड पड़ेगा। इसलिए निर्माण से पहले सड़क चौड़ीकरण, मोड़ सुधार, मजबूत पुल और सोनप्रयाग में लाजिस्टिक्स यार्ड विकसित करना जरूरी होगा।

    सीतापुर-गुप्तकाशी क्षेत्र में जोखिम भरे पुराने पुल
    सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी पर बना प्रमुख पुल सामान्य यातायात को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। रोपवे निर्माण के दौरान इस पुल से सैकड़ों टन वजन और मशीनरी को गुजरना होगा, जिसके लिए पुल की भार वहन क्षमता बढ़ाना जरूरी है।

    इसी तरह सीतापुर और गुप्तकाशी क्षेत्र में मौजूद छोटे स्पैन वाले पुल पुराने डिजाइन पर आधारित हैं, जिनमें बेयरिंग और गर्डर को मजबूत किए बिना भारी ट्रेलर का गुजरना जोखिम भरा माना जा रहा है। एजेंसियों के अनुसार इन पुलों का स्ट्रक्चरल आडिट, भार वहन क्षमता और री-इन्फोर्समेंट करना अनिवार्य बताया गया है।


    केदारनाथ मार्ग पर पुलों की क्षमता वृद्धि व अत्यधिक संकरी सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य शुरू करा दिया गया है, रोपवे निर्माण शुरू होने से पहले पुलों व सड़कों को तैयार कर लिया जाएगा।

    -

     -पंकज पांडेय, सचिव-लोक निर्माण विभाग।