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    Joshimath: वर्ष 1970 से शुरू हुआ था तबाही का सिलसिला, अलकनंदा में आई भीषण बाढ़ के बाद दिखीं थी घरों पर दरार

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sun, 08 Jan 2023 12:34 PM (IST)

    Joshimath Sinking उत्‍तराखंड का खूबसूरत पहाड़ी शहर जोशीमठ खतरे में पड़ गया है। यहां लगातार भूधंसाव हो रहा है और दरारें पड़ रहीं हैं। सरकारी मशीनरी के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय की भी इस घटनाक्रम पर पूरी नजर है।

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    Joshimath Sinking: उत्‍तराखंड का खूबसूरत पहाड़ी शहर जोशीमठ खतरे में है।

    टीम जागरण, देहरादून : Joshimath Sinking: उत्‍तराखंड का खूबसूरत पहाड़ी शहर जोशीमठ खतरे में है। जोशीमठ शहर का धार्मिक और सामरिक महत्व भी है।

    यहां चारधामों में से एक बदरीनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल है। चीन सीमा से नजदीक होने के कारण जोशीमठ में सेना व अर्धसैनिक बलों का महत्वपूर्ण पड़ाव भी है।

    अब इस शहर का अस्तित्‍व खतरे में पड़ गया है। यहां लगातार भूधंसाव और दरार पड़ रहीं हैं। यह दरारें और चौड़ी होती जा रही है। जिस कारण जोशीमठ के स्‍थानीय लोग दहशत में हैं। उत्‍तराखंड की सरकार भी समस्या के समाधान के लिए पूरी ताकत झोंके हुए है।

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    लोगों को सुरक्षित स्‍थानों पर पहुंचाने का क्रम जारी

    सरकारी मशीनरी के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय की भी इस घटनाक्रम पर पूरी नजर है। शहर पर मंडराते अस्तित्व के खतरे को देखते हुए स्थानीय लोग आंदोलित हैं। प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षित स्‍थानों पर पहुंचाने का क्रम भी जारी है। आइए जानते हैं तबाही का यह सिलसिला कब शुरू हुआ।

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    • उत्तर प्रदेश के दौर में वर्ष 1970 और इसके बाद अलकनंदा नदी में कई बार बाढ़ आई थी, जिस कारण जोशीमठ में भूधंसाव और घरों में दरार पड़ने की घटनाएं सामने आईं। तब अलकनंदा नदी की बाढ़ ने जोशीमठ समेत अन्य स्थानों पर तबाही मचाई थी।
    • इसके बाद वर्ष 1976 में इसके बाद सरकार ने आठ अप्रैल 1976 को गढ़वाल के तत्कालीन मंडलायुक्त महेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की।
    • इस कमेटी में लोनिवि, सिंचाई विभाग, रुड़की इंजीनियरिंग कालेज (अब आइआइटी) के विशेषज्ञों के साथ ही भूविज्ञानियों के अलावा स्थानीय प्रबुद्धजनों को शामिल किया गया था।
    • तत्कालीन गढ़वाल मंडलायुक्त महेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञों की कमेटी ने 47 साल पहले ही जोशीमठ में ऐसे खतरों को लेकर सचेत कर दिया था।
    • कमेटी ने जोशीमठ में पानी की निकासी के पुख्ता इंतजाम करने और अलकनंदा नदी से भूकटाव की रोकथाम करने के सुझाव भी दिए थे।
    • इसके बाद सरकार ने आठ अप्रैल 1976 को गढ़वाल के तत्कालीन मंडलायुक्त महेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की।

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    जोशीमठ का 40 प्रतिशत हिस्सा भूधंसाव की चपेट

    चमोली के जोशीमठ में भूधंसाव के बाद जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर राहत और पुनर्वास में जुट गया है। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के बाद खतरे की जद में आए 500 भवनों से लोगों को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित किया जा रहा है। अब तक 116 परिवारों को पुनर्वासित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री के सचिव और मंडलायुक्त ने रविवार से जोशीमठ में कैंप शुरू कर दिया है।

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    इधर सरकार विज्ञानियों की रिपोर्ट पर आगे की कार्ययोजना बनाने में जुट गई है। जोशीमठ शहर का 40 प्रतिशत हिस्सा भूधंसाव की चपेट में है। जिला प्रशासन ने टेक्निकल कमेटी का गठन किया है, जो भूधंसाव से हुए नुकसान का आकलन कर रही है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की टीम सोमवार को जोशीमठ पहुंचकर भूधंसाव वाले क्षेत्रों का निरीक्षण करेगी।

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