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    Nainital: नैनी झील के ऊपरी इलाके में भूधंसाव व दरारों का खतरा, ट्रीटमेंट को लेकर गंभीर नहीं सरकार व विभाग

    By kishore joshiEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sun, 08 Jan 2023 09:45 AM (IST)

    Nainital सरोवर नगरी का ऐतिहासिक बैंड स्टैंड छह माह से बेरीकेडिंग कर पर्यटकों के लिए बंद है। हैरानी की बात है कि आपदा मद में बजट की कमी नहीं का दावा करने वाली सरकार व जनप्रतिनिधि इसके ट्रीटमेंट के लिए बजट अब तक जारी नहीं करवा सके हैं।

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    Nainital: नैनी झील के ऊपरी इलाके में भूधंसाव व दरारों का खतरा

    किशोर जोशी, नैनीताल: Nainital is in Danger: जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद अब स्थानीय लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है। वहीं सरोवर नगरी का ऐतिहासिक बैंड स्टैंड छह माह से बेरीकेडिंग कर पर्यटकों के लिए बंद है।

    जुलाई में बैंड स्टैंड के समीप की दीवार भरभराकर झील में जा गिरी थी। जिससे बैंड स्टैंड से लेकर वाल्मीकि पार्क की ओर से दरारें लगातार बढ़ रही है।

    ट्रीटमेंट के लिए बजट अब तक जारी नहीं

    सिंचाई विभाग ने क्षतिग्रस्त दीवार के निर्माण और अन्य सुरक्षा कार्यों के लिए 76 लाख रुपये की डीपीआर तैयार कर शासन को भेज दी है।

    हैरानी की बात है कि आपदा मद में बजट की कमी नहीं का दावा करने वाली सरकार व जनप्रतिनिधि इसके ट्रीटमेंट के लिए बजट अब तक जारी नहीं करवा सके हैं। तीन वर्ष पूर्व मल्लीताल बैंड स्टैंड के समीप फुटपाथ में बड़ी दरार उभर आई थी। तब विभाग की ओर से तात्कालिक सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए।

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    यह भी पढ़ें : Joshimath: सरकार नहीं चेती तो एक और हिल स्‍टेशन में बिगड़ सकते हैं हालात, डरा रही दरार व दरकती पहाड़ियां

    जुलाई 2022 में सुरक्षा दीवार ढह कर झील में समा गई। जिससे बैंड स्टैंड में भी बड़ी-बड़ी दरारें उभर आई। सिंचाई विभाग सहित प्रशासनिक अफसरों की टीम ने निरीक्षण कर कहा था कि जल्द क्षतिग्रस्त दीवार का काम शुरू हो जाएगा।

    अब कोई जनप्रतिनिधि व अफसर उस ओर झांकने तक नहीं जा रहे हैं। बैंड स्टैंड के आसपास बेरीकेडिंग कर दी गई थी। इससे इस स्थल पर खड़े होकर पर्यटकों का झील को नजदीक से निहारना भी बंद है। तीन ओर टिन की चादरों से की गई बेरीकेडिंग झील क्षेत्र की सुंदरता पर भी दाग की तरह बनी हुई है।

    खास है बैंड स्टैंड

    ब्रिटिशकाल में प्रसिद्ध शिकारी जिम कार्बेट जब 1926-27 में नैनीताल पालिका उपाध्यक्ष थे तो उन्होंने 7300 रुपये की धनराशि दान की थी। इसमें से करीब चार हजार रुपये में बैंड स्टैंड का निर्माण कराया गया।

    इतिहासकार प्रो. अजय रावत बताते हैं कि अंग्रेजों के राज में रोजाना शनिवार-रविवार को मनोरंजन के लिए इसी स्थल पर बैंड बजाया जाता था। कोविड काल को छोड़ यहां पर्यटन सीजन में पीएसी बैंड बजता रहा है।

    झील के पानी के दबाव से खोखली हुई दीवार

    भू विज्ञानी प्रो. सीसी पंत के अनुसार झील का जलस्तर बढ़ने पर पानी किनारों की दीवारों में भीतर तक चला जाता है, फिर जलस्तर घटने पर साथ में भीतर की मिट्टी भी बहा लाता है। जिससे भीतर जगह खाली हो जाती है।

    बरसात में फ्लैट्स मैदान का पानी गोल चबूतरे से होते हुए बैंड स्टैंड के समीप से ही झील में जाता है, जिससे भी सुरक्षा दीवार खोखली होती है। इसके स्थायी ट्रीटमेंट के लिए लेक लेबल से वीप होल देकर व सीमेंट से चिनाई की जरूरत है।

    बैंड स्टैंड व आसपास की दीवार निर्माण के लिए 76 लाख का प्रस्ताव पिछले साल भेजा गया है। अब तक बजट नहीं मिला, बजट मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।

    - एके वर्मा, अधिशासी अधिकारी, सिंचाई विभाग

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