Indian Army Day 2020: देवभूमि उत्तराखंड के रणबांकुरों ने लहु से लिखी है इबारत
देवभूमि के वीर रणबांकुरों का कोई सानी नहीं है। सेना में रहकर इन्होंने देश रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
देहरादून, जेएनएन। सरहद की निगहबानी से मैदाने-जंग में दुश्मनों के हौसले पस्त करने तक, देवभूमि के वीर रणबांकुरों का कोई सानी नहीं है। सेना में रहकर इन्होंने देश रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। बात जब भी कुर्बानी की आई, तो यह जांबाज पहले पायदान पर खड़े नजर आए।
आजादी के बाद देश की हिफाजत करते हुए सूबे के डेढ़ हजार से अधिक जवान सरहद पर शहीद हो चुके हैं। जब कभी जंग लड़ी गई, देवभूमि के वीर सपूत अग्रणी भूमिका में रहे। उत्तराखंड के रणबांकुरों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिर चाहे इन जांबाजों को दुश्मन की गोली के आगे अपना सीना ही क्यों न छलनी करना पड़ा हो। रण में हर बार यह दुश्मन के नापाक इरादों को चकनाचूर करने अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे। ऑपरेशन रक्षक हो, ऑपरेशन पराक्रम, या फिर ऑपरेशन करगिल, सूबे के रणबांकुरे हमेशा सरहद की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहे और मुस्तैद हैं।
सूबे के शहीद जवान
ऑपरेशन रक्षक 330
ऑपरेशन पवन 116
ऑपरेशन मेघदूत 75
करगिल 75
ऑपरेशन पराक्रम 58
ऑपरेशन राइनो 23
ऑपरेशन ब्लू स्टार 19
ऑपरेशन आर्चिड 11
भारत-पाक युद्ध (1971) 248
भारत-पाक युद्ध (1965) 226
भारत-चीन युद्ध 268
1947-61 83
वीरता पदक
आजादी से पहले
विक्टोरिया क्रॉस-3
इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट-53
मिलिट्री क्रॉस-25
इंडियन डिस्टिंग्विश्ड सर्विस मेडल-89
मिलिट्री मेडल-44
आजादी के बाद
परमवीर चक्र - एक
अशोक चक्र- छह
महावीर चक्र- 13
कीर्ति चक्र - 32
वीर चक्र -102
शौर्य चक्र - 182
क्यों मनाया जाता है सेना दिवस
देश में प्रतिवर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है। क्योंकि वर्ष 1948 में इसी दिन लेफ्टिनेंट जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) केएम करिअप्पा भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर इन चीफ बने थे। इससे पहले भारतीय सेना को कमान कर रहे ब्रिटिश कमांडर फ्रेंसिस बूचर से उन्होंने कमान संभाली थी। सेना दिवस के अवसर पर सेना के सभी छह कमान मुख्यालयों के साथ ही अमर जवान ज्योति (दिल्ली) में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है। भव्य परेड के जरिये सेना अपनी ताकत का एहसास भी कराती है।
वेटरन्स डे पर सम्मानित किए गए वयोवृद्ध पूर्व सैनिक
उत्तराखंड सब एरिया मुख्यालय ने वेटरन्स डे पर कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें 38 वयोवृद्ध पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया। साथ ही तीन दिव्यांग सैनिकों को रेट्रोफिटेड स्कूटर भी प्रदान किए गए। इस दौरान पूर्व सैनिकों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। वहीं पूर्व सैनिकों ने अपनी कई समस्याएं भी रखी।
मंगलवार को गढ़ी कैंट स्थित दून सैनिक संस्थान में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डिप्टी जीओसी ब्रिगेडियर एसएन सिंह ने किया। उन्होंने पूर्व सैनिकों को शुभकामनाएं देते कहा कि वेटरन्स डे का मुख्य उद्देश्य पूर्व सैनिकों को सम्मान देना है। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों और वीर नारियों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो, यह सेना का निरंतर प्रयास रहता है। ब्रिगेडियर सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिकों ने जो भी समस्याएं रखी हैं उन्हें समयबद्ध ढंग से दूर किया जाएगा। वहीं, वेटरन्स ब्रांच के प्रभारी कर्नल पृथ्वीराज सिंह रावत ने पूर्व सैनिकों को विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया।
ईसीएचएस निदेशक कर्नल रणवीर ने कहा कि सभी पूर्व सैनिक समय पर 64 केबी के ईसीएचएस स्मार्ट कार्ड बनवा लें। इसमें लाभार्थी की मेडिकल हिस्ट्री, रेफरल हिस्ट्री और दी गई दवाओं की जानकारी होगी। ऑफिसर इंचार्ज ईसीएचएस (स्टेशन हेडक्वार्टर) कर्नल आरएस मेहता ने देहरादून और विकासनगर के पॉलीक्लीनिक में दी जा रही सुविधाओं की जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर वेटरन्स ब्रांच से कर्नल दिनेश गौड़, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल डीके कौशिक, रिटायर्ड ले जनरल केके खन्ना, मेजर जनरल सी नंदवानी,ब्रिगेडियर आरएस रावत, कैप्टन अशोक लिंबू सहित प्रदेशभर के पूर्व सैनिक मौजूद रहे।
द्वितीय विश्व युद्ध के सैनिकों को ईसीएचएस में छूट
भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के निदेशक कर्नल रणवीर ने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वाले सैनिक, इमरजेंसी कमीशंड अफसर भी ईसीएचएस सुविधा का लाभ ले सकते हैं। बताया कि उन्हें 50 फीसदी ही सहयोग राशि जमा करानी होगी। बाकी खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 1996 से पूर्व सेवानिवृत्त हुए सैनिकों को ईसीएचएस की सदस्यता निश्शुल्क दी जाती है, जो भी पूर्व सैनिक इस स्कीम से नहीं जुड़े हैं वह जुड़ जाएं। उन्होंने बताया कि अब असम राइफल से रिटायर्ड सैनिक भी इस स्कीम के दायरे में आ गए हैं।
ईसीएचएस से जुड़ेंगे तीन और अस्पताल
वर्तमान समय में ईसीएचएस के अंतर्गत सूचीबद्ध अस्पतालों की संख्या प्रदेशभर में 25 है, जिनमें 13 देहरादून में हैं। कार्यक्रम में बताया गया कि ईसीएचएस से क्लेमेनटाउन स्थित वेलमेड हॉस्पिटल, हरिद्वार रोड स्थित कैलाश अस्पताल और सतपुली स्थित हंस फाउंडेशन अस्पताल को भी इससे जोड़ा जाएगा।
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यह रखी मांग और समस्याएं
-सैनिक आश्रितों के भर्ती पूर्व प्रशिक्षण के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए।
-एक्साइज ड्यूटी में राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई छूट का शासनादेश पूर्णत: लागू किया जाए।
-क्लेमेनटाउन में ईसीएचएस का एक्सटेंशन काउंटर खोला जाए।
-क्लेमेनटाउन में प्रस्तावित पॉलीक्लीनिक की कार्रवाई जल्द पूरी की जाए।
-उत्तरकाशी स्थित पॉलीक्लीनिक में छह माह से डॉक्टर नहीं, तत्काल व्यवस्था की जाए।
-विकासनगर पॉलीक्लीनिक से रेफर होने वाले मरीजों के लिए वाहन की व्यवस्था।
-सैन्य अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या बढ़ाई जाए।
-सीएसडी कैंटीन से जुड़ी अव्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएं।
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पूर्व सैनिकों के लिए तय आरक्षण बढ़ाने का प्रस्ताव
वेटरन्स ब्रांच के प्रभारी कर्नल पृथ्वीराज सिंह रावत ने बताया कि हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में पूर्व सैनिकों को राजकीय सेवाओं में 10-15 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। जबकि उत्तराखंड में पांच फीसदी ही आरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्व सैनिकों को राजकीय सेवाओं में 20 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। आठ फरवरी को इस संदर्भ में मुख्यमंत्री के साथ एक बैठक भी है। उम्मीद है कि इसमें कोई सकारात्मक निर्णय होगा।
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