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    देश की सुरक्षा के मोर्चे पर उत्तराखंड फिर अग्रणी, जनरल बिपिन रावत बने सीडीएस

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Tue, 31 Dec 2019 01:25 PM (IST)

    सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त होना एक बार फिर ये साबित करता है कि देश की सुरक्षा के मोर्चे पर उत्तराखंड फिर अग्रणी है।

    देश की सुरक्षा के मोर्चे पर उत्तराखंड फिर अग्रणी, जनरल बिपिन रावत बने सीडीएस

    देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड के गौरव देश का मस्तक ऊंचा कर रहे हैं। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त होना एक बार फिर ये साबित करता है कि देश की सुरक्षा के मोर्चे पर उत्तराखंड अग्रणी भूमिका में है। इंटेलीजेंस के मास्टर कहे जाने वाले पूर्व आइबी चीफ और मौजूदा समय में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उत्तराखंड से हैं। यही नहीं, उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले कई अन्य लोग भी देश की सुरक्षा के मोर्चे पर बड़ी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इनमें पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन चंद्र जोशी, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी, पूर्व रॉ प्रमुख अनिल कुमार धस्माना, तटरक्षक बल के मुखिया रहे राजेंद्र सिंह व डीजीएमओ की जिम्मेदारी संभाल चुके ले. जनरल अनिल कुमार भट्ट शामिल हैं।

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    आइएमए में मिला था स्वॉर्ड ऑफ ऑनर 

    जनरल बिपिन रावत दिसंबर 1978 में दून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से पास आउट हुए। उन्हें 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला था। अकादमी में उन्हें श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' प्रदान किया गया था। 

    पिता डिप्टी चीफ के पद से रिटायर 

    जनरल रावत मूल रूप से जनपद पौड़ी-गढ़वाल के कल्जीखाल ब्लॉक के सैड गांव के रहने वाले हैं। अपनी पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए वह इस पद पर पहुंचे हैं। इससे पहले उनके पिता सेना में डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे। जनरल बिपिन रावत के नाना ठाकुर किशन सिंह परमार उत्तरकाशी क्षेत्र से विधायक रहे हैं। 

    कैंब्रियन हॉल से हुई प्रारंभिक शिक्षा 

    सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की प्रारंभिक शिक्षा दून स्थित कैंब्रियन हॉल स्कूल से हुई। उनके पिता ले. जनरल लक्ष्मण सिंह रावत (अप्र) भी सेना में थे। सत्तर के दशक में पिता के देहरादून में पोस्टेड रहने के दौरान जनरल बिपिन रावत ने छठीं से 9वीं तक की पढ़ाई कैंब्रियन हॉल से की। इसके बाद पिता का तबादला शिमला हो गया। नौंवी से आगे की पढ़ाई उन्होंने शिमला के सेंट एडवर्ड्स स्कूल से की। 

    लेफ्टिनेंट जनरल एमसी भंडारी(सेनि) कहते हैं कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की प्रथम नियुक्ति का गौरव एक उत्तराखंडी को मिला है। हमारे लिए यह सम्मान की बात है। यह जनरल रावत के अनुभव, ज्ञान और क्षमताओं का प्रतिफल है। उन्हें पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में कामकाज का लंबा अनुभव रहा है। सीडीएस के जरिये तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय कायम किया जा सकेगा। यह काम काफी पहले हो जाना चाहिए था, पर इसमें तमाम अड़चनें आई। बहरहाल देर आए दुरुस्त आए। 

    लेफ्टिनेंट जनरल गंभीर सिंह (सेनि) का कहना है कि यह उत्तराखंड के लिए न केवल गौरव व सम्मान की बात है, बल्कि आने वाली कई पीढिय़ां इससे प्रेरणा लेती रहेंगी। कारगिल युद्ध के बाद गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने समीक्षा में यह पाया था कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की कमी रही। तालमेल बेहतर होता तो नुकसान को काफी कम किया जा सकता था। उस वक्त चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाने का सुझाव दिया गया था। अब इस पद पर नियुक्ति सरकार का एक ठोस कदम है। 

    मेजर जनरल सी नंदवानी(सेनि) कहते हैं कि चीफ ऑफ का मकसद देश की सेनाओं को ट्रेनिंग, इंतजाम, स्टॉफ और विभिन्न अभियानों के लिए एकीकृत करना है। यह वर्षों पुरानी मांग थी जो अब जाकर पूरी हुई है। यह फख्र की बात है कि एक उत्तराखंडी को यह गौरव हासिल हुआ है। अब देखना यह होगा कि यह पूरी व्यवस्था अमल में किस तरह से आती है। बहरहाल, निकट भविष्य में इसका फायदा दिखेगा। 

    कैंब्रियन हॉल स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. एससी ब्याला ने कहा, प्रधानाचार्य जनरल बिपिन रावत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बन जाने से पूरा स्कूल गौरान्वित महसूस कर रहा है। उन्होंने आने वाली कोई पीढ़ियों के लिए मिसाल कायम की है। यह दिखा दिया है कि काबिलियत व्यक्ति को कामयाबी के शिखर तक ले जा सकती है। 

    खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे सैंणावासी 

    कोटद्वार के द्वारीखाल प्रखंड के अंतर्गत ग्राम सैंणा के निवासी स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। दरअसल, गांव के बेटे आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया गया है। 

    यूं तो आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत के मूल गांव सैंणा में जनरल रावत के चाचा भरत सिंह रावत ही रहते हैं, लेकिन अन्य नाते-रिश्तेदारों का गांव में आना-जाना लगा रहता है। स्वयं जनरल रावत 29 अप्रैल 2018 को अपने गांव सैंणा पहुंचे थे और गांव के विकास को लेकर चाचा भरत सिंह समेत अन्य नाते-रिश्तेदारों से चर्चा की थी। सोमवार को जब जनरल रावत को सीडीएस बनाए जाने की सूचना गांव में पहुंची तो गांव में हर्ष का माहौल छा गया। चाचा भरत सिंह ने बताया कि जनरल रावत की अद्वितीय सेवाओं का ही परिणाम है कि प्रधानमंत्री ने उन पर विश्वास जताते हुए उन्हें सीडीएस बनाने का निर्णय लिया। 

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    उन्होंने बताया कि जनरल रावत को सीडीएस बनाए जाने की जानकारी जैसे-जैसे अन्य नाते-रिश्तेदारों और आसपास के गांवों में पहुंच रही है, लोग उन्हें फोन कर बधाईयां दे रहे हैं। इधर, जनरल रावत के चाचा कुंदन सिंह, भाई रवींद्र सिंह, देवेंद्र सिंह, संजय सिंह, अजय सिंह सहित अन्य का कहना है कि जनरल रावत को देश का पहला सीडीएस बनाया जाना क्षेत्र ही नहीं, पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय है। 

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    सड़क को लेकर हुई चर्चा 

    जनरल रावत के चाचा भरत सिंह ने बताया कि करीब दो सप्ताह पूर्व जनरल रावत की उनसे फोन पर वार्ता हुई थी। वार्ता के दौरान जनरल रावत ने गांव के लिए बन रही सड़क के संबंध में उनसे जानकारी मांगी। बताया कि गांव के लिए बन रही सड़क धुलगांव (मदनपुरी) तक पहुंच गई है व पिछले कई दिनों से सड़क निर्माण कार्य बंद पड़ा हुआ है। बताया कि उन्होंने सड़क पर कार्य बंद होने की जानकारी जनरल रावत को दी। 

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